
मुख्यमंत्री आवास पर वीर बाल दिवस एवं साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष पर कीर्तन समागम का आयोजन। मुख्यमंत्री ने अपने शीश पर साहिब श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के पावन स्वरूप को धारण कर, आगमन एवं स्वागत करते हुए आसन पर विराजमान किया। इतिहास उन्हीं का बनता, जिनके मन में त्याग व बलिदान करने की इच्छाशक्ति होती, भारत का इतिहास त्याग व बलिदान का इतिहास। गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के साहिबज़ादों ने अत्यन्त कम उम्र में देश व धर्म के लिए स्वयं का बलिदान कर दिया, उनका बलिदान देश के युवाओं के लिए प्रेरणा। प्रधानमंत्री जी ने गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबजादों की स्मृतियों को नमन करने हेतु 26 दिसम्बर की तिथि को देश में वीर बाल दिवस को राष्ट्रीय समारोह के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया। गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज ने देश व समाज को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य किया। गुरु नानक देव जी महाराज ने मानवता के कल्याण के लिए कार्य करते हुए बिना रुके, बिना झुके व बिना डिगे पाखण्ड के विरुद्ध आवाज उठाई। जब हम स्वदेश व स्वधर्म को प्राथमिकता देते, तब हमारी गति प्रगति की ओर जाती, सिख गुरुओं का इतिहास इसी प्रगति का प्रमाण। भारत के 140 करोड़ लोग व दुनिया भर के सनातन व सिख धर्मावलम्बी गुरु गोबिन्द सिंह जी, गुरु तेग बहादुर जी, गुरु नानक देव जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे। देश साहिबज़ादों पर गौरव की अनुभूति व उनका नित्य स्मरण करता, चार साहिबज़ादे हिन्दुस्तान के प्रत्येक पाठ्यक्रम का हिस्सा। मुख्यमंत्री ने साहिब श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के समक्ष मत्था टेका, सिख सन्तों का सम्मान किया तथा लंगर छका। इतिहास किसी का कैसे बनता है:मुख्यमंत्री
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि इतिहास उन्हीं का बनता है, जिनके मन में त्याग व बलिदान करने की इच्छाशक्ति होती है। इतिहास उनका नहीं बनता है, जो तात्कालिक स्वार्थ के लिए समर्पण करते हैं। देश समर्पण से नहीं, बल्कि त्याग व बलिदान से चलता है। भारत का इतिहास त्याग व बलिदान का इतिहास है। गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के साहिबज़ादों ने अत्यन्त कम उम्र में देश व धर्म के लिए स्वयं का बलिदान कर दिया। उन्हें हर प्रकार का प्रलोभन दिया गया, किन्तु वह विचलित नहीं हुए। उनका बलिदान देश के युवाओं के लिए प्रेरणा है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां मुख्यमंत्री आवास पर वीर बाल दिवस एवं साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष पर आयोजित कीर्तन समागम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर सिख धर्म से सम्बन्धित पुस्तक ‘छोटे साहिबज़ादे‘ का विमोचन किया। इसके पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने अपने शीश पर साहिब श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के पावन स्वरूप को धारण कर, आगमन एवं स्वागत करते हुए आसन पर विराजमान किया। उन्होंने साहिब श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के समक्ष मत्था टेका, सिख सन्तों का सम्मान किया तथा लंगर छका। उन्होंने सिख गुरुओं पर आधारित ‘सीड ऑफ फेथ‘ चित्रकला प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर बाल दिवस का कार्यक्रम गुरु परम्परा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश भर के सिखों की आवाज को सुना तथा देश व स्वधर्म के लिए उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने तथा गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की स्मृतियों को नमन करने हेतु 26 दिसम्बर की तिथि को देश में वीर बाल दिवस को राष्ट्रीय समारोह के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया। प्रधानमंत्री जी ने इतिहास को जीवन्त कर आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा प्रदान की है।
प्रथम सिख गुरु श्री गुरु नानक देव जी महाराज के 550वें प्रकाश पर्व पर मुख्यमंत्री आवास में सम्पन्न कार्यक्रम में वीर बाल दिवस कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों एवं माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित ‘साहिबज़ादा दिवस’ का आयोजन मुख्यमंत्री आवास पर वर्ष 2020 तथा वर्ष 2021 में किया गया था। वर्ष 2022, 2023 तथा 2024 में 26 दिसम्बर को मुख्यमंत्री आवास पर ‘वीर बाल दिवस’ का आयोजन सम्पन्न हुआ था। सिख गुरुओं का इतिहास भारत में भक्ति और शक्ति के अद्भुत तेज का इतिहास है। गुरु नानक देव जी महाराज ने मानवता के कल्याण के लिए कार्य करते हुए बिना रुके, बिना झुके व बिना डिगे पाखण्ड के विरुद्ध आवाज उठाई थी। उस समय उन्होंने साधन के अभाव में भी साधना से सिद्धि का प्रभाव दिखाया। हमारे लिए जो क्षेत्र आज भी दुरुह है, वहां भी गुरु नानक देव जी पहुंचे। उन्होंने परिवार कल्याण के मार्ग के साथ ही, लोक कल्याण का मार्ग भी चुना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अक्सर अवसर प्राप्त होने पर स्वयं के कल्याण के बारे में सोचने लगते हैं तथा समाज, स्वदेश व स्वधर्म से दूरी बनाने का प्रयास करते हैं। इसकी परिणति दुर्गति के रूप में होती है। लेकिन जब हम स्वदेश व स्वधर्म को प्राथमिकता देते हैं, तब हमारी गति प्रगति की ओर जाती है। सिख गुरुओं का इतिहास इसी प्रगति का प्रमाण है। हम लोग वर्तमान में गुरु तेग बहादुर जी महाराज के 350वें शहीदी दिवस वर्ष पर चलने वाले कार्यक्रमों के साथ जुड़े हुए हैं। इस दौरान कई कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ। जब जोड़ा यात्रा असम से दिल्ली तक पहुंच रही थी, उस दौरान लखनऊ के यहियागंज गुरुद्वारे में जोड़ों के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। 25 नवम्बर को अयोध्या के श्रीराम मन्दिर के शिखर पर धर्मध्वजा आरोहण का कार्यक्रम था, यह सौभाग्य 500 वर्षों के पश्चात प्राप्त हुआ था। व्यस्तता के बावजूद गुरुद्वारा प्रबन्ध कमेटी द्वारा लखनऊ में आयोजित मुख्य समारोह में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ। इस समारोह में सम्मिलित लोगों में अत्यन्त उत्साह देखने को मिला था।
गुरु तेग बहादुर जी महाराज और उनके सच्चे अनुयायियों भाई सतीदास, भाई मतीदास, भाई दयाला जी की स्मृतियों को हम आज भी नमन करते हैं। कोई ऐसा भारतीय नहीं है, जो गुरु तेग बहादुर जी महाराज, गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज, भाई सतीदास, भाई मतीदास, भाई दयाला, बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह जी के प्रति कृतज्ञता न ज्ञापित करता हो। हिन्दुस्तान के 140 करोड़ लोग व दुनिया भर के सनातन व सिख धर्मावलम्बी गुरु गोबिन्द सिंह जी, गुरु तेग बहादुर जी, गुरु नानक देव जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि औरंगजेब गुरु तेग बहादुर सिंह जी महाराज, गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबज़ादों का नामो निशान मिटाना चाहता था, लेकिन आज औरंगजेब का नाम लेने वाला कोई नहीं है। पूरा हिन्दुस्तान साहिबज़ादों पर गौरव की अनुभूति व उनका नित्य स्मरण करता है। चार साहिबज़ादे हिन्दुस्तान के प्रत्येक पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। देश व धर्म के लिए कुछ योगदान करने की तमन्ना रखने वाले प्रत्येक स्कूल-कॉलेज व पवित्र धर्म स्थलों पर वीर बाल दिवस के अन्तर्गत कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। शिक्षण संस्थानों में वीर बाल दिवस पर आधारित प्रतियोगिताओं, निबन्ध-लेखन तथा डिबेट का आयोजन किया जा रहा है। यह हम सभी के लिए प्रेरणा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिख गुरुओं की परम्परा असाधारण है। एक विशिष्ट प्रयोजन के लिए उनका आगमन हुआ और जागरण करने के पश्चात पुनः अन्तर्धान हो गये। गीता के श्लोक ‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‘ के पीछे यही मर्म छिपा है कि जब देश पर संकट आएगा, तो गुरु लोगों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा तथा उपदेश देंगे। सिख परम्परा में चलने वाले लंगर में कोई भी व्यक्ति भोजन कर सकता है। उससे कभी जाति व स्थान नहीं पूछा जाता है। यही हमारे संस्कार तथा गुरु की परम्परा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज ने समाज को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य किया था। उन्होंने जिन पंचप्यारों को खालसा पंथ की स्थापना का आधार बनाया था, वह भी सनातन धर्म की उन जातियों से थे, जिनको दुर्योग से लोगों ने अछूत बनाने का प्रयास किया था।
गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज ने उन सभी को जोड़ने का कार्य किया था। सब कुछ गंवाने के बाद भी वह कभी विचलित नहीं हुए। वह एक सामान्य मनुष्य नहीं, अपितु असाधारण मनुष्य थे। दैवीय गुणों से युक्त महान पुरुष अपने प्रयोजन विशेष के लिए बिना धैर्य खोए निरन्तर प्रयास करता रहता है। गुरु वाणी का स्मरण कर तथा उसे अपने जीवन का ध्येय बनाकर हम गुरु की कृपा से आगे बढ़ेंगे, तो जीवन में प्रगति होगी। जब भी इस मार्ग से हम विरत होंगे, तो दुर्गति होने में देर नहीं लगेगी। हमें अपनी गति को प्रगति की ओर लेकर जाना है, दुर्गति की ओर नहीं। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, जल शक्ति मंत्री स्वतन्त्र देव सिंह, औद्योगिक विकास मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी‘, समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) असीम अरुण तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थ इतिहास किसी का कैसे बनता है:मुख्यमंत्री

























