

भारत के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसके पड़ोसी देश आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता की ओर अग्रसर हैं। पाकिस्तान शुरू से भारत विरोध की नीति पर चलता रहा है, श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, नेपाल की स्थिति कभी स्थिर नहीं रही और अफगानिस्तान तो लंबे समय से वैश्विक चिंता का कारण रहा है। ऐसे में बांग्लादेश एक ऐसा पड़ोसी था जिससे भारत को अपेक्षाकृत स्थिरता और सहयोग की आशा रही। भारत की पूर्वी सीमा पर उभरता नया तनाव
भारत का ये दुर्भाग्य है कि वो ऐसे देशों से घिरा हुआ है जो आर्थिक और राजनीतिक रूप से बर्बादी की ओर जा रहे हैं । पाकिस्तान तो अपनी पैदाइश से ही भारत का दुश्मन देश रहा है या यूं कहो कि उसकी पैदाइश ही भारत विरोध में हुई थी और वो उसी राह चल रहा है । पाकिस्तान तो ऐसा देश है जो हर हाल में भारत की तबाही चाहता है फिर चाहे इस चक्कर में वो खुद ही क्यों न बर्बाद हो जाये । श्रीलंका अपनी आर्थिक नीतियों के कारण बर्बाद हो चुका है लेकिन भारत की मदद से किसी तरह चल रहा है । नेपाल की आर्थिक हालत शुरू से खराब है और अफगानिस्तान तो पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द रहा है । पाकिस्तान से टूटकर बने बांग्लादेश से भारत के हमेशा मधुर सम्बन्ध रहे हैं, विशेष तौर पर अवामी लीग अध्यक्ष शेख हसीना के शासन काल में ये संबंध बहुत अच्छे रहे हैं। इसके बावजूद यह भी सच है कि बीएनपी की नेता खालिदा जिया के शासन में भी एक संतुलन कायम रहा है।
शेख मुजीबुर्रहमान ने भारत की मदद से बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद करवाया था, इसलिए उन्हें बांग्लादेश का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है । शायद यही कारण है कि उनकी पुत्री शेख हसीना के शासनकाल में भारत के बांग्लादेश से अच्छे सम्बन्ध रहे हैं । शेख हसीना ने भारत से सम्बन्धों का भरपूर लाभ उठाया और बांग्लादेश को विकास के रास्ते पर ले गई । एक ऐसा भी समय आया जब बांग्लादेश प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत से आगे निकल गया । उन्होंने बांग्लादेश को पाकिस्तान से बेहतर देश बनाने की कोशिश की लेकिन मोहम्मद युनुस ने चीन और अमेरिका की मदद से उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया । तब से बांग्लादेश से भारत के लिए अच्छी खबर नहीं आ रही हैं । एक ऐसा देश जो भारत के लिए ज्यादा समस्या नहीं था, वो देश धीरे-धीरे भारत के लिए समस्या बनता जा रहा है । युनुस के शासन में बांग्लादेश अराजकता की ओर जा रहा है और अब वहां सत्ता के लिए संघर्ष शुरू हो गया है । पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की राजनीतिक पार्टी अवामी लीग का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है और उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान की यादों को मिटाया जा रहा है । शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपिता की जगह एक खलनायक बनाया जा रहा है जैसे उन्होंने पाकिस्तान से अलग देश बनाकर कोई गलती कर दी हो ।
मोहम्मद यूनुस की सरकार दस महीने से शासन कर रही है लेकिन हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में योगदान को लेकर नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले मोहम्मद यूनुस के शासन में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था लगातार गर्त में जा रही है। वास्तव में अर्थव्यवस्था के लिये कानून व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए लेकिन यूनुस तो देश को अराजकता की ओर ले जा रहे हैं। वो एक तरफ लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कट्टरपंथी ताकतों को हवा दे रहे हैं। उनके कारण ही बांग्लादेश के कट्टरपंथी बांग्लादेशी हिंदुओ का उत्पीड़न कर रहे हैं । यूनुस चीन, अमेरिका और पाकिस्तान के हाथों में खेल रहे हैं और बांग्लादेश को लगातार भारत से दूर ले जा रहे हैं । पहले ही चीन के कर्ज में डूबे बांग्लादेश को धीरे-धीरे पूरी तरह से चीनी कर्ज के जाल में फंसाते जा रहे हैं। बांग्लादेश में मुद्रास्फीति लगातार ऊपर जा रही है । विदेशी मुद्रा भंडार नीचे की ओर जा रहा है क्योंकि देश के निर्यात लगातार कम हो रहे हैं। देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए मोहम्मद यूनुस को सिर्फ चीन से कर्ज लेना ही एकमात्र रास्ता दिखाई दे रहा है लेकिन यही भारत की बड़ी समस्या बन सकता है। पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश भी चीन का गुलाम बन सकता है और इसका इस्तेमाल चीन भारत के खिलाफ रणनीतिक फायदे के लिए कर सकता है।
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण बहाल कर दिया है । ये संगठन ही हिंदुओं के उत्पीड़न के पीछे है, पाकिस्तान समर्थक और भारत विरोधी सोच रखता है। इस संगठन को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश विरोधी गतिविधियों के कारण प्रतिबंधित कर दिया था। ये संगठन बांग्लादेश के पाकिस्तान से अलग होने का गलत मानता है और कहा जाता है कि इसने बांग्लादेश निर्माण के समय पाकिस्तान का साथ दिया था। मोहम्मद यूनुस ने इस संगठन के ऊपर से प्रतिबंध हटा दिया था और इसका पंजीकरण बहाल होने के पीछे भी इसी सरकार का समर्थन है । बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने शेख हसीना पर पिछले साल हुई हिंसा के लिए मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है जिससे भारत के लिए भी समस्या खड़ी हो सकती है क्योंकि शेख हसीना को बांग्लादेश भेजने की मांग जोर पकड़ सकती है । जिस पाकिस्तान ने लाखों बांग्लादेशियों की हत्या की थी, आज युनुस सरकार उसी पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ा रही है । कितनी अजीब बात है कि बांग्लादेश को आज पाकिस्तान दोस्त नजर आ रहा है और उसे बचाने वाला भारत दुश्मन दिखाई दे रहा है।
खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी ने पिछले हफ्ते ढाका में एक विशाल रैली का आयोजन किया और दिसम्बर तक चुनाव कराने की मांग की तो दूसरी तरफ सेना भी चाहती है कि बांग्लादेश में दिसम्बर तक चुनाव हो जायें । अगर चुनाव हो जाते हैं तो अवामी लीग की अनुपस्थिति में बीएनपी के सत्ता में आने की उम्मीद है लेकिन समस्या यह है कि मोहम्मद युनुस अभी चुनाव नहीं कराना चाहते हैं । उन्हें पता है कि अगर चुनाव हुए तो उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ेगा । उनका लोकतंत्र विरोधी चेहरा सामने आ गया है । उनके मासूम चेहरे के पीछे बैठा तानाशाह अब दिखाई देने लगा है । जमात-ए-इस्लामी और छात्र संगठन मोहम्मद युनुस का साथ दे रहे हैं कि वो चुनाव न करवायें । मोहम्मद युनुस को पाकिस्तान, चीन और अमेरिका के साथ-साथ देश में बैठे कट्टरपंथियों का पूरा समर्थन है क्योंकि युनुस के समर्थन से सभी अपना खेल खेल रहे हैं । पाकिस्तान के एक आतंकवादी नेता ने दावा किया है कि शेख हसीना को हटाने के पीछे उनका भी हाथ है । चीन और आतंकवादियों के समर्थन से सत्ता में आये युनुस भारत के खिलाफ चीन के साथ समझौते कर रहे हैं, हालांकि सेना ने इसमें टांग अड़ा दी है कि ऐसे फैसले लेने का अधिकार उनके पास नहीं है । ऐसे फैसले लेने के लिए निर्वाचित सरकार का इंतजार करना चाहिए। भारत की पूर्वी सीमा पर उभरता नया तनाव
सेना को लगता है कि युनुस बांग्लादेश की सम्प्रभुता के साथ समझौता करके चीन से हाथ मिला रहे हैं । सेना यह भी नहीं चाहती कि बांग्लादेश पूरी तरह से भारत से कटकर चीन की गोद में चला जाए । भारत के लिए संवेदनशील चिकन नेक के पास लालमोनिरहट में चीन एयरबेस बनाने जा रहा है, जो कि भारत के लिए बेहद गंभीर मामला है । चिकन नेक से लगभग 20 किलोमीटर दूर चीन का अड्डा होना भारत के लिये खतरे की घंटी है । बांग्लादेश के साथ सीमा पर तनाव बढ़ता जा रहा है क्योंकि अभी भी बांग्लादेश से घुसपैठ जारी है । दूसरी तरफ भारत गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को वापिस भेज रहा है। इससे भी बांग्लादेश नाराज दिखाई दे रहा है । इन हालातों में भारत चाहता है कि बेशक शेख हसीना की सत्ता में वापसी नहीं हो सकती लेकिन बांग्लादेश में कोई निर्वाचित सरकार आ जाए ताकि उससे बातचीत हो सके । भारत चाहता है कि किसी भी प्रकार मोहम्मद युनुस की घर वापसी हो जाये । ये व्यक्ति जब तक रहेगा, तब तक भारत का बांग्लादेश से संवाद नहीं हो सकता । ये व्यक्ति बिना किसी जिम्मेदारी के देश की सत्ता पर बैठा हुआ है और तानाशाह बनने की कोशिश कर रहा है ।
मोहम्मद युनुस जब तक सत्ता में रहेगा, तब तक बांग्लादेश में हालात नहीं सुधर सकते । अगर जल्दी ही युनुस सत्ता से नहीं हटता है तो बांग्लादेश के हालात इतने खराब हो सकते हैं कि जिन्हें दोबारा ठीक करना संभव न हो सके । भारत अपने पड़ोस में एक और पाकिस्तान नहीं देखना चाहता लेकिन परिस्थितियां धीरे-धीरे वहीं जा रही हैं । बांग्लादेश के आर्थिक हालात बिगड़ने पर भारत में घुसपैठ बढ़ सकती है जिससे पहले ही भारत परेशान है । 4000 किलोमीटर की बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है क्योंकि वहां का भूगोल कुछ ऐसा है और दूसरी तरफ पूरी तरह से अभी सीमा पर बाड़बंदी भी नहीं की गई है । बांग्लादेश में कट्टरपंथियों की बढ़ती ताकत से भारत इसलिए भी परेशान है क्योंकि ये लोग बंगलादेशी हिन्दुओं के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं । भारत के लिए उम्मीद की किरण एकमात्र यही है कि आज भी बांग्लादेश की बड़ी आबादी भारत के महत्व को समझती है । वो जानती है कि बिना भारत के सहयोग के बांग्लादेश को काफी समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है । दूसरी बात यह भी है कि बांग्लादेश निर्माण के समय पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचारों को पूरी जनता तो भूल नहीं गई होगी । बेशक वो लोग चुप हैं जो जानते हैं कि उनका देश गलत रास्ते पर जा रहा है लेकिन वो चुप्पी चुनावों में टूट सकती है । बांग्लादेशी कभी नहीं चाहेंगे कि उनका देश दूसरा पाकिस्तान बन जाये । सवाल यह भी है कि क्या भारत चुपचाप सब देख रहा है । ऐसा नहीं हो सकता कि भारत सरकार हाथ पर हाथ धरकर बैठी हुई हो । भारत सरकार भी बांग्लादेश के महत्व को जानती है इसलिए जो किया जा सकता है, वो किया जा रहा होगा । भारत की पूर्वी सीमा पर उभरता नया तनाव