कर्मयोगी बने देश के प्रधान,स्मार्ट पंचायत सिर्फ शब्द नहीं बल्कि देश की आत्मा।
लखनऊ। प्रधानमंत्री के ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के विजन को साकार करने के लिए एसे स्मार्ट गांव, जो जमीनी स्तर पर सेवा और रोजगार देने के लिए स्वतंत्र हों। इस संदर्भ में आज लखनऊ में “स्मार्ट विलेज पंचायत : ग्रामीण समुदायों का सशक्तिकरण, कोई भी पीछे न छूटे” विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह और केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने किया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुये केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि देश के प्रधानों को फंड से आगे सोचने की जरुरत है।उन्होने कहा कि देश के कर्मयोगी ग्राम प्रधानों को ग्रीन एनर्जी,बायोगैस,नेचुरल फार्मिंग, ई-लाईब्रेरी,ई-फार्मिंग,ई-रोजगार,स्वयं सहायता समूह ,जनभागीदारी और अन्य तकनीक के माध्यम से ग्राम पंचायतो को स्मार्ट बनाने की आवश्यकता है।श्री सिंह ने कहा कि देश के प्रधानों को मध्य प्रदेश,केरल,चंडीगढ और कोयंबटूर के कर्मयोगी प्रधानों से सीख लेनी चाहिये जिन्होंने धन के अभाव और तमाम दिक्कतों के बावजूद तकनीक का प्रयोग कर अपने गांवो को सिर्फ स्मार्ट ही नहीं बनाया बल्कि राज्य सरकार से एग्रीमेंट कर,बिंजली बेंचकर व अन्य माध्यमों से गांव की आमदनी में सलाना 10 से 15 लाख रुपये की वृद्दि कर पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाया।उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों को शिक्षायाक्त,पोषण युक्त,ग्रीन एनर्जी युक्त ,सड़क युक्त और पूर्ण रोजगार पंचायत बनाने की आवश्यकता है ।केंद्रीय मंत्री ने कहा एसे ग्राम प्रधानों को जो अपने गांवो को तकनीक का प्रयोग कर स्मार्ट बनायेंगे ,भारत सरकार उन्हें आनेवाले समय में ‘’कर्मयोगी’’ पुरुस्कार देकर सम्मानित करेगी।
केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ने कहा कि ‘’स्मार्ट पंचायत’’ सिर्फ एक शब्द नही बल्कि देश की आत्मा है।उन्होंने कहा कि स्मार्ट पंचायतों से ही प्रधानमंत्री का 5 ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था का सपना साकार होगा।देश तभी आगे बढेगा जब ग्राम पंचायतें मजबूत होगी,जिससे भारत का एक्सपोर्ट बढेगा।श्री सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायतो को नेचुरल फार्मिंग पर बल देने की आवश्यकता है।इससे देश के नागरिक अस्पतालों से दूर रहेंगे और कैंसर जैसी बीमारी में कमी आयेगी।उन्होंने कहा कि फंड देने में केंद्र सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है,पिछले पांच वर्षो में उतर प्रदेश को पचास हजार करोड़ रुपये का फंड दिया गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के वैज्ञानिक शोध कर रहे है प्लाज्मा एक्टिवेटेड वाटर प्रणाली पर जोर दिया जा रहा है।उन्होंने कहा कि अगर यह सपना साकार होता है और हर ग्राम पंचायत में प्लाजमा वाटर तकनीक आ जाती है तो देश को यूरिया आयात की आवश्यकता नहीं पडेगी। स्वयं सहायता समूह के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महिलाओं के यह समूह जेंडर एम्प्लॉइमन्ट को बढावा देंगे जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
श्री सिंह ने कहा कि ग्राम सभाओं में लोग हिस्सा नहीं लेते इसके लिये आवश्यक है कि देश के कर्मयोगी प्रधान ग्रामवासियों को ये विश्वास दिलाये कि ये सभाये नागरिकों और देश के हित के लिये है।केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का सपना है कि वर्ष 2070 तक भारत ‘कार्बन तटस्थता’ को हासिल करें।इस लक्ष्य को हासिल करने में ग्राम पंचायतों की भूमिका काफी अहम रहेगी। इस अवसर पर केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने कहा कि “स्मार्ट विलेज पंचायत : ग्रामीण समुदायों का सशक्तिकरण, कोई भी पीछे न छूटे” विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन से प्रधानों को हौंसला मिलेगा।उन्होंने कहा कि फंड के अभाव में दम दिखाने की आवश्यकता है।श्री पाटिल ने कहा कि हर ग्रामवासी को आदर्श बनाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ग्राम सचिवालय में कम्प्यूटर दिए गए हैं और वाईफाई की सुविधा है। इससे 243 प्रकार की सेवाएं ग्रामीणों को मिलेंगी। इससे ग्रामीणों को कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी। गांव के विकास कार्यों में पारदर्शिता लानी है। सभी भुगतान को पारदर्शी तरीके से करने के लिए फाइनेंसियल मैनजेमेंट सुविधा का उपयोग करना है। स्मार्ट पंचायत की परिकल्पना को साकार करना है। ढांचागत व्यवस्था सड़क पेयजल, शिक्षा, खेलकूद की व्यवस्था करनी है। हर ग्राम पंचायत में यह सब हो सकता है। जनभागीदारी के माध्यम से इसे आगे बढ़ाया जा सकता है।
दो दिवसीय सम्मेलन में डिजिगांव, ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता, केरल में एकीकृत स्थानीय शासन प्रबंधन प्रणाली (आईएलजीएमएस), स्मार्ट विलेज पंचायतों का वित्तीय विकास, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल नेटवर्क कवरेज बढ़ाना, कुशल शासन और आर्थिक विकास के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी, ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिए प्रौद्योगिकी विकल्प, स्मार्ट विलेज पंचायतों में स्मार्ट कनेक्टिविटी की भूमिका, उन्नत भारत अभियान, डिजिटल लाइब्रेरी- कर्नाटक, अपस्किलिंग रूरल इंडिया, ग्रामीण क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में चुनौतियां, कम लागत वाले और वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य ऊर्जा समाधान, ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की पहल, कृषि में परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियां, कृषि अवशेष प्रबंधन, स्मार्ट कृषि अवसर, भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर एक जिला एक उत्पाद योजना का प्रभाव, ग्रामीण बाजार और रूरल ई-कॉमर्स में अवसर, ई-चौपाल मॉडल- भारतीय एग्रीबिजनेस क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का दोहन, स्मार्ट एग्रीकल्चर में सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाएं, मीननगड़ी पंचायत, केरल- कार्बन न्यूट्रैलिटी की ओर, ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाएं, आईटी और संबंधित प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने वाले नागरिक केंद्रित स्वास्थ्य देखभाल, आंध्र प्रदेश की इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड पहल, ग्रामीण स्वास्थ्य तैयारी और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, पूर्वोत्तर भारत में स्मार्ट विलेज पंचायतों में सामुदायिक एकजुटता और भागीदारी पर प्रस्तुतीकरण दिए गए। इस कार्यक्रम में कई उद्योग विशेषज्ञों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि/ वरिष्ठ अधिकारी और नीति निर्माताओं एवं शासन तथा नागरिक सेवाओं के सुधार से जुड़े प्रमुख व्यक्ति शामिल हो रहे है।