आजीविका मिशन से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार के बेहतर अवसर

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उ0प्र0 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े लाभार्थियों के सामूहिक प्रयासों से विकास व समृद्धि की दिशा में सार्थक परिणाम प्राप्त होंगे । उ0प्र0 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने का कार्य किया गया । प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त हो रहे । प्रदेश सरकार के प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने मेंसहायक होंगे, महिलाएं अपने-अपने स्वरोजगार की स्थापनाकर सकेंगी, जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर होगा । प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन एवंसामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में दीनदयालअन्त्योदय योजना एन0आर0एल0एम0 महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही । आजीविका मिशन में 04 लाख 80 हजार स्वयं सहायता समूहोंके माध्यम से लगभग 52 लाख परिवारों को जोड़ा गया । वित्तीय समावेशन प्रक्रिया के अन्तर्गत 3,10,832 से अधिक समूहों को15,000 रु0 प्रति समूह की दर से, 466.24 करोड़ रु0 का रिवॉल्विंगफण्ड तथा 1,10,000 रु0 प्रति समूह की दर से 1,86,015 स्वयं सहायतासमूहों को 2046.16 करोड़ रु0 की सामुदायिक निवेश निधि प्रदान की गई । बैंक क्रेडिट लिंकेज हेतु 1,26,709 स्वयं सहायता समूहों को विभिन्न बैंकिंग संस्थाओं से जोड़कर 1,267 करोड़ रु0 की धनराशि अनुदानित ब्याज पर उपलब्ध करायी गयी । वैश्विक महामारी कोविड-19 के समय में आजीविका मिशन से सम्बन्धितसमूह की सदस्यों ने प्रदेश के 75 जनपदों के 826 विकास खण्डों मेंसतत विकास को मूर्त रूप देने में अपनी सार्थकता को सिद्ध किया । बलिनी की तर्ज पर गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर,रायबरेली, सुल्तानपुर, अमेठी, बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी,सीतापुर तथा रामपुर जनपदों में मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनियां बनायी जाएंगी । पूर्वांचल के 05 जनपद क्रमशः सोनभद्र, चन्दौली, मीरजापुर, बलिया एवं गाजीपुरके लिए बलिनी की तर्ज पर मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी गठित करने केलिए भारत सरकार द्वारा 43 करोड़ रु0 की परियोजना स्वीकृत । जनपद झाँसी तथा महोबा में दलहन व मूंगफली मूल्य श्रृंखला हेतुझलकारी बाई महिला किसान प्रोड्यूसर कम्पनी का गठन किया गया,इसके माध्यम से 17,406 महिला किसान लाभान्वित होंगी । पश्चिमी उ0प्र0 के जनपद बदायूं में धान, गेहूं एवं मेंथा की मूल्यश्रृंखला हेतु बदायंुनी महिला किसान प्रोड्यूसर कम्पनी का गठनकिया गया, जिसमें 14,275 महिलाएं लाभान्वित होंगी । मुख्यमंत्री के नेतृत्व में नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलम्बनकी दिशा में उल्लेखनीय कार्य किए गए: ग्राम्य विकास मंत्री उ0प्र0 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, मुख्यमंत्री जी की अपेक्षाओं के अनुरूपभविष्य में भी प्रदेश के विकास और आर्थिक समृद्धि के लिए कार्य करता रहेगा ।

लखनऊ। वैश्विक महामारी कोविड-19 के समय में आजीविका मिशन से सम्बन्धित समूह की सदस्यों ने प्रदेश के 75 जनपदों के 826 विकास खण्डों में सतत विकास को मूर्त रूप देने में अपनी सार्थकता को सिद्ध किया है। कोविड-19 जागरूकता एवं बचाव कार्य में वर्ष 2020-21 में खादी विभाग से कपड़े की आपूर्ति के माध्यम से 20,396 स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों द्वारा 01 करोड़ 23 लाख मास्क एवं 1,223 सदस्यों द्वारा 50,714 पी0पी0ई0 किट का निर्माण किया गया।

आजीविका मिशन से जुड़ी प्रदेश की 67 हजार महिलाओं से 01 करोड़ 55 हजार स्कूल ड्रेस की सिलाई करायी गयी है, जिसमें 100 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित हुआ। ड्रेस सिलाई से प्रति महिला 6,000 रुपए की मासिक आय का सृजन हुआ। टेक होम राशन परियोजना के अन्तर्गत प्रदेश के 43 जनपदों के 204 विकासखण्डों में स्वयं सहायता समूहों की महिला सदस्यों द्वारा पुष्टाहार उत्पादन इकाई की स्थापना कर पुष्टाहार तैयार कर आंगनबाड़ी केन्द्रों में वितरण किए जाने का निर्णय लिया गया। इसी क्रम में जनपद फतेहपुर के विकासखण्ड मलवा तथा जनपद उन्नाव के विकासखण्ड बीघापुर में पुष्टाहार इकाई स्थापित कर टेक होम राशन का उत्पादन आरम्भ कर दिया गया है।

प्रदेश के सभी जनपदों के समस्त विकासखण्डों में 63,000 समूहों द्वारा ड्राई राशन यथा-गेहूं, चावल, चना, एडिबल ऑयल का उठान एवं पैकिंग कर, 01 करोड़ 64 लाख आंगनबाड़ी केन्द्रों में विभिन्न वर्गों (बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं, अतिकुपोषित बच्चांे व किशोरी बालिकाओं) के 01 करोड़ 47 लाख लाभार्थियों को इसका वितरण किया जा रहा है। इसी प्रकार 2,966 उत्पादक समूहों के माध्यम से 45,824 महिला किसानों को सब्जी-फल, खाद्यान्न उत्पादन एवं पशुपालन के कार्य से जोड़कर आजीविका के साधन उपलब्ध कराए गए हैं। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा 35,654 सामुदायिक शौचालय का संचालन किया जा रहा है।

समूहों द्वारा 29 लाख सोलर लैम्प का निर्माण किया गया, जिससे लगभग 07 करोड़ रुपए की आय हो चुकी है। प्रति महिला औसतन 5,000 से 7,0000 रुपए की मासिक आय का सृजन किया जा रहा है। वर्तमान में 705 से ज्यादा प्रेरणा कैण्टीन का संचालन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। कैण्टीन के संचालन से प्रति महिला औसतन 6,000 रुपए की मासिक आय सृजित हो रही है। प्रदेश में उचित दर की 1,488 दुकानें स्वयं सहायता समूहों को आवंटित की गई हैं।

बुन्देलखण्ड क्षेत्र में दुग्ध मूल्य श्रृंखला हेतु बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी का गठन किया गया है। अब तक 05 जनपदों के 601 ग्रामों में इस कम्पनी के 24,180 शेयर होल्डर्स हैं। अभी तक 80 करोड़ 53 लाख रुपए का भुगतान महिला दुग्ध उत्पादकों को किया गया है। कम्पनी द्वारा 06 करोड़ 04 लाख रुपए का लाभांश अर्जित किया गया। राज्य सरकार ने ‘महिला सामर्थ्य योजना’ के अन्तर्गत 200 करोड़ रुपए के बजट का प्राविधान किया है, जिससे बलिनी की तर्ज पर गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर, रायबरेली, सुल्तानपुर, अमेठी, बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर तथा रामपुर जनपदों में मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनियां बनायी जाएंगी। इसी प्रकार, पूर्वांचल के 05 जनपद क्रमशः सोनभद्र, चन्दौली, मीरजापुर, बलिया एवं गाजीपुर के लिए बलिनी की तर्ज पर मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी गठित करने के लिए भारत सरकार द्वारा 43 करोड़ रुपए की परियोजना स्वीकृत कर दी गई है।

जनपद झाँसी तथा महोबा में दलहन व मूंगफली मूल्य श्रृंखला हेतु झलकारी बाई महिला किसान प्रोड्यूसर कम्पनी का गठन किया गया है। इसके माध्यम से 17,406 महिला किसान लाभान्वित होंगी। इस परियोजना के लिए भारत सरकार द्वारा 16 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपद बदायूं में धान, गेहूं एवं मेंथा की मूल्य श्रृंखला हेतु बदायंुनी महिला किसान प्रोड्यूसर कम्पनी का गठन किया गया है, जिसमें 14,275 महिलाएं लाभान्वित होंगी। इसके लिए भारत सरकार द्वारा 18 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है।

जरी-जरदोजी हस्तशिल्प के लिए जनपद बदायूं में महिला कारीगरों के विकास के लिए हस्तशिल्प उत्पादन कम्पनी का निर्माण किया जा रहा है, जिससे हस्तशिल्प कारीगरों को उच्च गुणवत्ता के उत्पाद तैयार करते हुए बाजार से जुड़ने में मदद मिलेगी। इसके लिए भारत सरकार द्वारा 07 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। प्रदेश की 56,875 ग्राम पंचायतांे हेतु बी0सी0 सखी को चयनित किया गया है। आर-सेटी एवं इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एण्ड फाइनेंस के माध्यम से अभी तक 24,031 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित एवं प्रमाणित किया जा चुका है। इनमें से 2,316 बी0सी0 सखी ने ग्राम पंचायतों में कार्य प्रारम्भ कर दिया है।

‘प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना’ के माध्यम से 2,43,185 महिलाओं एवं ‘प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना’ के अन्तर्गत 5,66,021 महिलाआंे को जोड़ा गया है। ‘आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना’ के अन्तर्गत वर्तमान में कुल 268 वाहनों का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान में कुल 3,319 महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों द्वारा बिजली बिल कलेक्शन का कार्य किया जा रहा है। अब तक 28 करोड़ रुपए का बिल कलेक्शन करते हुए महिलाओं द्वारा 52 लाख रुपए की धनराशि अर्जित की गई है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बिजली बिल कलेक्शन किए जाने से महिलाओं में स्वावलम्बन और आर्थिक आत्मनिर्भरता आएगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अनुपूरक पुष्टाहार के उत्पादन व आपूर्ति के जनपद फतेहपुर प्लाण्ट यूनिट की अध्यक्ष श्रीमती वन्दना देवी एवं जनपद उन्नाव के प्लाण्ट यूनिट की अध्यक्ष श्री अन्ना देवी से प्लाण्ट की उत्पादन प्रक्रिया और कार्य प्रणाली के बारे में संवाद किया। यूनिट की इन महिलाओं ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कोरोना कालखण्ड के दौरान प्लाण्ट में अनुपूरक पुष्टाहार का उत्पादन जारी रहा।

उ0प्र0 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की विभिन्न क्षेत्रों में संचालित गतिविधियों से जुड़ी 06 लाभार्थियों-सुश्री सन्तोष (मथुरा), बबीता देवी (मुजफ्फरनगर), शालनी (कानपुर देहात), प्रीति देवी (बुलन्दशहर), गीता देवी (वाराणसी) तथा बिन्नू राजा (झांसी) से वर्चुअल संवाद भी किया। मुख्यमंत्री जी ने इन लाभार्थियों से उ0प्र0 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की।सन्तोष ने बताया कि उन्होंने बी0सी0 सखी के रूप में कार्य करते हुए लगभग 01 माह के दौरान 17 नए एकाउण्ट खोले तथा 543 बैंकिंग ट्रांजेक्शन किए। श्रीमती बबीता देवी ने कहा कि मिशन से जुड़ने के बाद पिछले 05 माह से बिजली बिल एजेण्ट के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने 14 लाख रुपए का बिजली बिल एकत्रित किया, जिससे उन्हें 16,365 रुपए की आय अर्जित हुई। श्रीमती शालनी ने बताया कि मिशन के जुड़ने के बाद वे सामुदायिक शौचालय के संचालन का कार्य कर रही हैं, जिसके तहत उन्हें 6,000 रुपए प्रतिमाह का मानदेय प्राप्त हो रहा है।

प्रीति देवी ने बताया कि मिशन के अन्तर्गत सितम्बर, 2020 में उन्हें उचित दर की दुकान का आवंटन हुआ है। गांव में 495 राशन कार्ड हैं। राशन वितरण के कार्य से उन्हें प्रतिमाह लगभग 5,500 रुपए की आमदनी हो रही है। श्रीमती गीता देवी ने कहा कि मिशन के जुड़ने के बाद उन्होंने जनपद वाराणसी में पावरलूम का कार्य प्रारम्भ किया। इससे उन्हें 8,000 रुपए प्रतिमाह की आय प्राप्त हो रही है। श्रीमती बिन्नू राजा ने कहा कि उन्हें बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी के सदस्य के रूप में जुड़कर दुग्ध उत्पादन के कार्य से लगभग 8,000 रुपए प्रतिमाह की आमदनी हो जाती है।

ग्राम्य विकास मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह ‘मोती सिंह’ ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलम्बन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों ने अपने कार्यों और गतिविधियों से एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। इससे महिला सशक्तिकरण की दिशा में मजबूती मिली है। महिलाएं आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्त हुई हैं। उनके द्वारा परिवार, समाज और नारी समाज का आर्थिक उन्नयन हुआ है। ग्रामीण परिवेश में गुणात्मक सुधार आया है। उन्होंने आश्वस्त किया कि उ0प्र0 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, मुख्यमंत्री जी की अपेक्षाओं के अनुरूप भविष्य में भी प्रदेश के विकास और आर्थिक समृद्धि के लिए कार्य करता रहेगा।कार्यक्रम के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से यूनाइटेड नेशन-वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के कण्ट्री डायरेक्टर श्री बिशों पाराजुले सहित महिला स्वयं सहायता समूहों की 50,000 सदस्य जुड़ी हुई थीं।