हुधा जब जीवन की डगर अजीब, अज्ञात और अबूझ होती है तो व्यक्तिगत नियम- कायदे से नहीं चलती। आम मान्यता है कि खाली दिमाग शैतान का घर है। यह तभी होता है, जब हम खालीपन को भरना न जानते हों । खिन्नता से बहुत सारी नकारात्मकता से भरे मन के कारण हम उन्नति की दौड़ में खुद विघ्न बन जाते हैं । आध्यात्मिक मार्ग खुद को कूड़े-कबाड़ से मुक्त होने पर जोर देता है, ताकि ईश्वरीय ऊर्जा से खालीपन भर सकें। प्राकृतिक नियम संचालन जीवन पर अपना असर रखता है। अमूमन हम जिस वस्तु या उपलब्धि को चाहते हैं और वह न मिले तो फिर हम बलात उसे हासिल करने में जुट जाते हैं। ऐसे में अमूल्य समय के साथ-साथ ऊर्जा की बर्बादी होती है। मन में बहुत सारी नकारात्मकता उफान पर होती है। हमारी सोच जितनी स्वच्छ होगी, जीवन उतना ही श्रेष्ठ होगा। प्रकृति के पहलू पर किसी का शिकंजा नहीं चला और उसकी चाहत है कि हमारे जीवन और मन में कुछ रिक्तता रहे, ताकि उचित समय पर उसमें कोई उपयुक्त सामग्री भरी जा सके । सोच का प्रभाव मन पर, मन का प्रभाव तन पर, तन और मन दोनों का प्रभाव सारे जीवन पर असर छोड़ता है। दुनिया पर जीत हासिल करने से पहले अपने मन पर जीत हासिल करना जरूरी है । जो लोग मन में उतरते हैं, उन्हें संभाले रखने और जो मन से उतरते हैं, उनसे संभल कर रहने की जरूरत है। दुखी मन पानी से भरे गिलास की तरह होता है, जो मामूली ठेस लगने पर छलक पड़ता है। मन-मस्तिष्क की महक
मन को कर्तव्य की डोरी से बांधना पड़ता है, नहीं तो उसकी चंचलता न जाने कहां लिए – लिए फिरे । यह सनातन रहस्य है कि जैसा मन होता है, वैसा ही मनुष्य बन जाता है। मन भर कर जीयो, मन में भरकर मत जीयो ! मन सभी के पास है, मगर मनोबल कुछ के पास ही होता है। मन ऐसा रखना चाहिए कि किसी को बुरा न लगे। मन को संभालने वाला इंसान हमेशा जिंदगी की ऊंचाइयों में सबसे ऊपर होता है । समाज से बहुत दिनों तक दूर और अकेले रहना आदमी के मन को दुर्बल बनाता है। मन की संतुष्टि के लिए अच्छे काम करते रहना चाहिए। मन की सोच सुंदर हो तो संसार सुंदर लगता है। छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता और टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता । मन का झुकना बहुत जरूरी है। मात्र सिर झुकाने से परमात्मा नहीं मिलते। इंसान की आर्थिक स्थिति कितनी भी अच्छी हो, लेकिन सही आनंद लेने के लिए उसकी मानसिक स्थिति अच्छी होनी चाहिए । एक व्यक्ति दूसरे के मन की बात जान सकता है। कभी भी खाली नहीं बैठना चाहिए, कोई-न-कोई रचनात्मक काम अवश्य करते रहना चाहिए। उससे मन बुरे विचारों में नहीं उलझेगा। कहने को बहुत अपने होते हैं, लेकिन जब मन उदास हो तो कोई पूछने वाला नहीं होता। मैदान में हारा मन-मस्तिष्क की महक