अखिलेश यादव के नीतिगत निर्णयों से पर्यावरण संरक्षण का अभियान हुआ मजबूत

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 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर अखिलेश का यह आत्मविश्वास अवश्य ही भाजपा और बसपा के खेमे में चिंता पैदा कर रहा होगा, क्योंकि सपा सरकार के कुछ अन्य लोग बेशक विवादित हुए हों, किन्तु अखिलेश की छवि जनता में मजबूत ही हुई है। इसके साथ -साथ अगर विकास के मोर्चे पर उन्हें विश्व भर से सराहना मिल रही है तो फिर यह ‘सोने पर सुहागा ‘ ही तो हुआ ! हालाँकि, आने वाले समय में ऊंट किस करवट बैठता है, यह अवश्य ही देखने वाली बात होगी ।

सपा प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से आज जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने भेंट की। इस अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी भी उपस्थित रहे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जल पुरूष यश भारती सम्मानित राजेन्द्र सिंह के जल संरक्षण से जुड़े अभियान और प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पर्यावरण भविष्य के लिए सबसे गम्भीर मुद्दा है। राजेन्द्र सिंह जैसे व्यक्ति भावी पीढ़ी के लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद है।


वाटरमैन के नाम से विख्यात राजेन्द्र सिंह ने कहा कि पर्यावरण संकट को दूर करने की दिशा में अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में महत्वपूर्ण कार्य किए। पारिस्थतिकी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए जैव विविधता का पर्यावरण से जुड़ी नीतियों को अखिलेश यादव प्राथमिकता देते हैं। आक्सीजन की आबाध आपूर्ति और स्वास्थ्य से जुड़े वृृक्षों के रोपण से परिवेश में सुधार के लिए समाजवादी पार्टी सरकार ने प्रभावी काम किया था।

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अखिलेश यादव ने सफलता से उत्साहित होकर पौधे लगाने का अभियान की व्यक्तिगत रुचि और भविष्य की सोच को स्पष्ट रूप में सामने रखता है। वह चाहते तो इसी पैसे के सहारे दूसरी पार्टियों की तरह ‘अपनी मूर्तियां’ लगवा देते या ‘प्रचार’ पर खर्च कर देते, किन्तु इस बात के लिए उनकी तारीफ़ होनी ही चाहिए कि उन्होंने पर्यावरण की सजगता के सम्बन्ध में न केवल उत्तर प्रदेश में, बल्कि समस्त भारत भर के राज्यों को प्रेरणा प्रदान की थी।  

सिर्फ लखनऊ में ही क्यों बात करें, बल्कि अखिलेश यादव की दूरदृष्टि की सराहना इस बात के लिए भी करनी होगी कि लखनऊ के अतिरिक्त मेरठ, आगरा, कानपूर, इलाहाबाद एवं वाराणसी जैसे शहरों में भी मेट्रो प्रोजेक्ट्स चलाने की रूपरेखा इन्हीं के शासनकाल में तैयार की गयी है। इसमें कानपूर और वाराणसी मेट्रो की योजना तो काफी आगे बढ़ चुकी है, जबकि अन्य शहरों के लिए प्लानिंग अगले फेज में थी। इस क्रम में, वाराणसी मेट्रो चलाने के लिए 15 हज़ार करोड़ रूपये की लागत से 29 किलोमीटर लम्बे रुट पर प्रस्ताव को सरकार ने अनुमोदित भी कर दिया था जिसका डी.पी.आर. पहले ही स्वीकृत हो चुका था।


राजेन्द्र सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया गम्भीर जल संकट की ओर बढ़ रही है। भारत में इसके समाधान के लिए बहुत कम राजनीतिज्ञ ही संवेदनशील हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर्यावरण इंजीनियर हैं। यह उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली में स्पष्ट तौर पर दिखता है। पिछली समाजवादी सरकार में सूखे की मार झेल रहे बुन्देलखण्ड के चरखारी में 100 वर्ष से पहले बने सात तालाबों का जीर्णोद्धार समाजवादी सरकार में ही अखिलेश यादव ने ही किया था। इसके उद्घाटन कार्यक्रम में जल पुरुष राजेन्द्र सिंह भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ शामिल हुए। इस कार्यक्रम में चरखारी राजघराने की महारानी उर्मिला जी भी उपस्थित थी। समाजवादी जल संरक्षण योजना के अंतर्गत 100 तालाबों के निर्माण और मरम्मत, पर्यावरण हितैषी कार्य था। जिससे वहां की स्थानीय जनता को बड़ा लाभ मिला।

नदियों के पुर्नजीवन और उनकी निर्मलता को बनाये रखने के लिए भी अखिलेश यादव ने कई नीतिगत निर्णय लिए जिससे पर्यावरण संरक्षण का अभियान मजबूत हुआ। हिंडन, गोमती, वरूणा नदियों के लिए समाजवादी सरकार के प्रयासों की सराहना राष्ट्रीय स्तर पर होती रहती है। बुन्देलखण्ड में अखिलेश यादव द्वारा नदी को पुर्नजीवित करने का ऐतिहासिक कार्य हुआ था। जल पुरुष राजेन्द्र सिंह का मानना है कि अखिलेश यादव प्रगतिशील नेतृत्व के धनी है।

 उत्तर प्रदेश को राजनीति का अखाड़ा इसलिए ही कहा जाता है, क्योंकि यहाँ इसके तमाम नए-पुराने दांव एक दुसरे पर आजमाए ही जाते रहते हैं, जो सत्ता में रहता है, अपना बचाव करता है तो विपक्षी उसके वादों एवं कार्यों को हवा में उड़ाने का दावा करते हैं। हालाँकि, कई बार आरोप-प्रत्यारोप हवा-हवाई ही होते हैं, जिनका खंडन करना सत्ता पक्ष आवश्यक नहीं समझता है और अगर बात कही जाय अखिलेश यादव की तो, वह तू-तू, मैं-मैं करते शायद ही कभी देखे गए हों।