गुड खिलाया गौशाला में गुल खिले राजनीति में..!

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मुख्यमंत्री योगी ने बड़े प्यार से गौशाला की गायों को गुड़ और हरा चारा खिलाया था । 64 एकड़ में बने कान्हा उपवन गौशाला में काफी गायें हैं। अपर्णा यादव ने योगी गौशाला में आने का आमनत्रण देती रही हैं जिसे स्वीकारते हुए मुख्यमंत्री कान्हा उपवन को देखने व साथ ही वहां के जानवरों से मिलने पहुंचे थे।अपर्णा का भाजपा के साथ यह कोई पहला मेल-मिलाप नहीं है, इससे पहले भी वह भाई योगी से मिलने जा चुकी हैं, साथ ही वह कई बार भाजपा के कई कार्यक्रमों में भी शिरकत कर चुकी हैं। विधानसभा चुनाव में राजनीतिक गलियारों में छाई रहने वाली अपर्णा यादव को कई बार प्रधानमंत्री की तारिफ करते हुए भी देखा जा चुका है।अपर्णा के बुलावें पर मुख्यमंत्री योगी के उनके कान्हा उपवन गौशाला में जाने के बाद से राजनीतिक गलियारों की गरमाहट थोड़ी बढ़ गई थी ।अपर्णा के सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से अच्छे सम्बंध नहीं हैं शायद इसीलिए वह भाजपा की तरफ अपना रुख किया है।आज भाजपा ने अपर्णा को हाथो हाथ लिया है उनका स्वागत करने के लिए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे0 पी0 नड्डा मुख्यमंत्री योगी उप मुख्यमंत्री भाजपा पूरी पार्टी उनके स्वागत करती नज़र आयी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की उपस्थिति में सपा संरक्षक की छोटी बहू अपर्णा यादव ने आज भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। सदस्यता ग्रहण करने के पश्चात् अपर्णा यादव ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाक़ात कर उनका आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्राप्त किया।स्वतंत्र देव सिंह ने अपर्णा यादव का स्वागत करते हुए कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की लोककल्याणकारी नीतियों से प्रभावित होकर अपर्णा यादव ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। जबकि अखिलेश यादव के शासन काल में गुंडागर्दी को महत्त्व दिया जाता था। बेटा-बेटी या किसान कोई भी सुरक्षित नहीं था, शाम ढलते ही लोग घरों का दरवाजा बंद कर लेते थे। अपर्णा यादव जी के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने से पार्टी के चुनाव अभियान को और मजबूती मिलेगी।इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश का सतत विकास हो रहा है, जबकि अखिलेश यादव दूसरे के विकास कार्यों पर अपना स्टीकर चस्पा करने का काम करते रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में राज्य के किसी क्षेत्र का विकास नहीं किया। अखिलेश यादव जब अपने परिवार को संभालने में सफल नहीं हुए तो प्रदेश को क्या संभालेंगे। अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में असफल थे ही साथ ही, सांसद के रूप में भी असफल रहे हैं।

छोटी बहु करोड़ों की मालकिन 2017 में चुनाव आयोग को दिए विवरण के अनुसार, अपर्णा यादव के पास कुल 22,65,00,339 रूपये की संपत्ति है। चल संपत्ति के रूप में अपर्णा के पास 16,37,50,339.43 रूपये की मालकिन है। जिसमें 1,26,650 रूपये कैश, 5,44,94,224.43 रूपये बैंक अकाउंट में, 3,48,20,036 रूपये का बांड और कंपनियों के साथ शेयर के साथ 1,88,54,371 रूपये के आभूषण शामिल भी हैं।अगर अचल संपत्ति की करें तो चुनाव आयोग को 2017 में दिए हलफनामे के अनुसार, अपर्णा के पास कुल 6,27,50,000 रूपये की अचल संपत्ति है। जिसमें 30,50,000 रूपये की कृषि भूमि, 27,00,000 रूपये कीमत की गैर कृषि भूमि और 3,20,00,000 रूपये का घर शामिल हैं। 2017 के हलफनामें में अपर्णा यादव ने बताया था कि वे 7,95,61,542 रूपये की कर्जदार हैं।

अपर्णा यादव कैंन्ट सीट को लेकर अपनी दावेदारी मज़बूती से रखती रही हैं। इस सीट से अपर्णा यादव के लगाव का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब 2017 में अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव से अलग रास्ता लिया तो भी उन्होंने लखनऊ कैंट से अपर्णा यादव को उम्मीदवार बनाए रखा था। तब कहा जा रहा था कि मुलायम सिंह यादव ने उन्हें उम्मीदवार बनाने का फ़ैसला लिया था और पिता के प्रति नरमी दिखाते हुए अखिलेश ने उनका टिकट बनाए रखा था। यह दौर तब था जब एक ही घर में रहने के बाद मुलायम सिंह यादव के दोनों बेटों के आपसी रिश्ते बहुत सहज नहीं माने जाते थे।अखिलेश ने ना केवल उन्हें टिकट दिया बल्कि उनके क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया, हालांकि इन सबके बाद भी अपर्णा यादव चुनाव लगभग 34 हज़ार मतों से हार गई थीं, 2022 के चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के अंदर भी उनकी दावेदारी इस बार मज़बूत नहीं मानी जा रही थी।सूत्रों के मुताबिक लखनऊ कैंट सीट से इलाके के स्थानीय पार्षद राजू गांधी का दावा सीट के लिए अपर्णा यादव से कहीं ज़्यादा मज़बूत है और बहुत संभव है कि पार्टी उन्हें ही अपना उम्मीदवार बनाए, हालांकि पिछले नौ-दस सालों से अपर्णा इसी इलाके में जीव आश्रय नामक एनजीओ चलाती रही हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। अखिलेश यादव के घर में भाजपा ने सेंधमारी कर नेताजी की छोटी बहू अपर्णा को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। स्वतंत्र देव सिंह और उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपर्णा को पार्टी की सदस्यता दिलाई। सियासी गलियारों में लंबे समय से चर्चा थी कि अपर्णा समाजवादी पार्टी से नाराज चल रही थीं। वजह लखनऊ कैंट सीट से टिकट न मिलना बताया जा रहा था।


अपर्णा अपने अच्छे के लिए भाजपा में पहुंच गई हैं, दरअसल अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने की एक अहम वजह लखनऊ कैंट विधानसभा की सीट भी है, जहां से समाजवादी पार्टी की टिकट पर अपर्णा यादव 2017 का चुनाव बीजेपी की उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं।इस बार रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे को इसी सीट से उम्मीदवार बनाने की मांग कर रही हैं, इसके लिए ख़ुद के इस्तीफ़े की पेशकश कर चुकी हैं।अपर्णा यादव ने भाजपा में शामिल होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का आभार जताते हुए कहा कि मैं हमेशा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कार्यों से प्रभावित रही हूँ। स्वच्छ भारत मिशन हो या महिला स्वावलंबी योजना, भाजपा की सभी योजनाओं से मैं प्रभावित रही हूँ। मैं राष्ट्र प्रथम की भावना से राष्ट्र की आराधना करने निकली हूँ, भाजपा में रह कर मुझे जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, अपनी क्षमता अनुसार उसका निर्वाह करने की कोशिश करुँगी।