ममता सरकार गैर जिम्मेदार सरकार का पर्याय..!

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ममता सरकार गैर जिम्मेदार सरकार का पर्याय..!
ममता सरकार गैर जिम्मेदार सरकार का पर्याय..!

डॉ.सुधाकर कुमार मिश्रा

बंगाल प्रांत स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आंदोलन को सकारात्मक और ऊर्जावान नेतृत्व की उर्वरा भूमि थी बंगाल (कोलकाता) में स्वतंत्रता संघर्ष में पुरुषों के साथमहिलाओं का भी अहम योगदान था स्वदेशी आंदोलन,1905 ने भारत में ब्रिटिश शासन( जो अपराजेय मानी जाती थी) की शक्ति को असहाय बना दिया थाब्रिटिश सरकार के आर्थिक स्रोतों पर राष्ट्रवादियों ने विवेकी प्रहार किया था जिसे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार को गंदी राजनीति( कुटिल सोच )का सहारा लेना पड़ा और अभिभाजित कोलकाता को विभाजित कोलकाता में बदलना पड़ा संवैधानिक व्यवस्था में राज्य की मुख्यमंत्री कार्यपालिका प्रधान होने के नाते जनता के प्रति उत्तरदाई होते हैं। राजनीतिक संस्कृति में सरकार जनता के प्रति उत्तरदाई होती है।सरकार अपने शासितों को सुरक्षा ,संरक्षा  और औषधि के अधिकार को सुरक्षा प्रदान करने के लिए राजनीतिक आभार के लिए उत्तरदाई है। ममता सरकार गैर जिम्मेदार सरकार का पर्याय..!

  दुर्भाग्यबस ममता बनर्जी की सरकार जनता को भयमुक्त वातावरण प्रदान करने में असफल है,प्राचीन भारतीय मनीषी, जिनको भारत के प्रशासकीय कला का मर्मज्ञ माना जाता है, उनके दूरदृष्टि दृष्टिकोण के कारण” भारत का  मैकियावेली” कहा जाता है,उनका कहना था कि राजा का सुख प्रजा का सुख होता है और प्रजा का दुःख राजा का दु:ख होता है,आधुनिक राजनीतिक संस्कृति में शासक  शासित के प्रति उत्तरदाई एवं जिम्मेदार है, लेकिन बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार अनुतरदायी एवं गैर जिम्मेदार हो चुकी हैं,विधि एवं व्यवस्था बनाने की संवैधानिक जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है जो राज्य में शांति एवं  सुव्यवस्था बनाने के लिए प्रयासरत रहती है,हालिया घटनाओं से स्पष्ट होता है कि  बंगाल की आरक्षी (बंगाल पुलिस) ममता  बनर्जी सरकार के प्रति भक्ति कर रही है,नौकरशाही किसी सरकार के प्रति भक्ति ना  करके जनता के मध्य भयमुक्त माहौल बनाने के लिए तत्पर होनी चाहिए,संसदीय शासन प्रणाली में नौकरशाही कानूनी विवेकी  होती है लेकिन नौकरशाही ममता जी की नौकरशाही हो चुकी है।

लोकतांत्रिक संस्कृति में सरकार के अंग(विधायिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका) स्वतंत्र और पृथक  होती  हैं लेकिन राज्य में कानून और व्यवस्था की बदहाली को देखकर न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है ,यह घटना सरकार की अकर्मण्यता और नौकरशाही की कार्यशैली की असफलता है,सीबीआई जांच न्यायालय के निर्देश पर हो ,यह  लोकतांत्रिक संस्कृति का पतन होने का संकेत है।

स्वस्थ लोकतंत्र के लिए निर्वाचित सरकार और राज्यपाल के बीच मर्यादित ,लोकतांत्रिक और लोक शिष्टाचार भी होना चाहिए,विगत कुछ महीनो से राज्यपाल और मुख्यमंत्री के मध्य संबंध अच्छे नहीं  है और इससे शर्मनाक  बात है कि यह मुद्दा समाचार पत्रों का विषय हो चुका है। यह किसी भी स्तर की सरकार का तानाशाही का संकेत है जो लोकतंत्र के मूल्यों को भीड़ तंत्र में  रूपांतरित कर रहा है,सरकार अपने कार्यकर्ताओं और वैचारिकी  वाले व्यक्तियों को सम्मानित करती है लेकिन तब दु:खद होता है जब  सम्मान पाने वाला व्यक्ति अयोग्य, अय्याश ,गैर जिम्मेदार और बेहया हो। प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ जघन्य  अपराध में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सबसे बड़े दोषी हैं,ममता बनर्जी की सरकार ने प्राचार्य के त्यागपत्र के चार घंटे में मलाईदार पद देकर राजनीतिक संस्कृति का अपमान किया हैं।

                                             सवाल यह है कि केंद्र सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कानून बना रही है और दूसरी ओर महिलाओं के जीवन की सुरक्षा खतरे में है,ममता बनर्जी की सरकार महिलाओं के खिलाफ होने वाले  जघन्य  अपराधों में भी इतनी संवेदनहीनता क्यों दिखाती हैं? बंगाल पुलिस तृणमूल कांग्रेस  के काकस की तरह क्यों कार्य कर रही है?

                                              केंद्र सरकार के लिए अति आवश्यक है कि:-

केंद्र सरकार अनुच्छेद 359 के तहत हस्तक्षेप करें, विधि और व्यवस्था पर राज्यपाल के प्रतिवेदन पर गहन विचार करके राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करें,बंगाल में बदहाल विधि एवं व्यवस्था पर केंद्र सरकार गंभीर कदम उठाए, महिलाओं के जीवन और मानवाधिकार संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए और भ्रष्ट,अय्याश,गैर जिम्मेदार,अनैतिक और मनोविकार से ग्रसित व्यक्तियों को नैतिकता के आदर्श और मूल्य को अपनाना चाहिए। ममता सरकार गैर जिम्मेदार सरकार का पर्याय..!