विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान योग-राष्ट्रपति

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विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान योग-राष्ट्रपति
विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान योग-राष्ट्रपति
राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने ब्रह्माकुमारीज संस्थान, लखनऊ द्वारा आयोजित “विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान (योग)”कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। ब्रह्माकुमारीज संस्था द्वारा विश्व शान्ति, मानवीय मूल्य, नारी शक्ति, आत्मिक जागृति, शिक्षा और ध्यान के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयास वास्तव में प्रेरक और प्रशन्सनीयः- राष्ट्रपति विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान योग-राष्ट्रपति

भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति ने विश्व को सदैव ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‘ का संदेश दिया। भारत सरकार समाज को अधिक समावेशी, शान्तिपूर्ण, स्वस्थ और मूल्य आधारित बनाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठा रही। सशक्त आत्मा ही विश्व एकता की संकल्पना को साकार करने की आधारशिला राष्ट्रहित, मानवता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति राष्ट्रपति जी का अनवरत समर्पण सभी के लिए प्रेरणास्रोत :- राज्यपाल

विश्व एकता एवं विश्वास के लिए ध्यान (योग) जैसी महत्वपूर्ण अभियान का शुभारंभ हम सबके लिए गौरव का क्षण :- मुख्यमंत्री

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री जी ने भारत की योग विधा को संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्यता दिलाकर 21 जून की तिथि को ‘विश्व योग दिवस’ के रूप में स्थापित करायाब्रह्माकुमारीज विश्वविद्यालय के पदाधिकारी राजयोग के माध्यम से सकारात्मक भाव का संचार निरन्तर अपने कार्यक्रमों के माध्यम से कर रहेब्रह्माकुमारीज विश्वविद्यालय का लखनऊ का प्रशिक्षण केन्द्र लगभग तैयार, यह लखनऊ का ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश का एक उत्तम प्रशिक्षण केन्द्र बन सकता

लखनऊ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्था द्वारा विश्व शान्ति, मानवीय मूल्य, नारी शक्ति, आत्मिक जागृति, शिक्षा और ध्यान के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयास वास्तव में प्रेरक और प्रशन्सनीय हैं। हम सभी शान्ति को अपने भीतर जगाएं, विश्वास को अपने विचारों में उतारें, और एकता को अपने कर्मों में प्रकट करें। तभी हम सब एक बेहतर शान्तिपूर्ण व विश्वासपूर्ण विश्व के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे। आज यहां ब्रह्माकुमारीज संस्थान, लखनऊ द्वारा आयोजित ’विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान (योग)’ कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहीं थीं। इसके पूर्व, राष्ट्रपति राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी ने ब्रह्माकुमारीज संस्थान, लखनऊ के ’विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान (योग)’ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ब्रह्माकुमारी बहनों को अमृत कलश तथा भाइयों को ध्वज सौंपकर रवाना किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति ने विश्व को सदैव ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‘ का संदेश दिया है। आज जब विश्व विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब यह विचार और अधिक प्रासंगिक हो गया है। भारत सरकार समाज को अधिक समावेशी, शान्तिपूर्ण, स्वस्थ और मूल्य आधारित बनाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। योग को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना और अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का नेतृत्व करना ऐसे ही कदम है।


राष्ट्रपति जी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मूल्य आधारित शिक्षा और मानवाधिकार का समावेशन भी एक महत्वपूर्ण कदम है। केन्द्र सरकार ने पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवनशैली के अभियान के रूप में ‘मिशन लाइफ’ का शुभारम्भ किया है। महिला सम्मान, आत्मनिर्भरता और सामाजिक समावेशन के लिए विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। वर्ष 2023 में भारत में आयोजित जी-20 समिट की थीम ’वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर’ थी। यह सभी पहल इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश देती हैं कि मानवता का भविष्य मानव मूल्यों, संवाद, विश्वास और आध्यात्मिक चेतना से सुरक्षित व उज्जवल होगा।


राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक समय में विज्ञान और तकनीक के बल पर मानवता ने अभूतपूर्व प्रगति की है। आज का युग सूचना प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इन्टेलीजेन्स, डिजिटल ट्रान्सफॉर्मेशन और आन्तरिक अनुसन्धान का युग है। इन क्रान्तिकारी परिवर्तनों ने मानव जीवन को अधिक सुविधाजनक, सुगम और संसाधन सम्पन्न बनाया है। आज का मानव पहले की अपेक्षा अधिक शिक्षित और तकनीकी रूप से सक्षम है। उसके पास आगे बढ़ने के अनेक अवसर हैं, लेकिन समाज में तकनीकी उन्नति के साथ-साथ तनाव, मानसिक असुरक्षा, अविश्वास और एकाकीपन भी है।


राष्ट्रपति ने कहा कि हम केवल आगे बढ़ने के बारे में ही नहीं, बल्कि स्वयं के भीतर झांकने की यात्रा भी प्रारम्भ करें। ऐसी पहल के लिए ब्रह्मकुमारीज संस्थान बधाई का पात्र है। प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि दूसरे पर विश्वास करे, लेकिन विश्वास वहीं टिकता है, जहां मन शान्त, विचार स्वस्थ और भावनाएं शुद्ध हों। जब हम कुछ क्षण रुक कर स्वयं से संवाद करते हैं, तो अनुभव होता है कि शान्ति और आनन्द किसी बाहरी वस्तु में नहीं, बल्कि हमारे अन्दर है। जब आत्मिक चेतना जागृत होती है, तब प्रेम, भाईचारा, करुणा और एकता स्वतः जीवन का हिस्सा बन जाती है। शान्त और स्थिर मन समाज में शान्ति का बीज बोता है और वहीं से विश्व शान्ति और एकता की नींव स्थापित होती है। सशक्त आत्मा ही विश्व एकता की संकल्पना को साकार करने की आधारशिला रही है।

राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रहित, मानवता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति राष्ट्रपति का अनवरत समर्पण सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी उपस्थिति ने इस अवसर को ऐतिहासिक बना दिया है। वर्ष 1937 में जब विश्व अज्ञान, दुःख और नैतिक पतन से व्यथित था, तब अविभाजित भारत के सिन्ध (हैदराबाद) में स्थापित ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान ने उस चुनौतीपूर्ण कालखण्ड में एक दिव्य प्रकाश की भाँति पूरी मानवजाति को आध्यात्मिक उन्नति और श्रेष्ठ जीवन-मूल्यों की दिशा में अग्रसर करने का बीड़ा उठाया। यह संस्था अपनी विभिन्न शाखाओं एवं आयामों के माध्यम से भारतीय संस्कृति, दर्शन, योग, चरित्र निर्माण, वैज्ञानिक चेतना, नशा-मुक्ति, पर्यावरण संरक्षण, साक्षरता और नैतिक आध्यात्मिक मूल्यों के संवर्धन जैसी अनेक राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों में अग्रणी भूमिका निभा रही है। हम सभी के लिए गर्व का विषय है कि विश्व की यह सबसे विशाल आध्यात्मिक संस्था मातृशक्ति के नेतृत्व में संचालित होती है, जो सामाजिक परिवर्तन की एक अद्वितीय मिसाल है। आज जब विश्व का वातावरण उथल-पुथल, अशान्ति और अविश्वास से घिरा हुआ है, तब मानव समाज को पारस्परिक प्रेम, एकता और विश्वास की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है। जब प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर ‘विश्व-परिवार’ की भावना विकसित करता है, तब स्व-परिवर्तन से विश्व-परिवर्तन सहज ही सम्भव हो जाता है।


मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि विश्व एकता एवं विश्वास के लिए ध्यान (योग) जैसी महत्वपूर्ण थीम को लेकर एक बड़े अभियान का शुभारंभ हो रहा है। यह हम सबके लिए गौरव का क्षण है। राष्ट्रपति का जीवन संवैधानिक प्रमुख होने के साथ एक शिक्षक के रूप में भी प्रेरणादायी रहा है। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपने जीवन को आगे बढ़ाया। इसके उपरान्त पार्षद से लेकर राष्ट्रपति भवन तक की उनकी यात्रा संघर्ष की एक गाथा है। राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल ने भी एक शिक्षक के रूप में अपने सेवा कार्य को आगे बढ़ाया।

भारत की ऋषि परम्परा की मान्यता रही है कि ‘मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः‘ अर्थात व्यक्ति के बन्धन और उसके मोक्ष का कारण उसका मन है। सदगुरु सन्त रविदास जी महाराज ने कहा है कि ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ अर्थात जो व्यक्ति मन की बहिर्मुखी वृत्ति को अन्तर्मुखी कर लेगा, वह न केवल आत्मिक सन्तुष्टि का लाभ प्राप्त कर सकता है, बल्कि विश्व कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है। दुनिया में होने वाले आतंकवाद, उपद्रव और अराजकता के पीछे मन की चंचल वृत्तियां हैं। अराजकता के पीछे का कारण व्यक्ति के मन की बहिर्मुखी वृत्तियां हैं, जो उसे नकारात्मकता की ओर ले जाती है। एक पक्ष उसे सकारात्मक तथा दूसरा पक्ष नकारात्मकता की ओर लेकर जाता है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की परम्परा में आतंकवाद को राक्षसी प्रवृत्ति के रूप में माना गया है और हमारा देश इस लड़ाई को भौतिक रूप के साथ-साथ आध्यात्मिक रूप से भी लड़ने का कार्य कर रहा है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की योग विधा को संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्यता दिलाकर 21 जून की तिथि को ‘विश्व योग दिवस’ के रूप में स्थापित कराया था। उन्होंने भारत की ऋषि परम्परा के प्रसाद के रूप में योग को वैश्विक मान्यता दिलाई। ब्रह्माकुमारीज विश्वविद्यालय के पदाधिकारी राजयोग के माध्यम से सकारात्मक भाव का संचार निरन्तर अपने कार्यक्रमों के माध्यम से कर रहे हैं।

ब्रह्माकुमारीज विश्वविद्यालय का लखनऊ प्रशिक्षण केन्द्र लगभग तैयार हो चुका है। यह केवल लखनऊ का ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश का एक उत्तम प्रशिक्षण केन्द्र बन सकता है। यह प्रशिक्षण केन्द्र एकदिवसीय, तीन दिवसीय व साप्ताहिक प्रशिक्षण के साथ बड़ी संख्या में समाज को जोड़ने का माध्यम बनेगा। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान, माउण्ट आबू के चेयरपर्सन, शिक्षा प्रभाग व अतिरिक्त महासचिव राजयोगी डॉ0 बी0के0 मृत्युन्जय, निदेशक, उप क्षेत्र ब्रह्माकुमारीज संस्थान, लखनऊ की राजयोगिनी बी0के0 राधा जी, ब्रह्माकुमारीज संस्थान, कटक (उड़ीसा) के राष्ट्रीय समन्वयक राजयोगी डॉ0 बी0के0 नाथमल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। विश्व एकता और विश्वास के लिए ध्यान योग-राष्ट्रपति