लड़कियों को आत्मनिर्भर बनायें

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लड़कियों को आत्मनिर्भर बनायें
लड़कियों को आत्मनिर्भर बनायें

चित्रलेखा वर्मा

मानव जाति का उज्ज्वल भविष्य नारी का स्तर ऊंचा उठाये जाने पर निर्भर है।यही लड़की माता के रूप में निर्मात्री,पत्नी के रूप में शक्ति,संगिनी के रूप में शालीनता,पुत्री के रूप में मधुरिमा बनकर नर को सज्जन, सहृदय, और सशक्त बनाती है।नारी की इस रूपको जाग्रत करने के लिए उसकी आलौकिक शक्तियों को जगाया जाना बहुत ही सुंदर और अच्छा होगा। इस जागरण का प्रथम चरण शिक्षा है। शिक्षित नारी में भी दोष हो सकता है। इस के लिए हमें सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि शिक्षा के बिना कोई गति नहीं है। समग्र रूप में नारी के विकास के लिए शिक्षा की बहुत आवश्यकता है शिक्षा के बिना कुछ भी संभव नहीं है।जीवन विकास की आवश्यक जानकारी, गृहस्थी को ठीक से संचालित और पारिवारिक और सामाजिक जीवन को संपन्न करने के लिए जिस बौद्धिक क्षमता की आवश्यकता होती है उसके लिए शिक्षा की बहुत ही आवश्यकता है। समय की मांग है कि लड़कियों को लड़कों से कम अवसर नहीं मिलना चाहिए। उन्हें अधिक से अधिक अवसर मिलना चाहिए।इसका एक कारण यह भी है कि अगला युग नारी के नेतृत्व में आ रहा है। पुरूषों ने अपनी उदण्ता से दुष्टता को ही बढावा दिया है। जब नारी की करूणा और ममता को नेतृत्व मिलेगा तब समाज में ममता और मानवता की धारा बह निकलेगी। , समस्या का हल ममता और करुणा के आधार पर ही होगा। नारी में कछ जन्म जात गुण है जिसकी वजह से वह हर क्षेत्र में कुशलता से नेतृत्व कर सकती है। इस कारण से उसे अपनी क्षमता के विकास के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अधिक से अधिक अवसर मिलना चाहिए। लड़कियों को आत्मनिर्भर बनायें

आज के इस दौर की भौतिक वादी लोलुपता और कामुकता,दाम्पत्य जीवन के आदर्शों को तहस नहस करने का प्रयास कर रही है। पतिव्रत धर्म एवं मजाक बन रहा है। कला के माध्यम से जिस वैज्ञानिक वितृष्णा को बढ़ावा मिल रहा है जिससे हर पढा लिखा लड़का उस चकाचौंध में पड़ कर पत्नी को बीच मझधार में छोड़ कर दाम्पत्य जीवन को तहस नहस कर देता है। इस तरह के उदाहरण रोज ही सुनाई दे रहे हैं। पत्नियों के पास खून के आंसू बहाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होता है। इस कारण हर सयानी लड़की के सामने एक खतरा रहता है। इस तरह से हर लड़की को शिक्षित होने की बहुत बड़ी आवश्यकता है।

लड़कियों को आत्मनिर्भर बनायें

बदलते वक्त के साथ महिलाओं को भी आगे आने की ज़रूरत है। आज के समय में महिलाओं का सशक्त होना बेहद ज़रूरी है। खासकर लडकियों में कॉन्फिडेंस होना बहुत जरूरी है, क्योंकि आज की लड़कियां अपने दम पर आगे बढ़ना चाहती हैं। लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना ही कामयाबी की पहली सीढ़ी है। बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पेरेन्ट्स का सहयोग और प्रोत्साहन जरूरी है। बच्चों में शुरू से ही कॉन्फिडेंस कूट-कूट कर भरना चाहिए। दरअसल, इंडिया में लड़का-लड़की के बीच भेद-भाव अभी भी इतना है कि लड़कियां खुद को कमजोर और दबी हुई समझने लगती हैं। आज भी लड़कियां अपना करियर अपनी मर्जी से नहीं बना सकती हैं, या कहें कि इसमें बड़ी बाधाएं हैं। ऐसी सोच को जितनी जल्दी हो सके बदलें। लड़का-लड़की में कोई भेद न हो। तभी आपकी बेटी उस ऊंचाई पर पहुंच सकती है, जहां खड़े होने का वो सपना देखती है।

आज के इस दौर में एक सुखी और सुविकसित गृहस्थ संजोने के लिए केवल पति की कमाई से काम नहीं चलेगा,पत्नी को भी धन उपार्जन के लिए घर से बाहर निकलना होगा,इस के लिए उसका शिक्षित होना बहुत ही ज्यादा जरूरी हो जाता है। इस तरह के अनेक कारणों वजह से अब हर अभिभावक का कर्त्तव्य बनता है कि वह अपनी बेटियों को शिक्षा देने के लिए हमेशा तैयार रहें,यही नही उनको बेटे बेटी मे फर्क करते हुए नहीं वरन् उनको उच्च से उच्च शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करें। इस बात से समी अभिभावक सहमत हैं और वे अपनी बेटि बेटियों को पढाते भी है पर उस संदर्भ में उन्हें एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है। अपने देश में यह सोच है कि लड़की से शादी करने वाले लड़के की आयु,आय और शिक्षा ज्यादा ही होनी चाहिए। इस तरह से इस मान्यता के अनुसार लड़की जितनी अधिक पढती जाती है उसी से अधिक शिक्षित वर की जरूरत होती जाती है। पढ़ें लिखे लडको का बाजार उनकी शिक्षा के साथ मंहगा हो ता जाता है और फिर क्रमशः कन्या के पिता के लिए समस्या का बढ़ जाना स्वाभाविक ही है। परिपरिमाण स्वरूप उन्हें उतनी अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लड़कियों को आत्मनिर्भर बनायें

दूसरी कठिनाई यह आती हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त करते -करते, और लड़कियों के लिए उचित वर ढूढते -ढूंढ ते देर हो जाती है और होता क्या है बड़ी उम्र की लड़कियों के लिए उनके उम्र से बडे लडके मिलना मुश्किल हो जाता है।पहले तो भारत में बाल विवाह की समस्या थी अब तो सुधार हो गया है। ज्यादातर लडकों की शादी पच्चीस साल से लेकर तीस साल के अंदर ही हो जाती है। इस उम्र से ज्यादा के लडके इक्के दूक्के ही मिल पाते है। और अगर कोई शख्स मिलता भी है तो वह उम्र में काफी बड़ा होता है, या फिर तीन चार बच्चों का बाप होता है। इन सभी कारणों से सुसुक्षित कन्याओं के विवाह की समस्या जटिल होती जा रही है। कहने का मतलब है कि इस तरह उच्च शिक्षा उनके लिए एक तरह से अभिशाप बन जाती है।

इस तरह से अभिभावक या तो लडकियों को उच्च शिक्षा देते नहीं है या फिर बिना ज्यादा पढ़ाये कम उम्र मे शादी कर देते हैं यह स्थिति भी अच्छी नहीं है। विवेक की दृष्टि से बालिकाओं को उच्च शिक्षा से बंचित रखना अच्छी बात नहीं है। इस तरह के उदाहरण तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।जिससे उपर्युक्त दो उलझनों का हल न निकल ने के कारण हजारों सुशिक्षित कन्याओं को कुंवारी रहने के लिए विवश होना पड़ता है। उनकी और उनके अभिभावकों की उच्च शिक्षा के बारे में अच्छी राय नहीं होती है। इस कठिनाई के डर से या तो कम पढ़ा कर या नहीं पढ़ा कर उनकी शादी कम उम्र में ही कर दी जाती है। लेकिन इसका हल तो निकालना पडे़गा ।

विवेक की दृष्टि से कन्याओं को उच्च शिक्षा का मिलना अति आवश्यक है।किसी भी तरह से उस अवसर को खोना नहीं चाहिये।हमें इस दृष्टि को बदलना चाहिए। जिससे हमारे समाज में सुयोग्य और सुशिक्षित कन्या की संख्या में बढ़ोतरी हो। इसके अलावा इस मूढ़,मान्यता को भी बदला जाना चाहिए कि कन्या वर से आयु, एवं शिक्षा में कम हीना चाहिए। सच तो बात यह है कि वधू की वयस्कता और परिपकवता पर गृह व्यवस्था और सुयोग्य सन्तान का होना निर्भर हैं। वर की आयु अगर कन्या से कम भी हो तो भी इससे कोई बुरा असर नही ही पड़ेगा।औरत को मारने,पीटने,पैरों तले दबाऐ रखने के लिए मर्द का बडा होना जरूरी होता था अब इस बात की कोई जरूरत नहीं है। इस तरह से कम शिक्षित वर से इतनी हानि दियासलाई कि वह कुछ कम कमायेगा । मेरे विचार से कम शिक्षित होने और कम आयु के होने से पति -पत्नी के आपसी रिश्तों में कोई कडवाहट नहीँ आनी चाहिए हाँ इसके लिए उन्हें मानसिक रूप से स्वयं कोअनुशासित रखना पडे़गा ।

जिस प्रकार अधिक समर्थ अधिक शक्तिशाली अधिक शिक्षित वर पत्नी के लिए जितना आवश्यक हैं उसी तरह से अधिक सुसंस्कृत,शिक्षित,अधिक सुयोग्य और अधिक कमाऊ पत्नी भी वर के लिए भी लाभकारी होगी। इस तरह का लाभ वर को मिलना चाहिए। लड़की को उच्च शिक्षा दिलाने के साथ- साथ उसका यह मनोभूमि भी तैयार करनी चाहिए कि अगर उसका जोवन साथी कम उम्र,कम शिक्षित है तो उसको इस बात से असहमत नहीं होना चाहिए। लडको को भी स्वीकार करना चाहिए कि अपने से ज्यादा आयु और शिक्षित पत्नी स्वीकार करने मे कोई इज्जत का सवाल नही ह । इसमे उन्हें अपनी हेटी नही ही समझनी चाहिए। लड़की कुछ अधिक कमा सके और लडका कुछ कम कमाये तो दाम्पत्य जीवन की एकता के लिए, इससे कुछ बनता बिगडता भी नहीं है। दहेज में कोई भी रकम पाने की अपेक्षा सुशिक्षित कन्या के साथ शादी करना बेहतर है। लड़की वह जायजद हैं जो हर महीने अपने परिवार को आमदनी दे सकती है। कन्या की उच्चशिक्षा बढनी चाहिए। इस तरह के दृष्टिकोण बरते जाने चाहिये। परिवार पति-पत्नी के परस्पर सहयोग से ही चलता है समाज मे इस बात का प्रचार प्रसार हेतु समाज के सभी सदस्यों का दायित्व है कि इस बात का समर्थन करना चाहिए। लड़कियों को आत्मनिर्भर बनायें