
आटा चक्की की छत मरम्मत में एटा जेल अधीक्षक का खेल! पुराने मटेरियल से छत रिपेयर कराकर किया लाखों का गोलमाल।वसूली का कोई मौका नहीं छोड़ रही एटा जेल अधीक्षक। 65 पुरुष और 20 महिला सिद्धदोष बंदियों का अभी तक नहीं हुआ जेल तबादला। डीजी के निर्देशों के उल्लंघन पर कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे परिक्षेत्र डीआईजी। एटा जेल अधीक्षक का खेल!
राकेश यादव
लखनऊ। एटा जेल की महिला अधीक्षक धनउगाही का कोई मौका छोड़ने को तैयार नहीं हो रही है। यही वजह है कि जेल में आटा चक्की छत की मरम्मत जेल में पड़ी पुरानी सामग्री से कराकर लाखों रुपए का गोलमाल किया। यही नहीं महानिदेशक कारागार के निर्देश के बाद भी अभी तक 60 पुरुष और 20 महिला सिद्धदोष बंदियों का अभी तक जेल स्थानांतरण नहीं किया गया है। यह मामला जेल अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि परिक्षेत्र के डीआईजी का संरक्षण प्राप्त होने की वजह से अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
महानिदेशक कारागार के निर्देश के बाद बीती 20 सितंबर को आगरा जेल परिक्षेत्र के डीआईजी ने परिक्षेत्र की समस्त जेल अधीक्षकों को एक पत्र जारी किया। इस पत्र में कहा गया कि 07 वर्ष की सजा काट चुके सिद्धदोष बंदियों को शीघ्र केंद्रीय कारागार स्थानांतरित किया जाए। निर्देश में उन्होंने कहा कि कारागारों में निरुद्ध 07 वर्ष से अधिक की सजा के सबसे पुराने कम से कम 30 सिद्धदोष बंदियों को चिन्हित कर इनका स्थानांतरण केंद्रीय कारागार में 21 सितंबर 25 तक करना सुनिश्चित किया जाए। स्थानांतरित किए गए बंदियों की सूची परिक्षेत्र कार्यालय के साथ कारागार मुख्यालय को उपलब्ध कराई जाए।
एटा जेल अधीक्षक के लिए आला अफसरों का यह आदेश कोई मायने नहीं रखता है। सूत्रों का कहना है कि एटा जेल अधीक्षक ने जेल में निरुद्ध करीब 65 से अधिक पुरुष और करीब दो दर्जन सिद्धदोष महिला बंदियों का समयावधि बीत जाने के बाद भी अभी तक जेल स्थानांतरण नहीं किया है। इन बंदियों को पैसा लेकर रोका गया है। सूत्रों की माने तो बंदियों के जेल स्थानांतरण के अलावा जेल में आटा चक्की की छत मरम्मत में भी जमकर गोलमाल किया गया है। जेल में रखे पुराने मटेरियल (ईंट, मौरंग, बालू, सीमेंट) से छत रिपेयर कराकर लाखों रुपए का गोलमाल किया है। यह मामला जेलकर्मियों में कौतूहल का विषय बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि डीजी जेल ने जेलों में ओवर क्राउडिंग की समस्या को दूर करने के लिए ऐसा ही एक आदेश जारी किया था। एटा जेल अधीक्षक ने डीजी जेल और परिक्षेत्र डीआईजी को गुमराह कर दिया। उधर इस सनसनीखेज मामले में प्रमुख सचिव कारागार अनिल गर्ग समेत अन्य आला अफसरों ने भी चुप्पी साध रखी है।
कार्यवाही हो न हो, डीआईजी की वसूली में हो रही बढ़ोत्तरी
आगरा परिक्षेत्र की जेलों में भ्रष्टाचार व अवैध वसूली के उजागर हुए मामलों में कार्यवाही हो या न हो लेकिन इससे परिक्षेत्र के डीआईजी का लिफाफा जरूर मोटा हो जाता है। सूत्रों का कहना है कि पूर्व में इस जेल से परिक्षेत्र मुखिया को हर माह छोटा लिफाफा मिलता था। जेल में अनियमिताओं के मामले उजागर होने के बाद यह रकम दो से तीन गुना कर दी गई है। आगरा जिला जेल में अधिकारियों की लूट का वीडियो वायरल होने और कांसगंज में सुरक्षाकर्मियों और बंदियों का उत्पीड़न होने का खुलासा होने के बाद भी परिक्षेत्र कार्यालय ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की। कार्यवाही नहीं होने से अधिकारी बेलगाम हो गए है। इसके साथ ही परिक्षेत्र के डीआईजी की वसूली राशि में जरूर बढ़ोत्तरी जरूर हो गई है। एटा जेल अधीक्षक का खेल!
























