
गृह नाग देव मंदिर पर नागपंचमी पर होती है नाग पूजा. आस्था का प्रतीक है गहनागदेव मंदिर.सर्प दंश से पीडित हजारों लोगोें को मिलता है जीवनदान. आस्था का प्रतीक है गहनागदेव मंदिर
अमानीगंज/अयोध्या- जिला मुख्यालय से 42 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित नागपीठ पौराणिक स्थल गहनाग मंदिर लोगों के आस्था और विश्वास का वह केन्द्र है. जहां प्रतिवर्ष हजारो सर्पदंश पीडित लोगों को जीवन दान मिलता है.सदियों से श्रावण मास की नागपंचमी को लगने वाला गहनाग मेला आज भी प्रासंगिक बना हुआ है.आस-पास के आधा दर्जन जिलों के श्रद्धालु बाबा गहनाग के मंदिर पर घर की सुख शांति के लिए मन्नतें मांगने आते हैं. श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग देव की पूजा का विधान है. फैजाबाद शहर से 42 किमी दूर मिल्कीपुर तहसील के अमानीगंज विकासखण्ड के गहनाग गांव में स्थित मंदिर के विषय में ज्ञात पौराणिक जानकारी के अनुसार यह मंदिर मुगलकालीन लखोरी ईटों से पंवार वंश के क्षत्रिय राजाओं ने बनवाया था. जिनके ये कुलदेवता बताए जाते हैं. ऐसा बताया जाता है कि नाग पंचमी के दिन यहां श्रद्वालुओं को नाग देवता स्वयं दर्शन देते हैं.
अयोध्या सुल्तानपुर अमेठी बाराबंकी गोंडा बस्ती अंबेडकरनगर आदि जनपदों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में नाग देवता का दर्शन करने आते हैं. पूजा शुरु होने से पहले पंवार वंश के परिजनाें द्वारा आज भी मंदिर पर पूजा पाठ की परंपरा चली आ रही है. मंदिर परिसर में स्थित कुएं के जल से मंत्रोच्चारण के साथ सर्पदंश से पीड़ित लोगों को बड़ा लाभ होता है. मंदिर के पुजारी राम बिहारी तिवारी ने बताया कि प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में सर्पदंश से पीड़ित लोग यहां से स्वास्थ्य लाभ लेकर जाते हैं.अचेत अवस्था में आए हुए लोग भी यहां से खुशी-खुशी अपने घर ठीक होकर जाते हैं. नाग पंचमी के बाद पडने वाले सोमवार को मेला अपने शबाब पर होता है. मेले से श्रद्धालु प्रसाद के रूप में सरसों राई अपने घरों पर ले जाते हैं और उसे घर के चारों तरफ छिटक देते हैं ऐसा कहा जाता है कि नागदेव से मिलने वाली राई सरसों के प्रभाव से छिटकी गयी सरसो के उस क्षेत्र में सांप नहीं निकलते हैं..!
आज नाग पंचमी पर 24 वर्षों के बाद एक विशेष ज्योतिषी तिथि आई है जिसका विशेष महत्व नाग पूजा करने के लिए लोग बडी़ संख्या में गहनाग देव पहुंच रहे हैं और वही नाग देवता के मंदिर पर दूध और लावा चढ़ाने के साथ सरसों का प्रसाद लेकर अपने घरों को जा रहे हैं प्रशासन में मंदिर पर सुरक्षा की व्यवस्था का जिम्मा संभाला हुआ है. आस्था का प्रतीक है गहनागदेव मंदिर