

आज पूरी दुनिया रोबोटिक्स, ड्रोन और एआई के क्षेत्र में तेजी से प्रवेश कर रही है। यहां यदि हम ड्रोन्स के उपयोगों और प्रयोगों की बात करें तो इनमें क्रमशः जलवायु परिवर्तन की निगरानी, माल परिवहन, खोज और बचाव कार्यों में सहायता करना और कृषि आदि शामिल हैं। कोरोना काल में चिकित्सा सहायता पहुंचाने और परिवहन में ड्रोन्स की भूमिका किसी से छिपी नहीं हुई है। पाठकों को बताता चलूं कि ड्रोन एक उड़ने वाला एक रोबोट या मशीन है जिसे अपने एम्बेडेड सिस्टम में सॉफ़्टवेयर-नियंत्रित उड़ान योजनाओं का उपयोग करके किसी स्थान विशेष या रिमोट एरिया से कंट्रोल किया जा सकता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि एक रोबोट स्वायत्त रूप से उड़ सकता है जो ऑनबोर्ड सेंसर और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के साथ मिलकर काम करता है। ड्रोन्स का इस्तेमाल आज विभिन्न ऐतिहासिक इमारतों की थ्री-डी मैपिंग में,ई-कामर्स डिलीवरी में, विभिन्न मिलिट्री और रेस्क्यू आपरेशन्स में, विभिन्न सिक्योरिटी एजेंसियों द्वारा निगरानी के लिए, जासूसी के लिए, जंगली जानवरों की ट्रैकिंग/निगरानी के लिए तथा फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में किया जाता रहा है। आज विभिन्न तस्कर, माफिया ड्रोन्स का उपयोग मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों की अवैध तस्करी के लिए भी कर रहे हैं, यह देश-दुनिया के लिए एक नये खतरे के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। ड्रैगन के इरादों पर पैनी नजर जरूरी
कहना ग़लत नहीं होगा कि ड्रोन ने आज युद्ध के चरित्र को बदल दिया है। आज के युग में सशस्त्र ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। पाठकों को जानकारी के लिए बताता चलूं कि हाल ही में रूस के कजान शहर में अमेरिका के 9/11 जैसा हमला हुआ। एक प्रसिद्ध न्यूज एजेंसी के मुताबिक, यूक्रेन ने कजान पर 8 ड्रोन अटैक किए। इनमें से 6 अटैक रिहायशी इमारतों पर किए गए। इस संबंध में सोशल मीडिया पर हमले की घटना के कई वीडियो वायरल भी हुए जिनमें कई ड्रोन इमारतों से टकराते नजर आए तथा इन हमलों के बाद कजान समेत रूस के दो एयरपोर्ट्स को भी बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं, हाल ही में हूती, हिज्बुल्लाह और ईऱान ने भी इजरायल के खिलाफ जमकर ड्रोन हमले किए थे जिससे इजरायल को काफी नुकसान हुआ था। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज टेक्नोलॉजी मानवजाति के लिए सुविधा के साथ ही गंभीर खतरा भी बनती चली जा रही है। सच तो यह है कि अनेक देशों, विभिन्न आतंकवादी समूहों के बीच ड्रोन टेक्नोलॉजी का तेजी से प्रसार आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय(मानवजाति) के लिए एक नया व गंभीर खतरा बन गया है। आज संयुक्त राज्य अमेरिका, इज़राइल, यूनाइटेड किंगडम, पाकिस्तान, इराक, नाइजीरिया, ईरान, तुर्की, अज़रबैजान, रूस और संयुक्त अरब अमीरात, सीरिया, चीन जैसे देश ड्रोनों का प्रयोग हमले के लिए कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका, इजराइल और चीन विश्व में ड्रोन के सबसे बड़े उत्पादक और विक्रेता हैं। रिपोर्ट्स यह भी बतातीं हैं कि चीन तो ड्रोन्स की दुनिया का बादशाह है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि कुछ समय पहले चीन ने तुर्की और अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए वैश्विक ड्रोन मार्केट पर कब्जा जमा लिया था और पिछले एक दशक में चीन से सबसे ज्यादा देशों को सबसे ज्यादा यूनिट आर्म्ड ड्रोन निर्यात किए। कहना ग़लत नहीं होगा कि इन चीनी ड्रोन्स की मदद से खरीदार देशों ने अपनी सैन्य आकांक्षाओं को पूरा किया है। आज भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपने शस्त्रागार में सैन्य ड्रोन का इज़ाफ़ा कर रहे हैं। विश्व के अनेक देश आज ऐसा कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि आज एशिया की तीन पड़ोसी परमाणु शक्तियों भारत, पाकिस्तान और चीन की ओर से अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए बिना पायलट उड़ान भरने वाले ड्रोन के इस्तेमाल में तेज़ी देखी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सेना में व्यापक पैमाने पर ड्रोन के शामिल होने से आज युद्ध के तरीके बदल गये हैं और यह आशंका जताई जा रही है और आने वाले समय में किसी भी विवाद या झड़प अथवा युद्ध की स्थिति में ड्रोन्स का इस्तेमाल बहुत अधिक होगा। हाल ही में मीडिया के हवाले से खबरें आईं हैं कि भारत के पड़ौसी ड्रैगन (चीन) ने अपनी सेना के लिए दस लाख ड्रोन्स का आर्डर दिया है. वाकई यह बहुत ही चिंताजनक बात है। यह बहुत ही गंभीर और संवेदनशील है कि आज विश्व की महाशक्तियों के बीच आधुनिक ड्रोन्स से अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने की होड़ लग गई है। चिंताजनक है कि चीन अपनी सेना को ड्रोन क्षमताओं से सम्पन्न करने के लिए कमर कस चुका है। हाल ही में चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा अपनी सेना पीएलए के लिए 10 लाख कामीकाजी ड्रोन के महाआर्डर देने के बाद से पूरी दुनिया में इसकी खूब चर्चा हो रही है। इस संबंध में विश्लेषकों का यह मानना है कि यह चीन की ताइवान के साथ युद्ध की तैयारी है। पाठकों को यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि ये वही ड्रोन है जिसने आर्मेनिया-अजरबैजान से यूक्रेन-रूस युद्ध तक में तबाही मचाई है। चीन का अपनी सेना के लिए इतनी बड़ी संख्या में ड्रोन्स का आर्डर दिया जाना कहीं न कहीं यह संकेत देता है कि चीन आने वाले समय में आधुनिक युद्ध में इनका इस्तेमाल करने वाला है।
गौरतलब है कि जहां एक ओर चीन बड़े पैमाने पर युद्ध की तैयारी में जुटा है, वहीं भारत अभी ड्रोन्स तकनीक और ड्रोन्स की संख्या के लिहाज से चीन से काफी पीछे है। चीन ने यह आर्डर इसलिए दिया है क्यों कि ये मिसाइलों की तुलना में कहीं अधिक सस्ते लेकिन अत्यंत खतरनाक और विस्फोटक सिद्ध होते हैं। चीन भारत का पड़ौसी लेकिन हमेशा से दुश्मन देश रहा है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। यहां कहना ग़लत नहीं होगा कि चीन का इतनी बड़ी संख्या में ड्रोन्स का आर्डर देना भारत के लिए खतरा साबित हो सकता है। यह बात अलग है कि भारत और चीन की सरकारों के बीच हाल फिलहाल में कई उच्च स्तरीय मुलाक़ातें हुई हैं और इनके ज़रिए दोनों देशों के रिश्तों में साल 2020 से आया तनाव(गलवान घाटी हिंसा के बाद चले आ रहे एलएसी विवाद) काफी हद तक कम हुआ है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(एनएसए) के बीजिंग पहुंचने पर चीन ने यह बात कही है कि वह भारत के साथ मिलकर आपसी विश्वास और भरोसा बढ़ाने के लिए काम करने को तैयार है।
बहरहाल, जरूरत इस बात की है कि भारत चीन की मंशा(ड्रोन निर्माण का ऑर्डर) पर सतर्कता बरते। यह ठीक है कि भारत युगों-युगों से परस्पर विश्वास, आपसी सौहार्द, मेल-मिलाप, सद्भावना, एक-दूसरे का सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता को संबंधों का आधार मानकर शांति और संयम में विश्वास करता रहा है लेकिन भारत को यह चाहिए कि वह ड्रैगन की हर हरकतों पर अपनी पैनी नजर बनाए रखे। ड्रैगन के इरादों पर पैनी नजर जरूरी