अतीक ने रिश्तेदार-पड़ोसी को भी नहीं बख्शा

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अतीक ने रिश्तेदार-पड़ोसी को भी नहीं बख्शा
अतीक ने रिश्तेदार-पड़ोसी को भी नहीं बख्शा

अतीक-अशरफ के जुर्म से अल्पसंख्यक ही सबसे ज्यादा पीड़ित। टॉप 20 मामलों में से 13 मामले अल्पसंख्यक समुदाय के। अपने रिश्तेदार, पड़ोसी को भी नहीं बख्शा था अतीक ने।मदरसे की दो नाबालिग बच्चियों के साथ अशरफ ने किया था रातभर बलात्कार। अतीक ने रिश्तेदार-पड़ोसी को भी नहीं बख्शा

लखनऊ। माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ के आतंक से सिर्फ उमेश पाल का परिवार ही पीड़ित नहीं था बल्कि उसके जुल्म से पीड़ितों की फेहरिस्त लंबी है। एक समय था जब माफिया अतीक की तूती बोलती थी। जमीन कब्जा, अपहरण, हत्या के लिए कुख्यात अतीक के गुर्गों ने प्रदेश में तबाही मचा रखी थी। टॉप 20 मामले पर करें गौर करें तो अहमद भाइयों ने सबसे ज्यादा जुल्म अल्पसंख्यक समुदाय से आने वालों लोगों पर ही किया है। टॉप 20 मामलों में से 13 मामलों में मुस्लिम समुदाय ही पीड़ित रहा है। अशरफ पर तो मदरसे से तालीम ले रही दो नाबालिग बच्चियों को असलहे के दम पर अगवा कर रातभर बलात्कार किया और सुबह मदरसे गेट पर लहूलूहान हालत में फेंक कर चले गये।

अपने रिश्तेदार की जमीन पर भी किया कब्जा


अतीक ने जरायम की दुनिया में अपनी बादशाहत बनाए रखने के लिए रिश्तेदारों को भी नहीं बख्शा। वह जमीन के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। कसारी मसारी प्रयागराज निवासी जीशान उर्फ जानू इसी का जीता जागता उदाहरण है। दरअसल, जीशान अतीक के साढू इमरान जई के छोटे भाई हैं। अतीक ने जीशान की जमीन कब्जा करने के लिए उसके घर को जेसीबी से गिरवा दिया था। इतना ही नहीं उससे पांच करोड़ की रंगदारी के साथ उस पर हमला किया था, जिसका जीशान ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसी तरह सभासद अशफाक कुन्नू का वर्ष 1994 में कत्ल हो गया। इस हत्याकांड को अतीक और अशरफ ने अंजाम दिया था, लेकिन अतीक की ऐसी दहशत थी कि उस पर कानूनी शिकंजा नहीं कस सका। कोई भी पुलिस अधिकारी उस पर हाथ नहीं डालना चाहता था। घटना के पांच साल बाद 1999 में तब के एसपी सिटी लालजी शुक्ला ने अशफाक कुन्नू हत्याकांड में अशरफ की गिरफ्तारी की, उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी।

नस्सन को गोली से उड़ाया


अतीक पर उसके अपने करीबी पार्षद नस्सन को गोली मारने का मामला सामने आया था। दरअसल, वार्ड पार्षद नस्सन ने अतीक के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी। ऐसे में दोनों के बीच अनबन शुरू हो गई थी। वर्ष 2001 में नस्सन को अतीक ने चकिया में गोलियों से छलनी कर दिया था।वहीं भाजपा नेता अशरफ की माफिया अतीक ने वर्ष 2003 में गोली मारकर हत्या कर दी थी। चकिया में अतीक के घर के सामने ही अशरफ का घर था। अतीक ने भाजपा नेता का नाम उसके भाई के नाम पर होने की वजह से उसे मौत के घाट उतार दिया था। बताते हैं कि वह विपक्षी दल भाजपा के लिए काम करके अतीक को चिढ़ाता था। इसमें सबसे अधिक हैरान करने वाला मामला यह था कि अशरफ की हत्या के बाद उसके शव को लेकर अतीक के गुर्गे भाग गए थे। इसी तरह उसने वर्ष 1989 में प्रयागराज के झालना इलाके में बृजमोहन उर्फ बच्चा कुशवाहा की साढ़े बारह बीघे जमीन पर कब्जा कर लिया था। विरोध करने पर अतीक ने बच्चा को गायब करवा दिया, जिसका आज तक पता नहीं चला। बाद में उसने बच्चा कुशवाहा के बेटे और उसकी पत्नी सूरज कली को मारने पीटने के साथ कई बार गोली चलवाई।

अतीक ने रिश्तेदार-पड़ोसी को भी नहीं बख्शा
अतीक ने रिश्तेदार-पड़ोसी को भी नहीं बख्शा

एक नजर में टॉप 20 मामले, जिसमें सबसे ज्यादा अल्प संख्यक समुदाय के

  1. जीशान उर्फ जानू पुत्र मो. जई नि. कसारी मसारी थाना धूमनगंज प्रयागराज।
  2. मसले (मदरसा कांड में पुत्री के साथ बलात्कार की घटना ) अशरफ
  3. स्व. अशफाक कुन्नू का परिवार। (अशफाक की हत्या वर्ष 1994 में हुयी थी)
  4. पार्षद नस्सन का परिवार (वर्ष 2001 में पार्षद नस्सन की हत्या की गयी थी)
  5. जैद बेली (दोहरा हत्याकांड बेली)
  6. भाजपा नेता अशरफ पुत्र अताउल्ला का परिवार ( वर्ष 2003 में भाजपा नेता अशरफ की हत्या)
  7. मकसूद पुत्र स्व. मो. कारी (मो. कारी की हत्या करने की घटना की गयी)
  8. जैद (देवरिया जेल काण्ड)
  9. अरशद पुत्र फरमुदमुल्ला नि. सिलना प्रयागराज (अरशद के हाथ पैर तोड़े)
  10. जाबिर, बेली प्रयागराज (अल्कमा हत्याकांड में अतीक द्वारा फर्जी नामजद कराया गया तथा जमानत का विरोध अपने वकील के माध्यम से कराया जाता था।)
  11. आबिद प्रधान
  12. सउद पार्षद खुल्दाबाद
  13. शाबिर उर्फ शेरू
  14. जया पाल पत्नी स्व. उमेश पाल
  15. सूरज कली (पति की हत्या व गवाही के लिए धमकी देना)
  16. स्व. अशोक साहू का परिवार (वर्ष 1995 में अशोक साहू की हत्या की गयी
  17. मोहित जायसवाल (देवरिया जेल कांड)
  18. जग्गा का परिवार (मुम्बई से बुलाकर कब्रिस्तान में पेड़ से बांध कर जग्गा की हत्या)
  19. पार्षद सुशील यादव
  20. सिक्योरिटी इन्चार्ज राम कृष्ण सिंह

अतीक-अशरफ की कहानी तो खत्म, लेकिन पिक्चर अभी बाकी है…

उत्तर प्रदेश पुलिस ने यूपी मोस्ट वांटेड क्रिमिनल की सूची सार्वजनिक कर दी है। यूपी एडीजी क्राइम ऑफिस के हवाले जारी की गई लिस्ट में ये भी बताया गया है कि किस मोस्ट वांटेड पर कितने का इनाम है। साथ में उनकी एक पासपोर्ट साइज फोटो भी जारी की गई है।

नीचे पूरी लिस्ट देखें…


नाम कहां के रहने वाले हैं इनाम (रुपए में)
विवेक कुमार —————————-बुलंदशहर —–50,000
सलीम मुख्तार सेख —————————–लखनऊ—— 50,000
संजीव नाला —————————————-मुज्जफरनगर—– 50,000
सुनील महकर सिंह ——————————–सहारनपुर —–50,000
राम नरेश ठाकुर —————————————आगरा——- 50,000
विश्वास नेपाली——————————————-वाराणसी —–50,000
सुनील यादव——————————————- वाराणसी 50,000
अजीम अहमद——————————————- वाराणसी 50,000
मनीष सिंह वाराणसी 50,000
शहाबुद्दीन गाजीपुर 2,00,000
अताउर्रहमान बाबू उर्फ सिकंदर गाजीपुर 2,00,000
बहर उर्फ बहारुद्दीन कौशांबी 50,000
रुद्रेश उपाध्याय उर्फ पिंटू भदोही 50,000
आफताब आलम प्रयागराज 50,000
शिवा बिंद उर्फ शिव शंकर बिंद गाजीपुर 50,000
हरीश मुजफ्फरनगर 2,00,000
सुमित मुरादाबाद 2,00,000
बदन सिंह बद्दो मेरठ 2,50,000
मनीष सिंह सोनू वाराणसी 2,00,000
राघवेंद्र यादव गोरखपुर 2,50,000
दीप्ति बहल गाजियाबाद 5,00,000
भूदेव बुलंदशहर –5,00,000
विजेंद्र सिंह हूड्डा ————-मेरठ 5,00,000
राशिद नसीम————– लखनऊ 5,00,000
आदित्य राणा————- बिजनौर 2,50,000
राम चरण उर्फ बौरा ——-बारांबकी 3,00,000
दिनेश कुमार सिंह ———रायबरेली 1,50,000

ये लिस्ट यूपी पुलिस के वेबसाइट से निकाली गई। हलांकि, इस लिस्ट में ढाई लाख का इनामी ‌आदित्य राणा, 2 लाख का इनामी मनीष सिंह सोनू और 50 हजार का इनामी इनामिया मनीष सिंह का भी नाम है।12 अप्रैल 2023 को बिजनौर के आदित्या राणा और 21 मार्च 2022 को मनीष सिंह सोनू को पुलिस ने एनकांउटर में मार गिराया। कानपुर का 50 हजार का इनामी मनीष सिंह जेल में है।ये बात तो हुई मोस्ट इनामी बदमाशों की। लेकिन अभी योगी सरकार भी एक्‍शन मोड में है। वो पहले से ही जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर लगातार काम कर रही है। हालांकि इससे पहले सपा की आईटी सेल ने एक लिस्ट जारी करके बीजेपी से सवाल पूछे थे। पहले सपा का वो ट्वीट

जवाब में यूपी में 25 नए माफिया सूचीबद्ध करने की खबर


अतीक अहमद की हत्या के बाद योगी सरकार की ओर से 25 नए माफियाओं को सूचीबद्ध किए जाने की खबर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें भदोही की ज्ञानपुर सीट से चार बार विधायक रहे बाहुबली विजय मिश्रा, सहारपुर निवासी बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल उर्फ बाला के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात सुनील राठी, बदन सिंह उर्फ बद्दो और अंबेडकरनगर के अजय सिपाही समेत अन्य कुख्यातों को शामिल किया गया है।

माफियाओं पर कौन-कौन रखता है नजर


सूचीबद्ध माफिया की गतिविधियों पर एसटीएफ और जिला पुलिस कड़ी नजर रखती है। शासन स्तर से पहले अनुमोदित 25 सूचीबद्ध माफिया में माफिया मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह उर्फ पवन सिंह, संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा, ओमप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू, सुशील उर्फ मूंछ, सीरियल किलर सलीम, रुस्तम व सोहराब समेत अन्य कुख्यातों के नाम शामिल थे।

नए वाले 25 जोड़कर अब प्रदेश के कुल 64 सूचीबद्ध माफिया

मेरठ जोन: उधम सिंह, योगेश भदोड़ा, बदन सिंह उर्फ बद्दो, हाजी याकूब कुरैशी, शारिक, सुनील राठी, धर्मेंद्र, यशपाल तोमर, अमर पाल उर्फ कालू, अनुज बारखा, विक्रांत उर्फ विक्की, हाजी इकबाल उर्फ बाला, विनोद शर्मा, सुनील उर्फ मूंछ, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा व विनय त्यागी उर्फ टिंकू, आगरा जोन के अनिल चौधरी व ऋषि कुमार शर्मा, बरेली जोन के एजाज, कानपुर जोन के अनुपम दुबे।

लखनऊ जोन: खान मुबारक, अजय प्रताप सिंह उर्फ अजय सिपाही, संजय सिंह सिंघाला, अतुल वर्मा, मु.सहीम उर्फ कासिम प्रयागराज जोन के डब्बू सिंह उर्फ प्रदीप सिंह, सुधाकर सिंह, गुड्डू सिंह, अनूप सिंह,वाराणसी जोन के मुख्तार अंसारी, त्रिभुवन सिंह उर्फ पवन सिंह, विजय मिश्रा, ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह, अखंड प्रताप सिंह, रमेश सिंह उर्फ काका।

गोरखपुर जोन: संजीव द्विवेदी उर्फ रामू द्विवेदी, राकेश यादव, सुधीर कुमार सिंह, विनोद कुमार उपाध्याय, राजन तिवारी, रिजवान जहीर, देवेन्द्र सिंह,
गौतमबुद्धनगर कमिनरेट: सुंदर भाटी, सिंहराज भाटी, अमित कसाना, अनिल भाटी, रणदीप भाटी, मनोज उर्फ आसे, अनिल दुजाना।
कानपुर कमिश्नरेट: के सऊद अख्तर, कमिश्नरेट लखनऊ के लल्लू यादव, बच्चू यादव व जुगनू वालिया उर्फ हरिवंदर सिंह, प्रयागराज कमिश्नरेट: के बच्चा पासी उर्फ निहाल पासी, दिलीप मिश्रा, जावेद उर्फ पप्पू, राजेश यादव, गणेश यादव, कमरुल हसन, जाविर हुसैन व मुजफ्फर,

वाराणसी कमिश्नरेट : के अभिषेक सिंह हनी उर्फ जहर, बृजेश कुमार सिंह व सुभाष सिंह ठाकुर!! अतीक ने रिश्तेदार-पड़ोसी को भी नहीं बख्शा