दबंग एटा महिला अधीक्षक के आगे मायूस डीआईजी जेल..!

178
दबंग एटा महिला अधीक्षक के आगे मायूस डीआईजी जेल..!
दबंग एटा महिला अधीक्षक के आगे मायूस डीआईजी जेल..!
राकेश यादव
राकेश यादव

दबंग एटा महिला अधीक्षक के आगे मायूस डीआईजी जेल..! सिद्धदोष बंदियों के जेल तबादले में परिक्षेत्र कार्यालय को किया गुमराह। पुराने खूंखार बंदियों छोड़ नए बंदियों को भेज दिया केंद्रीय कारागार। निर्देशों के उल्लंघन पर कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे आला अफसर। दबंग एटा महिला अधीक्षक के आगे मायूस डीआईजी जेल..!

लखनऊ। तू डाल डाल, मैं पात पात… यह कहावत एटा जेल अधीक्षक पर एकदम फिट बैठती है। एटा जेल की नई महिला अधीक्षक ने महानिदेशक कारागार के साथ परिक्षेत्र के उपमहानिरीक्षक तक को बेवकूफ बना दिया। अधीक्षक ने परिक्षेत्र के डीआईजी के निर्देश पर सिद्धदोष बंदियों का जेल तबादला तो जरूर किया किया किंतु डीजी जेल और परिक्षेत्र के डीआईजी के निर्देशों का अनुपालन करना मुनासिब नहीं समझा। उन्होंने निर्देशों को दर किनार कर वसूली कर मोटी रकम देने वाले खूंखार बंदियों को तो रोककर सामान्य 15 बंदियों की जेल स्थानांतरित कर दी। मजे की बात यह है कि 2011 में सजा पाए बंदियों को तो रोक लिया गया 2024 2025 के बंदियों को स्थानांतरित कर दिया गया। यह मामला जेल अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है।

बीती 20 सितंबर 25 को आगरा जेल परिक्षेत्र के डीआईजी पीएन पांडेय ने परिक्षेत्र की समस्त जेल अधीक्षकों को एक पत्र जारी किया। इस पत्र में कहा गया कि 07 वर्ष की सजा काट चुके सिद्धदोष बंदियों को शीघ्र केंद्रीय कारागार स्थानांतरित किया जाए। निर्देश में उन्होंने कहा कि कारागारों में निरुद्ध 07 वर्ष से अधिक की सजा के सबसे पुराने कम से कम 30 सिद्धदोष बंदियों को चिन्हित कर इनका स्थानांतरण केंद्रीय कारागार में 21 सितंबर 25 तक करना सुनिश्चित किया जाए। स्थानांतरित किए गए बंदियों की सूची परिक्षेत्र कार्यालय के साथ कारागार मुख्यालय को उपलब्ध कराई जाए।

कार्यवाही हो न हो, वसूली में जरूर हो जाती बढ़ोत्तरी

आगरा परिक्षेत्र की जेलों में भ्रष्टाचार व अवैध वसूली के उजागर हुए मामलों में कार्यवाही हो या न हो लेकिन परिक्षेत्र के मुखिया का लिफाफा जरूर मोटा हो जाता है। सूत्रों का कहना है कि पूर्व में इस जेल से परिक्षेत्र मुखिया को हर माह छोटा लिफाफा मिलता था। जेलर और प्रभारी जेलर से विवाद होने के बाद यह रकम दो से तीन गुना कर दी गई है। आगरा जिला जेल में अधिकारियों की लूट का वीडियो वायरल होने और कांसगंज में सुरक्षाकर्मियों और बंदियों का उत्पीड़न होने का खुलासा होने के बाद भी परिक्षेत्र कार्यालय और कारागार मुख्यालय ने कोई कार्यवाही नहीं की गई। कार्यवाही नहीं होने से अधिकारी बेलगाम हो गए है। इसके साथ ही आला अफसरों की वसूली राशि में बढ़ोत्तरी जरूर हो गई है। परिक्षेत्र डीआईजी के निर्देशों का पालन हो न हो आदेश जारी करते रहते है। 22.09.25 को फिर से सिद्धदोष बंदियों के जेल तबादला करने का आदेश जारी किया है।

सूत्रों का कहना है कि परिक्षेत्र डीआईजी के निर्देश के अनुपालन में एटा जेल अधीक्षक क्रमवार छोड़कर बेतरतीब तरीके से 07 वर्ष को सजा काट रहे 30 सिद्धदोष बंदियों की सूची तैयार कराई। इसमें 07 वर्ष की सजा काट रहे सबसे पुराने बंदियों में 2011 में सजा पाए पप्पू उर्फ अजय प्रताप सिंह, अनुपम, राघवेंद्र समेत 15 सिद्धदोष बंदी जिन्हें पहले सजा पड़ी उनके नाम डीआईजी आगरा परिक्षेत्र को भेजी गई सूची में नहीं है। सूत्रों की माने तो इन बंदियों के जेल स्थानांतरण को लेकर अधीक्षक और जेलर व प्रभारी जेलर के बीच टकराव हो चुका है। अधीक्षक के स्वयं के आदेश पर हुई इस कार्यवाही ने उनकी की सत्यनिष्ठा पर सवाल खड़े कर दिए है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व डीजी जेल ने भी 30.05.25 को जेलों में ओवर क्राउडिंग की समस्या को दूर करने के लिए ऐसा ही एक आदेश जारी किया था। एटा जेल अधीक्षक ने डीजी जेल और परिक्षेत्र डीआईजी को गुमराह कर दिया। उधर इस सनसनीखेज मामले में कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान समेत अन्य आला अफसरों ने भी चुप्पी साध रखी है। दबंग एटा महिला अधीक्षक के आगे मायूस डीआईजी जेल..!