नैनो उर्वरकों को बढ़ावा
दिल्ली। कृषि और किसान कल्याण विभाग के सचिव और उर्वरक विभाग के सचिव ने आईसीएआर और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ 01 मार्च, 2023 को आयोजित एक बैठक की सह-अध्यक्षता की। मृदा स्वास्थ्य में सुधार और उत्पादकता में वृद्धि के लिए एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया गया और राज्यों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिश के आधार पर रासायनिक, जैविक और जैव उर्वरकों और तथा अन्य अभिनव उर्वरकों के विवेकपूर्ण मिश्रण को प्रोत्साहन देने की सलाह दी गई। हाल के वर्षों में, नैनो उर्वरकों को बाजार में पेश किया गया है और आईसीएआर द्वारा किए गए परीक्षणों में इसके उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।
राज्यों को सलाह दी गई कि वे नैनो उर्वरकों और अन्य अभिनव उर्वरकों जैसे सल्फर कोटेड यूरिया, ट्रिपल सुपर फॉस्फेट (टीएसपी), शीरे (मोलासेस) से प्राप्त पोटाश (पीडीएम), जैव-उर्वरकों आदि के उपयोग को प्रोत्साहित करें। आईसीएआर के एडीजी ने जोर दिया कि आकार-निर्भर गुणों, उच्च सतह-आयतन अनुपात और अद्वितीय ऑप्टिकल गुणों के कारण, नैनो-उर्वरकों के उपयोग से पौधों का बेहतर पोषण होता है। आईसीएआर ने नैनो-उर्वरकों के संबंध में विभिन्न खुराकों के साथ कई स्थानों पर विभिन्न फसलों में जैव-प्रभावकारिता परीक्षण आयोजित किए हैं और नैनो यूरिया के उपयोग के लिए पैकेज ऑफ प्रैक्टिस तैयार करने की प्रक्रिया जारी है, जो किसानों को इन उर्वरकों को अपनाने में मदद करेगा। कुछ राज्यों ने यह भी बताया कि किसानों को नैनो-उर्वरकों के प्रयोग से उपज और गुणवत्ता के मामले में अच्छे परिणाम मिले हैं और वे एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन और नैनो यूरिया के उपयोग के संबंध में प्रयास कर रहे हैं।
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उर्वरकों का सफल प्रयोग किसानों के लिए लाभजनक कृषि का आधार माना गया है। उर्वरकों का यदि संतुलित उपयोग न हो, तो वे पर्यावरण के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं। पारंपरिक उर्वरकों का उत्पादन, भंडारण एवं स्थानांतरण, जहां एक प्रमुख चुनौती है, वहीं इनके असंतुलित प्रयोग के दुष्प्रभाव बृहत रूप से देखे गए हैं। इसके साथ ही इनकी उपयोग दक्षता भी दिन प्रति दिन कम होती जा रही है। अत: उच्च पोषक तत्वों के साथ साथ मृदा और पर्यावरण के साथ अनुकूलता वाले उर्वरकों को विकसित करने की आवश्यकता है। नैनो प्रौद्योगिकी गुणात्मक विशेषताओं को बढाने के लिए नैनो उर्वरकों के रूप में एक आशाजनक विकल्प के रूप में तेजी से उभर रही है। कृषि एवं खाद विज्ञान के क्षेत्र में इस प्रौद्योगिकी के विभिन्न घटकों का महत्वपूर्ण योगदान है।
मृदा के भौतिक और रासायनिक गुण, गैसीय नुकसान, लौचिंग, अपवाह और उर्वरक विशेषताएं पौधों की पोषक तत्व उपयोग दक्षता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पोषक तत्वों के उपयोग को प्रभावकारिता में सुधार के माध्यम से फसल उत्पादन में वृद्धि स्थाई कृषि और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के प्रमुख स्तभों में से एक है। उर्वरक उपयोग दक्षता को बढ़ाने के लिए विभिन्न रणनीतियों जैसे-फर्टिगेशन, सटीक निषेचन, सौमित उपयोग और पारंपरिक उर्वरकों के एवज में नैनो उर्वरकों के उपयोग की योजना बनाई गई है। पर्यावरणीय अखंडता, पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक स्थिरता के साथ जनसंख्या को बढ़ती खाद्य मांगों को पूरा करने के लिए नैनो प्रौद्योगिकी फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषि के क्षेत्र में नैनो एनकैप्सुलेशन के प्रयोग ने बहुलक मैट्रिक्स के भीतर उर्वरकों के एनकैप्सुलेशन और प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों में उर्वरकों के वाष्पीकरण/गिरावट को रोककर प्रभावकारिता को बढ़ाया है।नैनो उर्वरकों को बढ़ावा