वैद्यकीय विद्यार्थियों को चिकित्सा को भगवान मानकर काम करने की आवश्यकता -बृजेश पाठक

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वैद्यकीय विद्यार्थियों को चिकित्सा को भगवान मानकर काम करने की आवश्यकता -बृजेश पाठक
वैद्यकीय विद्यार्थियों को चिकित्सा को भगवान मानकर काम करने की आवश्यकता -बृजेश पाठक

अजय सिंह

लखनऊ। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मेडिविजन आयाम के दो दिवसीय 7वीं ऑल इंडिया मेडिकल एंड डेंटल स्टूडेंट सम्मेलन का शुभारंभ आज ऊ०प्र० सरकार के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक,अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राज शरण शाही,राष्ट्रीय मंत्री डॉ०वीरेंद्र सिंह सोलंकी,मेडिविजन के राष्ट्रीय संयोजक डॉ०अभिनंदन बोकरिया ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के अटल कन्वेंशन सेंटर सभागार में माता सरस्वती एवं स्वामी विवेकानन्द जी चित्र के समक्ष पुस्पार्चन एवं दीप प्रज्वलन के साथ तथा कोलकाता के आर. जी.कर मेडिकल कॉलेज स्नातकोत्तर की दिवंगत छात्रा के चित्र के समक्ष श्रद्धांजलि अर्पित कर किया गया। वैद्यकीय विद्यार्थियों को चिकित्सा को भगवान मानकर काम करने की आवश्यकता -बृजेश पाठक

मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित उ.प्र. सरकार के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने मेडिविजन के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वैद्यकीय विद्यार्थियों को चिकित्सा को भगवान मानकर काम करने की आवश्यकता है, उप मुख्यमंत्री ने आगे अपने संबोधन में कहा की जब तक हमारे शिक्षा का स्वरूप नहीं बदलता है हमें तकनीकी की अच्छी समझ नहीं हो पाती तब तक हमारा मार्ग हमें अपनी मंजिल से दिग्भ्रमित करता रहेगा।

मेडिकल साइंस के विद्यार्थियों को संपूर्ण जगत में परचम लहराने की आवश्यकता है,क्योंकि मेडिकल साइंस के माध्यम से ही हम आने वाले किसी भी बीमारियों से लड़कर जीतने की क्षमता रखते हैं। अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही ने कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था उसकी संस्कृति से जुड़ी होनी चाहिए ,राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा कि भारत विविधताओं में एकता की पहचान करने वाला देश है यहां हर जाति और वर्ग के लोग निवास करते हैं विविधता में एकता’ का मतलब है, कई तरह की भिन्नताओं के बावजूद एक साथ रहना. धार्मिक, सांस्कृतिक, जातिगत, आस्था, भाषा, क्षेत्रीय मतभेद, और समाज में कई अन्य कारक इन विविधताओं में योगदान कर सकते हैं,हमें अपनी असहमतियों से ऊपर उठकर एकजुट रहना चाहिए,उदाहरण के लिए, बाग में कई तरह के फूल होते हुए भी बाग एक ही है,इसी तरह, रीति-रिवाज, बोली-भाषा, त्योहार, खान-पान, वेशभूषा अलग-अलग होते हुए भी हम सब भारतीय हैं।

राष्ट्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि भले ही मेडिविजन की शुरुआत 2015 में हुई हो लेकिन यह विद्यार्थी परिषद की स्थापना काल से ही लोगों के बीच काम करते आया है। मेडिविजन के कार्यकर्ताओं ने हमेशा से ही चिकित्सा के क्षेत्र में अपना सम्पूर्ण समर्पण देकर लोगों को सहायता पहुंचाकर उनके उत्तम स्वास्थ एवं सफल जीवन व्यतीत करने में उनका सहयोग किया है। मेडिविजन के राष्ट्रीय संयोजक डॉ०अभिनंदन बोकरिया ने विश्व बंधुत्व की कामना का उद्घोष करते हुए कहा कि देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखें सूरज हमें रोशनी देता, हवा नया जीवन देती है।

भूख मिटाने को हम सबकी,धरती पर होती है खेती

हमने कोरोना में भी विश्व बंधुत्व की भावना को चरितार्थ करते हुए लोगों को उनकी विसंगतियों से बाहर निकाला है, हम आज भी पहले अपनों फिर अपनी परवाह करते हैं। हमने हमेशा से स्वामी विवेकानन्द जी के सपनों का भारत बनाने की कामना की है, स्वामी जी कहते थे मेरे सपनों के हिंदुस्तान की आत्मा यदि वेदांत होगी तो उसका शरीर इस्लाम होगा। शरीर के बिना आत्मा के अस्तित्व का विचार कोई भी नहीं करेगा। हमने हमेशा विश्व की समस्त जाति एवं धर्म को एक साथ जोड़कर उसके साथ काम करने तथा सभी को समान रूप देने का काम किया है। कार्यक्रम का संचालन मेडिविजन केजीएमयू इकाई की प्रमुख डॉ०शिविली राठौर ने किया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पदाधिकारी सहित भारत एवं नेपाल के मेडिकल के तमाम विद्यार्थी उपस्थित रहे। वैद्यकीय विद्यार्थियों को चिकित्सा को भगवान मानकर काम करने की आवश्यकता -बृजेश पाठक