हाईटेक नर्सरी से कृषि और औद्यानिक फसलों के उत्पादन में होगी वृद्धि

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खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में UP के बढ़ते कदम
खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में UP के बढ़ते कदम

हाईटेक नर्सरी से कृषि और औद्यानिक फसलों के उत्पादन में होगी और अधिक वृद्धि। स्वयं सहायता समूहों और किसानों को होगा बड़ा लाभ।सरकार की मंशा है कि प्रदेश का हर किसान समृद्ध बने और बदलते समय के साथ किसान हाईटेक भी बने। हाईटेक नर्सरी से कृषि और औद्यानिक फसलों के उत्पादन में होगी वृद्धि

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के नेतृत्व व निर्देशन में किसानो को विभिन्न प्रजातियों के उच्च क्वालिटी के पौधे उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इजरायली तकनीक पर आधारित हाइटेक नर्सरी तैयार की जा रही है। यह कार्य मनरेगा अभिसरण के तहत उद्यान विभाग के सहयोग से कराया जा रहा है और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की दीदियां भी इसमें हांथ बंटा रही है। इससे स्वयं सहायता समूहों को काम मिल रहा है।उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि इस योजना के क्रियान्वयन से कृषि और औद्यानिक फसलों को नई ऊंचाई मिलेगी। विशेष तकनीक का प्रयोग करके ये नर्सरी तैयार की जा रहीं हैं। सरकार की मंशा है कि प्रदेश का हर किसान समृद्ध बने और बदलते समय के साथ किसान हाईटेक भी बने। हाईटेक नर्सरी से कृषि और औद्यानिक फसलों के उत्पादन में होगी वृद्धि

केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि सरकार पौधरोपण को बढ़ावा देने के साथ बागबानी से जुड़े किसानों को भी आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का काम कर रही है। मनरेगा योजना से 150 हाईटेक नर्सरी बनाने के लक्ष्य के साथ तेजी से कार्य किया जा रहा है। उप मुख्यमंत्री श्री मौर्य के निर्देश व पहल पर ग्राम्य विकास विभाग ने इसको लेकर प्रस्ताव तैयार किया था,जिसको लेकर जमीनी स्तर पर युद्धस्तर पर कार्य हो रहा है। हाईटेक नर्सरी से किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है। प्रदेश भर में 150 हाईटेक नर्सरी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। बुलंदशहर के दानापुर और जाहिदपुर में हाईटेक नर्सरी बनकर तैयार भी हो चुकी है। 39 जिलों की 49 साइटों पर हाईटेक नर्सरी बनाने का कार्य किया जा रहा है।कन्नौज के उमर्दा में स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल की तर्ज पर प्रदेश के सभी जनपदों में दो-दो मिनी सेंटर (150) स्थापित करने की कार्यवाही जारी है। किसानों को उन्नत किस्म के पौध के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। कई हाईटेक नर्सरियों में सिडलिंग प्रोडक्शन का कार्य भी प्रारंभ हो चुका है।

नर्सरी की देख-रेख करने के लिए स्वयं सहायता समूह को जिम्मेदारी दी गई है। समूह के सदस्य नर्सरी का काम देखते हैं, जो पौधों की सिंचाई, रोग, खाद-बीज आदि का जिम्मा संभालते हैं। इसके लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है ।

किसानों की आय में होगी,और बढ़ोतरी

सरकार उच्च क्वालिटी व उन्नत किस्म के पौधों की नर्सरी को बढ़ावा देने के लिए तेजी से काम कर रही है। प्रत्येक जनपद में पौधशालाएं बनाने का कार्य किया जा रहा है। इनमें किसानों को फूल और फल के साथ सर्पगंधा, अश्रवगंधा, ब्राह्मी, कालमेघ, कौंच,सतावरी, तुलसी, एलोवेरा जैसे औषधीय पौधों को रोपने के लिए जागरूक किया जा रहा है। किसानों को कम लागत से अधिक फायदा दिलाने के लिए पौधरोपण की नई तकनीक से जोड़ा जा रहा है। ग्राम्य विकास आयुक्त जी एस प्रियदर्शी ने बताया कि प्रदेश में 150 हाईटेक नर्सरी के निर्माण की कार्यवाही मनरेगा कन्वर्जेंस के अंतर्गत की जा रही है, जिसके सापेक्ष 125 हाईटेक नर्सरी की स्वीकृति जनपद स्तर पर की जा चुकी है। हाईटेक नर्सरी से कृषि और औद्यानिक फसलों के उत्पादन में होगी वृद्धि