थमता नजर आता बिहार का भूचाल

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थमता नजर आता बिहार का भूचाल
थमता नजर आता बिहार का भूचाल
राजू यादव
राजू यादव

थमता नजर आता बिहार का भूचाल,बवंडर बन रहा बिहार का भूचाल।नीतीश कुमार अब चक्रव्यूह में फंसे नजर आ रहे हैं। आज नीतीश कुमार की स्थिति वह हो गई है कि वह ना घर के बच्चे ना घाट के। नीतीश कुमार अपनी प्रगति यात्रा पर जा चुके हैं। हो सकता है प्रदेश में चुनाव के बाद वह वन्यप्रस्थ यात्रा पर भी निकल जाए। थमता नजर आता बिहार का भूचाल

बिहार में खेल खेलने वाला खिलाड़ी बना अनाड़ी। बिहार का भूचाल अब बवंडर में सिकुड़ता नजर आ रहा है। पलटूराम के नाम से मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भाजपा ने बड़ा खेल कर दिया है। नीतीश कुमार अब चक्रव्यूह में फंसे नजर आ रहे हैं। आज नीतीश कुमार की स्थिति वह हो गई है कि वह ना घर के बच्चे ना घाट के। नीतीश कुमार अपनी प्रगति यात्रा पर जा चुके हैं। हो सकता है प्रदेश में चुनाव के बाद वह वन्यप्रस्थ यात्रा पर भी निकल जाए। एक समय था नीतीश कुमार भाजपा के अर्थात एनडीए की आंखों के तारा हुआ करते थे। जब दिल्ली में सरकार बनानी थी तो नीतीश को लोग सोने का चम्मच समझ लिए। लेकिन आज नीतीश कुमार को भाजपा ने बिल्कुल पैदल कर दिया है। यही नहीं नीतीश कुमार भाजपा के किसी नेता से भी मिलने को तरस रहे हैं। दिल्ली दौरे पर जाते हैं लेकिन भाजपा के किसी नेता से मुलाकात नहीं हो पाती है। निराश हो लौटते नजर आते हैं और लौट कर अपनी प्रगति यात्रा में लीन हो रहे हैं।

एक समय भाजपा में नीतीश कुमार का बड़ा वजूद था। अब उस वजूद को नीतीश कुमार खुद खोते नजर आ रहे निराशा व परेशान है। केंद्र में जब मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता की चाबी संभालने जा रही थी उसे वक्त नीतीश का बड़ा वजूद था। यूँ कहें कि भाजपा के आँखों के तारे थे नीतीश कुमार आज यूजलेस होते जा रहे हैं।

नीतीश कुमार अब कहते नजर आ रहे हैं कि मैं पलटने वालों में से नहीं हूं। आज एनडीए सरकार 292 सांसदों के बल पर चल रही है। जिसमें नीतीश के 12 सांसद भी शामिल है। अगर आज नीतीश कुमार एनडीए को धोखा दें तो भी एनडीए के पास 280 सांसद रहेंगे। दिल्ली कि सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम 272 संसद की आवश्यकता होती है। अर्थात कहें कि 272 से भी एक सांसद कम होते हैं तो मोदी सरकार गिर सकती है। अब एनडीए सरकार को नीतीश के जाने ना जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। संकट के कुछ बदल नीतीश के पलटने से भाजपा पर मंडरा सकते हैं। जो संकट यह होगा कि छोटे घटक दल अपना बड़ा मुंह खोलना शुरू कर देंगे। जिनका मुंह बंद करना भाजपा के लिए संकट हो सकता है। जिसे देखते हुए भाजपा ने महाराष्ट्र में ऐसा कुछ जुगाड़ बनाया है कि अब नीतीश की जरूरत ना के बराबर ही रहेगी या नहीं पड़ेगी।

इसके लिए भाजपा ने महाराष्ट्र में शरद पवार (एनसीपी) को तोड़ने की रणनीति बना ली है। जिसकी जिम्मेदारी अजीत पवार को दे दी गई है। अजीत पवार को यह जिम्मेदारी इस शर्त पर दी गई है कि अगर अजीत पवार, शरद पवार के सांसदों को तोड़ने में कामयाब होते हैं तो उनकी पार्टी को दिल्ली में मंत्रालय मिलेगा। इसके साथ ही शरद गुट के आने वाले सांसदों को भी दिल्ली में मंत्री बनाया जाएगा।इस स्थिति में नीतीश के जो सांसद दिल्ली में मंत्री हैं उन्हें हटाया जाएगा अगर वह सांसद नहीं हटाना चाहते हैं तो उनको भी जदयू तोड़नी पड़ेगी।

अजीत पवार शरद पवार के आठ सांसदों को एनडीए में लाने की तैयारी कर रहे हैं। खबर यहां तक है कि सुप्रिया सुले को भी केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो शरद पवार बहुत जल्द इंडिया गठबंधन को छोड़ टाटा-टाटा बाय-बाय कर सकते हैं। या फिर अजीत पवार के साथ ना जाकर अपने 07 सांसदों को एनडीए में मंत्री बनने की मौन सहमति भी शरद दादा दे सकते हैं।

आज की स्थिति यह है कि अगर नीतीश कुमार पलटते भी है तो मोदी सरकार में 280 सांसद बचेंगे। 280 में शरद पवार के साथ या आठ सांसद फिर जुड़ सकते हैं तो मोदी सरकार में सांसदों की संख्या 288 हो जाएगी। अर्थात यह है कि अब नीतीश कुमार मोदी सरकार की मजबूरी नहीं रह गए हैं। रही बात बिहार की तो बिहार में भाजपा ने राज्यपाल बदलकर बता दिया है कि नीतीश के पलटने से बिहार में नई सरकार का गठन होना बहुत आसान नहीं होगा। हो सकता है बचे हुए 9 महीने बिहार को राष्ट्रपति शासन में ही बिताना पड़े। जिससे अब नीतीश के पलटने से मोदी को बहुत बड़ा झटका लगने वाला नहीं है बल्कि नीतीश अब बीजेपी के लिए यूजलेस हो चुके हैं।

हां अगर नीतीश और नायडू दोनों एक साथ एनडीए को छोड़ते हैं तो सरकार गिर सकती है। नीतीश के पास 12 सांसद और चंद्रबाबू नायडू के पास 16 सांसद है। अगर दोनों को जोड़ दिया जाए तो 28 सांसद होते हैं। अर्थात 292 से 28 घटाएंगे तो यह संख्या 264 पहुंच जाएगी। जो बहुमत से दूर है। ऐसी स्थिति में मोदी सरकार गिर सकती है। लेकिन अगर 7 सांसद शरद पवार की पार्टी से आ जाए तो यह संख्या 271 की होगी जो मोदी सरकार के लिए संकट है। इससे बचने का भाजपा ने प्रबंध कर दिया है। नीतीश कुमार को बहुत कायदे से बांध दिया है।

यही कारण है कि पलटी करने निकले नीतीश कुमार संकट में पड़ गए। और कहीं ना जाने की बात करने लगे हैं। इससे एक बात तो तय हो गई है कि अब बिहार में नीतीश को बीजेपी सीएम बनने नहीं देगी। यही नहीं नीतीश को राजद और कांग्रेस भी इस बार मुख्यमंत्री नहीं बनने देगी। मोदी को भी अब केंद्र में नीतीश कुमार की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं रह गयी है। भाजपा में जाने से नीतीश को सबसे बड़ा नुकसान हुआ है। नीतीश खुद अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार चुके। इसीलिए मैं कहता हूं कि बिहार में जो राजनीतिक भूचाल आना लग रहा था वह बवंडर में तब्दील होकर थमता नजर आ रहा है। थमता नजर आता बिहार का भूचाल