लखनऊ के बाद मैनपुरी जेल अधीक्षक को भी बचाया….! दर्जनों गंभीर घटनाएं होने के बाद लखनऊ जेल अधीक्षक पर नहीं हुई कोई कार्रवाई। मैनपुरी जिला जेल का वीडियो वायरल होने के बाद भी जांच अधिकारी को नहीं मिले कोई साक्ष्य।
आर. के. यादव
लखनऊ/मैनपुरी। शासन जेल अफसरों को तमाम गलतियों के बाद भी बचाने में कोई कोर कसर बाकि नहीं रख रहा है। राजधानी की जिला जेल में दर्जनों की संख्या में गंभीर घटनाएं होने के बाद किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी प्रकार अम्बेडकर जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मातहत कार्मियों के बदसलुकी करने वाली मैनपुरी जेल अधीक्षक को भी विभाग के आला अफसरों ने बचा लिया है। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा है कि विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकले लगाई जा रही है। चर्चा है कि ऊंची पहुंच और जुगाड़ वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई ही नहीं होती है। वायरल वीडियों में साक्ष्य होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
विभाग के आला अफसरों ने साधी चुप्पी- मैनपुरी जिला जेल परिसर को वीडियो वायरल होने और लखनऊ जेल में तमाम घटनाएं होने के बाद कार्रवाई नहीं होने के संबंध में जब जेल मुख्यालय के उप महानिरीक्षक एके सिंह ने इसे शासन का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया। मुख्यालय के एक अधिकारी ने मैनपुरी जेेल प्रकरण की जांच रिपोर्ट शासन को भेजे जाने की पुष्टि की हैं।
बीते दिनों वीडियो वायरल होने को लेकर प्रदेश की मैनपुरी जेल सुर्खियों में रही। इस जेल के परिसर में अंबेडकर जयंती के मौके पर जेलकर्मियों की ओर से समारोह का आयोजन किया गया था। इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में मैनपुरी जिला जेल अधीक्षक को आमंत्रित किया गया था। बताया गया है मुख्य अतिथि अधीक्षक ने आयोजन से संतुष्ठï नहीं दिखाई दी। इस पर मंच पर उनका गुस्सा फूट गया। मंच से उन्होंने कहा कहा कि जेल के सुरक्षाकर्मी बंदियों को थप्पड़ मारकर पांच सौ रूपये की वसूली तो कर लेते है लेकिन कार्यक्रम के लिए चंदा देने में उनकी जान निकल जाती है। इस दौरान उन्होंने मंच से ही मातहत सुरक्षाकर्मियों के लिए अपशब्दों का भी प्रयोग किया। मंच का वीडियो वायरल होने पर विभागीय अधिकारियों में हडक़ंप मच गया। इसकी शिकायत विभाग के मुखिया के पास पहुंची। उन्होंने इस मामले की जांच कराने की बात कही। सूत्रों का कहना है कि आईजी जेल ने मामले की जांच विभाग के एक वरिष्ठï अधिकारी को सौंपी। करीब एक हफ्ते के बाद जांच रिपोर्ट जेल मुख्यालय को भेजी गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जेल परिसर में ऐसा कोई मामला ही नहीं हुआ। इसके साथ ही इस संबंध में कोई भी मातहत कर्मचारी बयान देने को तैयार नहीं हुआ। यह हवाला देते हुए आरोपी जेल अधीक्षक को क्लीन चिट दे दी गई।
गौरतलब है कि राजधानी की जिला जेल में दो खुंखार कैदियों की फरारी, गल्ला गोदाम से 35 लाख रुपए की नगद धनराशि बरामद होन, बंगलादेश से जेल के बंदियों की फडिंग, विदेशी कैदी समेत तीन बंदियों की गलत रिहाई, सनसाइन सिटी मामले में पावर ऑफ अटार्नी जेल से बाहर जाने और बंदियों की पिटाई से घायल बंदीरक्षक की मौत होने जैसी तमाम घटनाएं होने के बाद भी शासन व जेल मुख्यालय की ओर से जेल के किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। विभागीय जानकारों का कहना है कि विभाग में निरीह अधिकारियों की जेलों पर मामूली घटनाएं हो जाने के बाद तुरंत कार्रवाई कर दी जाती है, वहीं ऊंची पहुंच और सेटिंग गेटिंग में माहिर अधिकारियों के खिलाफ गंभीर घटनाएं होने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती है। यह उसका जीता जागता उदाहरण है। मैनपुरी जेल अधीक्षक को भी बचाया….!