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बौखलाहट,बेचारगी,बेबसी,फ़िलहाल बस यही हासिल है भगवा खेमे का भाजपा समर्थकों का, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के साथ ही जहां किसान समर्थकों का उत्साह चरम पर है, वहीं गालियों के श्रृंगार से अपनी देशभक्ति और धार्मिकता स्थापित करने वाला वर्ग प्रतिक्रिया के लिए शब्द और समय के संकट से दो 56 इंच के सीने की मार्केटिंग करते नरेंद्र मोदी के पीछे की लामबंदी बिखरती नज़र आ रही है, तो कहीं कसम के बीच खसम ना बदलने की बात भी जवां हो रही है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवम्बर शुक्रवार को 01 साल 01 महीने 23 दिन बाद तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया, इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए कमेटी के गठन का ऐलान किया। इस कमेटी में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि के अलावा किसान,कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री होंगे।
प्रधानमंत्री के फैसले के पीछे की वजह-
- मोदी ने राष्ट्रहित में लिया फैसला:- प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला राष्ट्रहित में लिया। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निजी और पार्टी हित की जगह राष्ट्रहित में फैसला लिया गया।
- भारत विरोधी तत्व उठा रहे थे फायदा:- भारत विरोधी तत्व तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे थे। ऐसे तत्व समुदायों के बीच दरार पैदा करना चाहते थे और भारत को अपूरणीय क्षति पहुंचाना चाहते थे। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने कानूनों को वापस लेने का फैसला किया।
- सियासी वजह:-आगामी वर्ष उत्तर प्रदेश और पंजाब में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले यह बड़ा सियासी कदम हो सकता है।उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश में खासकर जाट समुदाय को अपने पाले में रखने के लिए इसकी जरूरत थी।पिछले चुनावों में जाट समुदाय ने लगभग एक होकर भाजपा के पक्ष में वोटिंग किया था। इस बार विधान सभा चुनाव में ये वोट विपक्ष के पाले में जाने की पूरी संभावना थी।आज के फैसले के बाद अब ये वोट फिर से भाजपा के साथ आ जाएगी, इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गैर मुस्लिम, गैर जाटव और गैर यादव वोट एकमुश्त भाजपा के साथ आ जाने की संभावना है। इसका चुनाव नतीजे पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।पंजाब विधान सभा चुनाव में भाजपा के नेताओ को प्रचार करना नामुमकिन था और उन पर हमले हो रहे थे. आज के फैसले के बाद स्थितियां बदल जाएगी। कैप्टन अमरिंदर सिंह अब पंजाब में किसानों के बीच अपनी पैठ और बढ़ाएंगे और उनका भाजपा के साथ गठबंधन तय है। आनेवाले दिनों में हो सकता है कि अकाली दल भी बीजेपी गठबंधन का हिस्सा बन जाए,ऐसे में शहरी, ग्रामीण और किसानों के बीच ये गठबंधन मजबूत दावेदार हो जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताई कानून वापस लेने की वजह-
प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की वजह भी बताई और कहा कि हम किसानों को समझा नहीं सके इसलिए इन कानूनों को वापस ले रहे हैं। मोदी ने कहा कि कानून वापस ले रहे हैं, लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।
कृषि सुधारों के लिए मोदी यात्रा रहेगी जारी-
नरेंद्र मोदी कृषि कानूनों की वापसी से से ज्यादा निराश होंगे, क्योंकि किसी की भी पैरवी करने से पहले वह उन्हें ले आए थे, अब माना जा रहा है कि पीएम मोदी कृषि सुधार यात्रा को जारी रखेंगे. जैसा अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा भी कि कृषि से संबंधित मुद्दों पर कमेटी बनेगी यानी सुधार यात्रा जारी रहेगी।
कृषि कानून होंगे रद्द-
- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020
- कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
कृषि कानून रद्द करने की क्या है संवैधानिक प्रक्रिया- तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए सबसे पहले कानून मंत्रालय की ओर से कृषि मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके बाद कृषि मंत्रालय के मंत्री कानूनों को रद्द करने के लिए संसद में बिल पेश करेंगे।पहले सरकार की ओर से लोकसभा में बिल पेश किया जाएगा।यहां बहस होगी और वोटिंग होगी।लोकसभा से बिल पास होने के बाद राज्यसभा में बिल पेश किया जाएगा।यहां भी बहस होगी और फिर वोटिंग होगी, इसके बाद राष्ट्रपति के पास बिल भेजा जाएगा।राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तीनों नए कृषि कानून निरस्त हो जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट तीनों कृषि कानूनों पर लगा रखी है रोक-
इन तीनों कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जनवरी 2021 में केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों पर अस्थाई तौर पर रोक लगाने का एलान किया था. इसके साथ ही कोर्ट ने एक कमेटी का भी गठन किया था लेकिन किसान कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए थे। किसानों का मानना था कि ये काले कानून है जो सरकार को वापस लेने चाहिए।इसके लिए पंजाब, हरियाणा और हिमाचल राज्यों में किसानों के बीच 3 नवंबर 2020 से सुगबुगाहट शुरू हुई थी, इसके बाद कृषि मंडियों, जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तरों और सड़कों पर कुछ छोटे विरोध प्रदर्शन किए गए, वहीं इसके बाद किसानों ने अपने आंदोलन को बड़ा करते हुए 25 नवंबर को दिल्ली कूच करने का एलान किया था।
अखिलेश यादव का बड़ा बयान
चुनाव से डरकर कानून वापस लिया गया ।चुनाव के बाद फिर ऐसा कानून लाएंगे।सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का बड़ा बयान,किसानों का अपमान करने वाली सरकार इस्तीफा दे। कृषि कानून की वापसी अहंकार की हार।जनता कभी भाजपा को माफ नहीं करेगी,सैकड़ों किसानों की मौत हो गई।जनता उन्हें माफ नहीं साफ करेगी ।आज किसानों की बहुत बड़ी जीत हुई।अखिलेश यादव ने मोदी सरकार से इस्तीफे की मांग की,किसानों को अपमानित किया गया।दिखावटी माफी मांगने वो दोबारा आएंग ।माफी मांगने वाले राजनीति छोड़ दें।
कृषि कानून पर क्या बोले मोदी-
मोदी ने अपने संबोधन में कहा, मैं सभी देश वासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से कहना चाहता हूं कि हमारे प्रयास में कमी रही होगी कि हम उन्हें समझा नहीं पाए। गुरू नानक जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। आज मैं आपको ये बताने आया हूं, कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। मेरी किसानों से अपील है कि अपने घर लौटें, खेतों में लौटें।
तो ना मोदी पहली बार डरे हैं और ना आख़िरी बार. आप लोगों को एक उदाहरण और देता हूं।सीएए एनआरसी के मुद्दे पर जब वर्ग विशेष ने विरोध करना शुरू किया तब भी साहेब सांसत में आ गए थे।एक तरफ देश के गृह मंत्री अमित शाह संसद में दावा कर रहे थे कि एनआरसी लागू होकर रहेगा। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री बयान दे रहे थे कि एनआरसी लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।डरे हुए लोगों को डराया जा सकता है, प्रतिरोध करने पर ये वाली दिल्ली दहल जाती है।अपने ख़यालों में सुपरमैन,संत,भगवान, युग परिवर्तक की छवि लिए आप अपने आपको छल रहे हैं।मोदी महज़ मानव मात्र हैं और सामान्य सियासी शख़्सियत, एक घबराया डरा हुआ सामान्य सियासी व्यक्ति जो कर सकता है, करेगा, वही नरेंद्र मोदी ने किया।आपने जबर्दस्ती का गुब्बारा बना रखा था, फूटना था फूट गया।सियासत की शतरंज की अगली चाल और दिलचस्प होगी।
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