हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का महत्‍व

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हिंदू धर्म में मान्यता है कि तुलसी के बिना भगवान श्री हरि और श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी रहती है। इसके अलावा तुलसी का भोग हनुमान जी को भी लगाया जाता है। पौराणिक कथा है कि बिना तुलसी के भोग के हनुमान जी संतुष्ट नहीं होते हैं।हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत अधिक महत्‍व दिया गया है। इन पौधे को देवतुल्‍य माना गया है और इसलिए हर हिंदू परिवार में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। मगर धार्मिक महत्‍व के साथ-साथ तुलसी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है, साथ ही इसकी पत्तियों का इस्‍तेमाल खाने को स्‍वादिष्‍ट बनाने में भी किया जा सकता है। खासतौर पर सर्दी, खांसी और बुखार जैसी समस्‍या को तुलसी के पत्‍ते का सेवन कर ठीक किया जा सकता है। इसलिए लोग अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाते हैं और आवश्‍यकता पड़ने पर तुलसी के पत्‍तों को तोड़ते भी हैं। मगर शास्‍त्रों में तुलसी के पत्‍तों को तोड़ने के कुछ नियम-कायदे बताए गए हैं। 

नाखून से न तोड़ें तुलसी के पत्‍ते 

कई लोग तुलसी का पत्‍ता तोड़ने के लिए नाखून का इस्‍तेमाल करते हैं, मगर एसा नहीं करना चाहिए। तुलसी को तोड़ने के लिए नाखून की जगह उंगली की पोर का इस्‍तेमाल करें। हो सके तो तुलसी के पत्‍ते तोड़ने की जगह आपको गमले में पहले से गिरे तुलसी के पत्‍तों का ही इस्‍तेमाल करना चाहिए। 

किस दिन न तोड़ें तुलसी का पत्‍ता

शास्‍त्रों के अनुसार तुसली का पत्‍ता कभी भी रविवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। अमावस्‍या, चतुर्दशी और द्वादशी के दिन भी तुलसी के पत्‍ते तोड़ना पाप माना गया है। रविवार के दिन तुलसी के पौधे पर जल भी नहीं चढ़ाना चाहिए। जो व्‍यक्ति बताए गए दिनों में तुलसी के पत्‍ते तोड़ता है, उसे आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

हिंदू धर्म में मान्यता है कि तुलसी के बिना भगवान श्री हरि और श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी रहती है। इसके अलावा तुलसी का भोग हनुमान जी को भी लगाया जाता है। पौराणिक कथा है कि बिना तुलसी के भोग के हनुमान जी संतुष्ट नहीं होते हैं।

किस समय न तोड़ें तुलसी का पत्‍ता 

सूर्य देव के अस्‍त होने के बाद तुलसी का पत्‍ता न तोड़ें। शास्‍त्रों में इस बात का जिक्र मिलता है कि शाम के समय देवी तुलसी, जिन्‍हें श्री राधा का स्‍वरूप माना गया है, वे वन में श्री कृष्‍ण के साथ रास रचाने जाती हैं। यदि उनके रास में कोई व्‍यवधान उत्‍पन्‍न करता है तो उसे श्री राधा के साथ-साथ श्री कृष्‍ण के क्रोध का भी भागी बनना पड़ता है। इसके अलावा चंद्र और सूर्य ग्रहण के समय भी तुलसी के पत्‍तों को नहीं तोड़ना चाहिए। 

तुलसी के पत्‍तों को कब न लगाएं हाथ 

तुलसी के पौधों को हमेशा स्‍नान करने के बाद साफ हाथों से ही छूना चाहिए। यदि तुलसी के पत्‍ते पहले से ही टूटे हुए हैं तो उन्‍हें भी हाथ साफ करके ही छूएं। यदि आपके घर में लड्डू गोपाल हैं और आप उनके पास तुलसी के टूटे हुए पत्‍ते रखती हैं या फिर श्री कृष्‍ण को प्रसाद चढ़ाने के लिए पुराने टूटे हुए तुलसी के पत्‍तों का इस्‍तेमाल करती हैं, तो आपको 11 दिन से ज्‍यादा पुराने पत्‍तों का इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए। 

हिन्दू धर्म में सभी अपने दरवाजे या आंगन में तुलसी का पौधा लगाते है। शरीर के कई विकारों के लिए भी यह फायदेमंद है।जो पवित्र है, हमारे लिए समर्पित है, उसे हम माँ कहते है।इसलिए हम उन्हें माँ तुलसी कहते है। 

भूल से भी इन पर न चढ़ाएं तुलसी के पत्‍ते 

तुलसी भगवान विष्‍णु को आतिप्रिय है, इसलिए आप भगवान विष्‍णु के किसी भी स्‍वरूप को तुलसी के पत्‍ते चढ़ा सकते हैं। मगर तुलसी के पत्‍ते को कभी भी शिव जी और भगवान गणेश पर नहीं चढ़ाना चाहिए। आपको बता दें कि श्री राधा भगवान शिव को अपना आराध्‍य मानती हैं और तुलसी का पौधा श्री राधा का ही एक स्‍वरूप है। 

तुलसी के पौधे को लक्ष्मी स्वरूप माना जाता है और जिस घर में तुलसी होती है वहां विष्णुपत्नी का वास होता है।इसके साथ ही घर में तुलसी का पौधा होने से पवित्रता बनी रहती है और नकारत्मकता दूर होती है।वहीं तुलसी को औषधी पौधा भी माना जाता है।

तुलसी के मुरझाए पौधे और पत्‍तों का क्‍या करें 

घर में यदि तुलसी का पौधा पूरी तरह से सूख चुका है और उसमें एक भी पत्‍ता नहीं उग रहा है तो ऐसे पेड़ को घर पर न रखें बल्कि इसे किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर दें क्‍योंकि घर पर सूखा हुआ तुलसी का पौधा रखना अशुभ माना गया है। 

तुलसी के पौधे को पश्चिम दिशा की तरफ भी रखा जा सकता है।ध्यान देने वाली बात ये है कि दक्षिण-पश्चिम में और दक्षिण में हमेशा श्यामा तुलसी रखी जाती है। श्यामा तुलसी में पत्तियां बिल्कुल हरी और बड़ी होती हैं। इसे तुलसा जी भी कहते हैं। 

पुराणों में बताया गया है कि तुलसी का पौधा घर के आंगन में लगाने से और देखभाल करने से इंसान के पहले के जन्म के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। पुराणों के अनुसार तुलसी के पत्ते को गंगाजल के साथ मृत्यु के समय लेने से व्यक्ति की आत्मा को शान्ति मिलती है साथ ही वह स्वर्ग में जाता है।