उत्तर प्रदेश में ‘ई-पड़ताल’ से फसलों की देखभाल। सर्वे से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में फसलों की स्थिति जानकर उन्हें सरकारी अनुदान, स्कीम, पॉलिसी व निर्णयों का लाभ पहुंचाने में मिलेगी मदद। खरीफ सीजन के लिए सर्वे की हुई तैयारी, रबी-जैद समेत अन्य विशिष्ट सर्वे को लेकर भी रोडमैप तैयार। राज्य के सभी जिलों में फसलों की स्थिति का निर्धारण करने के लिए अपनी तरह का खास डिजिटल क्रॉप सर्वे।
लखनऊ। देश के ‘फूड बास्केट’ के तौर पर प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन के साथ ही अन्नदाता किसानों की समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ रहा है। योगी सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर किसानों की आय व उत्पादकता बढ़ाने के लिए विभिन्न तरह की योजनाओं से उन्हें लाभान्वित किया है। इसी क्रम में सरकार किसानों के सामने मौसमी परिवर्तन के कारण फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने और उन तक सरकारी अनुदान, योजनाएं व स्कीमों का लाभ पहुंचाने के लिए डिजिटल क्रॉप सर्वे ‘ई-पड़ताल’ की शुरुआत करने जा रही है। सीएम योगी की मंशा के अनुरूप, मौजूदा खरीफ सीजन में न केवल इस डिजिटल सर्वे के माध्यम से फसलों के निरीक्षण प्रक्रिया की शुरुआत का रास्ता साफ हो गया है, बल्कि रबी-जैद समेत प्रदेश में अन्य डिजिटल क्रॉप सर्वे को लेकर रोडमैप का निर्धारण हो चुका है।
कई मायनों में खास होगा सर्वे
इस विशिष्ट सर्वे का उद्देश्य राज्य में फसलों से संबंधित डाटा की वास्तविकता का निर्धारण कर एक एकल, सत्यापित स्रोत के रूप में कार्य करते हुए ऐसे इको-सिस्टम व डाटाबेस को विकसित करना है जिससे जरूरत पड़ने पर विभाग आंकड़ों के जरिए रियल टाइम में स्थितियों का आंकलन कर कार्रवाई को अंजाम देने में सक्षम होगा। इस सर्वे में प्रदेश के 75 जिलों के 350 तहसीलों में 31002 लेखपाल के अधीन क्षेत्रों के 35983 ई पड़ताल क्लस्टर्स के डाटा को समावेशित किया जाएगा। इसमें प्रत्येक क्लस्टर्स में फसलों की स्थिति, उनकी तस्वीरों और अन्य संबंधित आंकड़ों का संकलन किया जाएगा।
डाटाबेस की तरह करेगा काम
सर्वे में फसलों से जुड़े आंकड़ों के संकलन के पूरा हो जाने पर यह डाटाबेस के तौर पर उनकी स्थिति का एक विस्तृत ब्योरा पेश करने में सक्षम होगा। इसके आधार पर विभागों द्वारा किसानों को योजनाओं का लाभ पहुंचाने, फसलों के मूल्य के निर्धारण में मदद समेत कई महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी मिल सकेगी। फिलहाल, प्रदेश में खरीफ सीजन की शुरुआत 15 जून से हो चुकी है, ऐसे में खरीफ सीजन के लिए सर्वे की तैयारी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि 10 अगस्त से 25 सितंबर के मध्य खरीफ सीजन में सर्वे को अंजाम दिया जाएगा। रबी सीजन के लिए 1 जनवरी से 15 फरवरी और जैद सीजन में सर्वे के लिए 1 मई से 31 मई के बीच की समयावधि तय की गई है। वहीं, जरूरत पड़ने पर अक्टूबर के महीने में एक अन्य स्पेशल सर्वे को भी अंजाम दिया जा सकता है।
सर्वे के लिए दी जाएगी विशिष्ट ट्रेनिंग
इस सर्वे को अंजाम देने के लिए प्रत्येक जिलों में डिस्ट्रिक्ट मास्टर ट्रेनर्स और तहसील स्तर पर तहसील मास्टर ट्रेनर्स का निर्धारण कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें लखनऊ स्थित कृषि भवन में तीन दिन की कार्यशाला में संबंधित ट्रेनिंग दी जाएगी। वहीं, सर्वेयर्स, सुपरवाइजर्स व वेरिफायर्स को भी ट्रेंड किया जाएगा। लखनऊ मंडल के संबंधित सर्वेयर्स, सुपरवाइजर्स व वेरिफायर्स को लोकभवन में ट्रेनिंग दी जाएगी जबकि अन्य जिलों के संबंधित सर्वेयर्स, सुपरवाइजर्स व वेरिफायर्स को जिला मुख्यालय पर ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जाएगी। इस सर्वे को अंजाम देने के लिए असिस्टेंट कमिश्नर स्तर के 12 स्टेट मास्टर ट्रेनर्स का निर्धारण कर उन्हें ट्रेनिंग देने की प्रक्रिया को पूरा भी कर लिया गया है।