

डिजिटल और स्वास्थ्य के क्षेत्र में रही नौकरियों की बहार। टेक्नोलॉजी व उत्पादन क्षेत्रों में तेजी से हुए बदलावों के चलते साल 2025 में रोजगार परिदृष्य में कई बड़े परिवर्तन दिखाई दिये। कंपनियों में एआई/एलएलएमएस का इस्तेमाल व्यापक तौर पर हुआ। इसके साथ छोटे कोर्सेज व अपस्किलिंग पर जोर रहा। हाईब्रिड वर्क कल्चर बतौर ट्रेंड सेट हुआ। इस साल में टेक्नोलॉजी और आईटी सॉफ्टवेयर, साइबर सिक्योरिटी व हेल्थ केयर तथा बायोटेक, ई-कॉमर्स एंड डिजिटल मार्केटिंग, रिन्यूएबल एनर्जी और फिनटेक जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों में रहे। आईटी से लेकर हेल्थकेयर तक नौकरियों की बंपर बहार
साल 2025 में कामकाज की दुनिया में बड़े और तेज रूपांतरण देखने को मिले। टेक्नोलॉजी विशेषकर एआई/एलएलएमएस और हरित परिवर्तन खासकर रिन्यूएबल्स और सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र केंद्र में रहे। जहां तक वर्क कल्चर की बात है तो इस साल कार्यस्थल के संबंध में लचीलापन यानी हाइब्रिड मोड चर्चा में रहा। सही मायनों में देखा जाए तो साल 2025 में कैरियर संबंधी ये दो पहलू ट्रेंड सेटर रहे और एक नई लीक बनाते दिखे। अगर वैश्विक दृष्टि से वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की भविष्यवाणी के नजरिये से देखा जाए, तो अगले पांच साल यानी 2030 तक नौकरी के बाजार में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे, जिनकी शुरुआत साल 2025 से हो चुकी है। वहीं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक अगले पांच साल नौकरियों की संख्या के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होंगे। लगभग 17 करोड़ नई नौकरियां बनेंगी, जबकि लगभग 23 करोड़ पुरानी नौकरियों को एआई खा जायेगी यानी उनकी जगह ऑटोमेशन का कब्जा हो जायेगा। हालांकि इस संबंध में कोई एक निष्कर्ष नहीं है, पर ज्यादातर निष्कर्षों का मानना यही है कि अगले पांच सालों में 20 से 30 करोड़ नौकरियां खत्म हो जाएंगी और इन नौकरियों के खत्म होने का कारण आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक होगी, जिसकी शुरुआत साल 2025 से हो चुकी है।
तकनीकी व सेवा क्षेत्रों में मिले रोजगार
सवाल है भारत के संदर्भ में इस साल कौन से सेक्टर और उनमें भी कौन से स्किल रोजगार के लिहाज से सबसे ज्यादा ट्रेंड में रहे? तो भारत में साल 2025 में सबसे ज्यादा जॉब डिमांड मुख्यतः तकनीकी और सेवा क्षेत्रों में रही। इंडिया स्किल रिपोर्ट 2025 और संबंधित विश्लेषणों में टॉप सेक्टरों में टेक्नोलॉजी और आईटी सॉफ्टवेयर, साइबर सिक्योरिटी व हेल्थ केयर तथा बायोटेक क्षेत्र, साथ ही ई-कॉमर्स एंड डिजिटल मार्केटिंग, रिन्यूएबल एनर्जी और फिनटेक जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों में रहे यानी इस साल डिजिटल, हेल्थ और ग्रीन सेक्टरों में भारी मांग रही। जहां तक शैक्षणिक योग्यता की बात है, तो साल 2025 में बीटेक और एमबीए जैसी डिग्रियां नौकरी के लिए सबसे महत्वपूर्ण डिग्रियों में शामिल रहीं। विशेषकर शुरुआती हायरेबिलिटी के लिए इन्हें अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया। साथ ही में शॉर्ट कोर्सेज, प्रैक्टिकल स्किल का महत्व भी खूब देखा गया।
एआई और एलएलएमएस प्रोफिशिएंसी
देश व दुनिया दोनों जगह पर जिस स्किल का असर चुबंकीय रहा, वह एआई/एलएलएमएस रही। लिंक्ड इन और अन्य डेटा से यह स्पष्ट है कि साल 2025 एआई लिटरेसी और एलएलएमएस प्रोफिशिएंसी जैसी तकनीकी स्किल का साल रहा। सबसे ज्यादा इन्हीं तकनीक की जॉब के बाजार में मांग रही। न सिर्फ सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के लिए बल्कि प्रोडक्ट मैनेजर, मार्केटिंग प्रोफेशनल्स और डेटा एनालिस्टों के लिए भी कंपनियां एआई उपकरणों के साथ काम करने वाले प्रोफेशनल्स को प्राथमिकता दे रही हैं। इसलिए रि-स्किलिंग और अप-स्किलिंग का चलन इस साल सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण तकनीकी चलनों में से रहा।
हाइब्रिड व रिमोट मॉडल कार्यसंस्कृति
जहां तक कार्यस्थल मॉडलों का सवाल है तो इस साल हाइब्रिड व रिमोट मॉडल कार्यसंस्कृति के स्थायी प्रारूप का हिस्सा हो गया। साल 2025 में हाइब्रिड और रिमोर्ट वर्क वैकल्पिक नहीं बल्कि रूटीन बनते दिखे। आईडब्ल्यूजी और अन्य रिपोर्टों में बताया गया कि कंपनियां आउटपुट आधारित मापन और लोकेशन आदि में बेहद लचीलापन अपनाने लगी हैं। कर्मचारियों की तलाश अब क्षेत्र विशेष के स्तर पर नहीं बल्कि ग्लोबल पूल से होने लगी है, जिससे टैलेंट स्ट्रेटेजी और पे-पर-लोकेशन मॉडल बदल रहे हैं। इससे फ्लेक्सिबल, कौशल और वर्चुअल कोलेब्रेशन तथा डिजिटल कम्युनिकेशन स्किल की मांग बढ़ गई है।
ब्लू-कॉलर अप-स्किलिंग
गिग इकोनॉमी और ब्लू-कॉलर अप-स्किलिंग तथा सप्लाई साइड शिफ्ट का भी यह साल रहा। भारत में गिग इकोनॉमी और प्लेटफॉर्म लगातार बढ़े, उसमें भी विशेषज्ञता वाले ब्लू-कॉलर की मांग सबसे ज्यादा रही। डिलॉयट जैसी संस्थाओं के अध्ययन बताते हैं कि फैक्ट्री और फील्ड लेवल पर तकनीकी ट्रेनिंग और ऑटोमेशन सक्षम कौशलों की आवश्यकता बढ़ी है। कंपनियां ब्लू-कॉलर अप-स्किलिंग पर निवेश कर रही हैं ताकि उत्पादकता बनाये रखी जा सके।
स्वास्थ्य, बायोटेक और नवीकरणीय ऊर्जा
स्वास्थ्य, बायोटेक और नवीकरणीय ऊर्जा में भी इस साल रोजगार के काफी ज्यादा अवसर पैदा हुए। कोविड काल से तेज हुई हेल्थ केयर रिफॉर्मेशन और बायोटेक निवेश 2025 में भी जारी रहे। नर्सिंग, फार्मा (आरएंडडी), बायो इन्फॉर्मेटिक्स और वैक्सीन/बायो-मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े प्रोफाइल्स की भर्ती बढ़ी। साथ ही हरित ऊर्जा सेक्टर्स में सोलर, विंड, बैटरी और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े तकनीकी और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट रोल्स की मांग बढ़ी।
स्किल्ड वर्कर्स की रही मांग
सेमी-कंडक्टर जैसी इंडस्ट्री में इस साल वैकेंसी के मामले में उतार-चढ़ाव देखा गया तथा ‘नीस’ स्किल्स की मांग पूरे साल बनी रही। निष्कर्ष के तौर पर देखें तो विशेषज्ञों की मांग से ज्यादा अब वर्कर्स की मांग है बशर्ते कि वे स्किल्ड वर्कर्स हों।
डिग्री+छोटे कोर्स का महत्व
जहां तक नौकरी की प्रकृति और कैरियर में रणनीतिक बदलाव का सवाल है, तो साल 2025 लाइफ लांग लर्निंग पर आधारित कैरियर की तरफ बढ़ा। यही कारण है कि लोगों ने यूनिवर्सिटी डिग्री के साथ छोटे प्रैक्टिकल कोर्स, माइक्रो-क्रैडेंशियल्स और ऑन द जॉब ट्रेनिंग को बहुत जरूरी समझा। सॉफ्ट स्किल्स, प्रॉब्लम सोल्विंग और रचनात्मकता कम्युनिकेशन तकनीक की मांग लगातार बनी रही। इसलिए टेक्नो प्रोफिशिएंसी और डोमेन विशेषज्ञता सॉफ्ट स्किल की जान बनी रही। कुल मिलाकर साल 2025 कैरियर की दृष्टि से नया और निर्णायक साल रहा। एआई डिजिटल टूल के साथ अब काम करने को लेकर कोई बहस नहीं बची, लोग अधिक से अधिक क्षमता हासिल करने की दिशा में विचार करते रहे। लब्बोलुआब यह कि हाइब्रिड सिर्फ कार्यस्थलों के मॉडल के रूप में उभरकर नहीं आया बल्कि अब हर क्षेत्र का काम ऐसे लोगों के खाते में आने लगा है, जो हर तरह की तकनीक में अपना दखल रखते हैं। कुल मिलाकर साल 2025 सम्पूर्ण तकनीकी परिदृश्य की ओर बढ़ने का साल रहा। इसे रोजगार के क्षेत्र में सबसे ज्यादा नोटिस लिया गया। आईटी से लेकर हेल्थकेयर तक नौकरियों की बंपर बहार

























