

दुनिया में खतरनाक बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया में दवा प्रतिरोधी क्षमता लगातार बढ़ रही है। दवा प्रतिरोध बढ़ने से एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो रही हैं। दवा प्रतिरोध का मुकाबला करने के लिए विज्ञानी नई एंटीबायोटिक दवाएं विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें अब वे एआइ की भी मदद ले रहे हैं। मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं ने गोनोरिया और एमआरएसए जैसे दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया को लक्षित करने वाले नई एंटीबायोटिक दवाएं बनाने करने के लिए जेनरेटिव एआइ का उपयोग किया है। ये यौगिक मानव कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना बैक्टीरिया को मार देते हैं। नई एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में यह एक बड़ी सफलता है।
शोधकर्ताओं द्वारा प्रयुक्त एआइ सिस्टम ने 3.6 करोड़ से अधिक संभावित यौगिकों का विश्लेषण किया। उसने नए अणु उत्पन्न किए जिनमें मौजूदा दवा प्रतिरोध को दरकिनार करने वाले तंत्र मौजूद थे। पारंपरिक तरीकों की तुलना में इस विधि से दवाएं खोजने की प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है। इससे दवा के विकास की समय सीमा वर्षों से घटकर महीनों में आ जाती है। ‘सुपरबग’ बैक्टीरिया में दवा प्रतिरोध एक बढ़ता हुआ वैश्विक खतरा है। वैश्विक स्तर पर यह अनुमान है कि दवा – प्रतिरोधी जीवाणु संक्रमण प्रति वर्ष लगभग 50 लाख मौतों का कारण बनते हैं। नई दवाएं खोजने में एआइ बन रही मददगार
एमआइटी के शोधकर्ताओं ने मौजूदा रासायनिक यौगिकों के विशाल संग्रह की जांच के लिए एआइ की शक्ति का उपयोग किया है। एआइ ने संभावित अणुओं की एक सूची को स्कैन किया और भविष्यवाणी की कि कौन से अणु एंटीबायोटिक के रूप में काम कर सकते हैं। एआइ ने उन संरचनाओं से बचने की कोशिश की, जो मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इस कार्य से कई आशाजनक दवाएं सामने आई हैं, जिनमें हैलिसिन और एबाउसिन शामिल हैं। दोनों नए एंटीबायोटिक बैक्टीरिया की उन किस्मों को मारने में सक्षम थे जिनका मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज करना मुश्किल होता जा रहा है।
एनजी 1 नामक एक नई दवा गोनोरिया को लक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह एक यौन संचारित संक्रमण है, जो एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ तेजी से प्रतिरोध विकसित कर रहा है। कुछ मामलों में गोनोरिया का इलाज असंभव होता जा रहा है। दूसरी दवा का नाम डीएन है। इसे एमआरएसए नामक संक्रमण से निपटने के लिए विकसित किया, जिस पर अब मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता। यह उपलब्धि दवा अनुसंधान में एआइ की व्यापक क्षमता को उजागर करती है। छोटी बायोटेक कंपनियां दवा डिजाइन करने, लागत कम करने और चिकित्सा संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एआइ का लाभ उठा सकती हैं। नई दवाएं खोजने में एआइ बन रही मददगार

























