अवैध कोयले का काला व्यापार मिटा रहा हरियाली धधक रही हरे पेड़ो की लकड़ियो से अवैध कोयले की भट्ठियां।आखिर क्यो नही जा रही जिम्मेदार अधिकारियो की नजर।
अजय सिंहकोयले का काला व्यापार
गोण्डा। जनपद के थाना परसपुर अंतर्गत शाहपुर चौकी क्षेत्र के दक्खिन पुरवा सरैयां ग्राम पंचायत में अवैध रूप से हरे पेड़ो का कटान कर अवैध कोयला बनाने की भट्टी का संचालन धड़ल्ले से कोयला/वन माफिया राम कुमार मिश्र द्वारा कोई चोरी छुपे नही खुलेआम दिन दहाड़े किया जा रहा है। इस पर जब राम कुमार मिश्रा से दूरभाष पर बात की गई। उन्होंने बताया कि हम कोई चोरी छुपे नही खुलेआम कोयले की भट्टी चलाते है। संबंधित चौकी और क्षेत्रीय वनाअधिकारी को मालूम है उनसे बात कर लो उक्त प्रकरण पर जब क्षेत्रीय वनाअधिकारी अशोक पांडे से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे जानकारी में नही है। देखता हूं अगर अवैध कोयला भट्टी का संचालन हो रहा है तो उस पर निश्चित कड़ी कार्रवाई करूंगा। वही दूसरी तरफ जब ग्रामीणो से बात की गई तो उन्होने नाम न छापने की शर्त पर बताया की यह अवैध कोयला भट्टी का काला कारोबार राम कुमार द्वारा हरे पेड़ो की कटान कर वर्षो से किया जा रहा है।
कार्यवाही तो दूर अभी तक कोई पूछने नही आया ग्रामीणो के वक्तव्य से अंदाजा लगाया जा सकता है की कही ना कही कुछ तो गड़बड़ है। किसी ना किसी की मिलीभगत है क्योंकि अगर मिलीभगत ना होती तो कोयला माफिया पर अभी तक कार्रवाई हो चुकी होती और इतने दिनो से यह अवैध कोयले का काला कारोबार संचालित ना हो रहा होता। जिससे वन माफिया के वक्तव्य में सत्यता प्रतीत होती है और क्षेत्रीय वनाधिकारी के कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है कि आखिर इतने दिनो से उनके क्षेत्र में अवैध कोयले का कारोबार हो रहा है। उन्होंने कार्यवाही क्यो नही किया बताते चले कि सरकार ने वातावरण प्रदूषण व हरे पेड़ो के संरक्षण के मद्देनजर अवैध कोयला बनाने की भट्ठियों पर सख्ती से रोक लगा रखा है। और लाइसेंस की व्यवस्था विशेष शर्तो के साथ मानक निर्धारण किया हुआ है। लेकिन यहा तो बिना किसी मानक शर्त और लाइसेंस के ही बिना किसी रोक-टोक के बेहिचक अवैध भट्टी का संचालन किया जा रहा है। आखिर क्यो इसे विभाग के चंद जिम्मेदार भ्रष्ट कर्मचारियो की मिलीभगत कहे या मेहरबानी आखिर क्या है। राज क्यो मौन बैठे है जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी क्यो नही जा रही है इस काले कारोबार पर उनकी नजर। कोयले का काला व्यापार