लखीमपुर खीरी का थप्पड़ काण्ड

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लखीमपुर खीरी का थप्पड़ काण्ड
लखीमपुर खीरी का थप्पड़ काण्ड

—– उत्तर प्रदेश उपचुनाव —–

लखीमपुर खीरी का थप्पड़ काण्ड। कुर्मी बनाम ठाकुर की लड़ाई, भाजपा के लिए उपचुनाव की 4 सीटों पर पड़ने वाला है असर। लखीमपुर कोआपरेटिव बैंक चुनाव का विवाद अब यूपी की सियासत से लेकर देश में पिछड़ों और दलितों में भय व दहशत पैदा कर दिया है। लखीमपुर खीरी का थप्पड़ काण्ड

लखीमपुर खीरी के थप्पड़ काण्ड से कुर्मी समाज आक्रोशित है, प्रशासन की हीला हवाली से और भी दुखी है, जिलाधिकारी से लेकर कोतवाल तक सभी ठाकुर बिरादरी होने के नाते उसे न्याय मिलने में संदेह है।मारपीट के पूरे प्रकरण को योगेश वर्मा ने कुर्मी का अपमान बताया है, वर्मा के कई हजार समर्थक कार्रवाई न करने को लेकर लगातार विरोध कर रहे हैं, कहा जा रहा है कि कुर्मी वनाम ठाकुर का यह विवाद अगर और ज्यादा बढ़ता है तो इसका सीधा नुकसान बीजेपी को हो सकता है। लखीमपुर कोआपरेटिव बैंक चुनाव का विवाद अब यूपी की सियासत से लेकर देश में पिछड़ों और दलितों में भय व दहशत पैदा कर दिया है। विरोध प्रदर्शन की आग लखीमपुर खीरी कलेक्ट्रेट में दिखाई दी, जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल प्रर्दशन कारियों से मिलने नहीं आईं, सब कुछ पुलिस अधीक्षक ने संभाला। जो नारे सड़कों पर प्रदर्शनकारियों द्वारा लगाए जा रहे हैं उससे पता चलता है कि बीजेपी विधायक योगेश वर्मा पर मारपीट का मामला ठाकुर वनाम कुर्मी की राजनीतिक अदावत में बदलता जा रहा है,कहा जा रहा है कि विवाद की आग और ज्यादा सुलगती है, तो इसका सीधा असर आने वाले उपचुनाव पर पड़ सकता है,यूपी में 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिस पर 4 सीटों पर कुर्मियों को काफी संख्या है।

लखीमपुर बैंक कॉपरेटिव चुनाव में लखीमपुर खीरी बार एसोसिएशन अध्यक्ष अवधेश सिंह और विधायक योगेश वर्मा में कहासुनी हो गई थी,जिसके बाद सदर कोतवाल अम्बर सिंह के सामने आक्रामक तरीके से अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अवधेश सिंह ने थप्पड़ जड़ दिया, आक्रामक अवधेश सिंह वहीं पर नहीं रुके और गाली देते हुए दुबारा जड़ दिया। पुनः कोतवाल और उनके विश्वास पात्र पुलिस के सामने ही उनके समर्थकों ने विधायक की पिटाई कर दी,मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुवा। पुलिस विधायक योगेश वर्मा को ही धकेलती रही। विधायक का पुलिस वाला गनर कोई भी एक्शन नहीं लिया, ऐसा प्रत्यक्ष दर्शियों का कहना है।

योगेश वर्मा के समर्थकों का कहना है कि पुलिस इस मामले में अवधेश सिंह के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रही है, योगेश वर्मा ने इस पूरे मामले को कुर्मी समुदाय का अपमान बताया है, और वे अपने घर में ही हैं। लखीमपुर में ठाकुर वनाम कुर्मी की सियासी जंग पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि योगेश वर्मा पिछड़े समुदाय के हैं, इसलिए मारपीट करने वालों पर पुलिस कोई एक्शन नहीं ले रही है, कई दिन हो गए सत्ता पक्ष के विधायक की ही एफ आई आर नहीं लिखी गई। कहा जा रहा है कि सपा इस मुद्दे के जरिए उपचुनाव को साधने में जुटी है,जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें कटेहरी, मझवां, फूलपुर और सीसामऊ सीट पर कुर्मी समुदाय की संख्या अधिक है।4 में से 2 पर ही 2022 में सपा को जीत मिल पाई थी।

मझवां विधान सभा क्षेत्र

मिर्जापुर की मझवां विधानसभा पर कुर्मी फैक्टर है. यहां पर ब्राह्मण, बिंद और दलित के बाद कुर्मी की आबादी सबसे ज्यादा है,अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से ही लोकसभा की सांसद हैं। मिर्जापुर में सपा ने ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है. ज्योति पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी हैं,बीजेपी ने अभी इस सीट पर पत्ता नहीं खोला है,निषाद पार्टी और अपना दल (सोनेलाल) यहां से दावेदारी कर रही है। सवर्ण वोटरों को साधने के लिए मझवां में इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस के अजय राय मैदान में हैं,अजय राय कांग्रेस की तरफ से मझवां से प्रभारी हैं. कहा जा रहा है कि दोनों गठबंधन की आधिकारिक घोषणा के बाद राय मझवां में ही डेरा डालेंगे।

फूलपुर विधानसभा क्षेत्र

प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट भी कुर्मी बहुल है. यहां से कुर्मी समुदाय के प्रवीण पटेल 2022 में जीतकर सदन पहुंचे थे. बीजेपी कुर्मी के सहारे ही यह सीट जीतती रही है. सपा ने यहां से दूसरे मजबूत मुस्लिम समुदाय को टिकट दिया है। यदि लखीमपुर खीरी का स्वाभिमान जागता है तो समाजवादी पार्टी के फूलपुर से सपा के सिंबल पर मुस्तफा सिद्दीकी आसानी से चुनाव जीत सकते हैं। 2022 में सपा को इस सीट पर सिर्फ 3 हजार वोटों से ही हार मिली थी।फूलपुर विधानसभा सीट 2009 में आस्तित्व में आया था, तब से यहां 2 बार कुर्मी और एक बार मुस्लिम विधायक चुने गए हैं।

कटेहरी विधानसभा क्षेत्र

अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर भी कुर्मी की संख्या है, कहा जाता है कि इस सीट पर ब्राह्मण और कुर्मी की आबादी लगभग एक जैसी है, यहां से लालजी वर्मा विधायक थे, जो अब अंबेडकरनगर सपा के सांसद बन गए हैं। एनडीए गठबंधन में पिछली बार यह सीट निषाद पार्टी को मिली थी,निषाद पार्टी के अवधेश कुमार दिवेदी यहां से 8 हजार वोटों से हार गए थे,इस बार बीजेपी यहां जीतने की रणनीति पर काम कर रही है, भाजपा से अवधेश द्विवेदी, धर्मराज निषाद और अजीत सिंह जोर शोर से प्रचार कर रहे हैं, समाजवादी पार्टी ने सासंद और कटेहरी के पूर्व विधायक लाल जी वर्मा के मंशानुरूप उनकी पत्नी शोभावती वर्मा को टिकट दिया है, बी एस पी से कांग्रेस छोड़ कर आए जितेन्द्र वर्मा मैदान में हैं,हालांकि, लखीमपुर का मामला जिस तरह तूल पकड़ रहा है, उससे अब यहां कुर्मी समुदाय के ध्रुवीकरण होने की संभावनाएं और ज्यादा बढ़ गई है।

सीसामऊ विधान सभा क्षेत्र

कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव हो रहे हैं, यहां से सपा ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है,सीसामऊ सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है, इसके बाद कायस्थ, ब्राह्मण, दलित और बनिया हैं। सीसामऊ में कुर्मी की आबादी भी 20 हजार के आसपास है, जो जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं,बीजेपी ने पिछले चुनाव में यहां से वैश्य समुदाय के उम्मीदवार उतारे थे, हालांकि,इरफान जीतने में कामयाब रहे थे। लखीमपुर खीरी का थप्पड़ काण्ड