डीआईजी जेल का गजब कारनामा

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डीआईजी जेल का गजब कारनामा
डीआईजी जेल का गजब कारनामा

डीआईजी जेल का अजब गजब कारनामा। निजी स्वार्थ की खातिर महिला बाबू को बना दिया बैडमिंटन खिलाड़ी! विभाग के मुखिया ने महिला बाबू का नाम काटकर डीआईजी के मंसूबों पर फेरा पानी। दो कैदियों की समयपूर्व रिहाई के गलत प्रस्ताव और बगैर सर्वे के महिला भर्ती प्रकरण की चल रही जांच। डीआईजी जेल का गजब कारनामा

राकेश यादव

लखनऊ। कैदियों की समयपूर्व रिहाई के शासन को दो गलत प्रस्ताव भेजने, बस्ती जेल पर बगैर परीक्षण के एक महिला की भर्ती कर उसे बगैर किसी सूचना के सेवा समाप्त किए जाने के मामले की जांच झेल रहे डीआईजी जेल का एक और सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। यह डीआईजी जेल मुख्यालय में तैनात है। एक महिला बाबू को अपने साथ सैर कराने के लिए बैडमिंटन खिलाड़ी तक बना दिया। मजे की बात यह है कि जिस महिला बाबू को बैडमिंटन टीम के लिए चयन किया गया उसको बैडमिंटन के रैकेट और सेटल कॉक तक की कोई जानकारी ही नहीं थी। यह अलग बात है कि विभाग के मुखिया ने चयनकर्ताओं की लिस्ट से महिला बाबू का नाम काटकर डीआईजी के मंसूबों पर पानी फेर दिया। महिला प्रेम का यह मामला विभाग के अधिकारियों और बाबुओं में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है।

मिली जानकारी के मुताबिक बीते सितंबर माह में तेलंगाना में 9 सितम्बर से 11 सितंबर तक ऑल इंडिया प्रिजन मीट का आयोजन होना था। आयोजन में शामिल होने के लिए प्रदेश भर की जेलों से खिलाड़ियों के नाम मांगे गए थे। सूत्रों का कहना है नामों के चयन की जिम्मेदारी मुख्यालय में तैनात एक डीआईजी को सौंपी गई थी। जबकि यह जिम्मेदारी संपूर्णानंद कारागार प्रशिक्षण संस्थान के प्रभारी डीआईजी को सौंपी जानी चाहिए थी, किन्तु यह जिम्मेदारी मुख्यालय में तैनात एक अन्य डीआईजी को सौंप दी गई। इन्हीं के नेतृत्व में खिलाड़ियों की टीमें प्रिजन मीट में शामिल हुई थी।

मंत्री समेत आला अफसरों ने मामले पर साधी चुप्पी

बैडमिंटन की एबीसीडी नहीं जानने वाली महिला बाबू के प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए हुए चयन के संबंध में जब कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान, प्रमुख सचिव कारागार अनिल गर्ग से बात करने का प्रयास किया गया तो दोनों ही लोगों ने फोन नहीं उठाया। विभाग के मुखिया महानिदेशक कारागार ने महिला बाबू के चयनित होने की बात तो स्वीकार की लेकिन इस मामले पर और कोई भी टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया।

सूत्रों का कहना है कि विभाग में महिला प्रेम के लिए सुर्खियों में रहने वाले डीआईजी ने राजधानी की एक जेल में मृतक आश्रित कोटे से भर्ती एक महिला बाबू को पहले कारागार मुख्यालय से संबद्ध कराया और कुछ समय बाद ही नियमों को ताख पर रखकर इस चहीती महिला बाबू को मुख्यालय में समायोजित तक करा लिया। इसी दौरान उन्होंने तेलंगाना में आयोजित होने वाली ऑल इंडिया प्रिजन मीट में होने वाली प्रतियोगिताओ के लिए बैडमिंटन टीम में महिला बाबू का चयन कर लिया। डीआईजी की चहीती महिला बाबू के चयन की भनक लगते ही मुख्यालय के ही कुछ अधिकारी हरकत में आ गए। उन्होंने इसकी जानकारी जेल मुख्यालय के मुखिया को देते हुए बताया कि जिस महिला बाबू को बैडमिंटन के रैकेट और सेटल कॉक तक की जानकारी नहीं है डीआईजी ने उसका चयन प्रतियोगिता के लिए कर दिया है। इससे विभाग की बदनामी हो सकती है। सूत्र बताते है कि चयनित खिलाड़ियों की सूची को अनुमोदन के लिए जब विभाग के मुखिया के पास भेजा गया तो उन्होंने महिला बाबू का नाम काट दिया। डीआईजी के दो प्रयासों के बाद भी सफलता नहीं मिल सकी। इससे उनके अरमानों पर पानी फिर गया। जेल मुख्यालय में इस मामले को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। डीआईजी जेल का गजब कारनाम