
आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो आग सुलग रही है, वो सिर्फ विद्रोही बैठकों की नहीं है… ये आग है SIR यानी वोटर लिस्ट से कटे नामों की, और इसी आग में अब बीजेपी खुद झुलसती नजर आ रही है। BJP में मचे घमासान की असली वजह क्या है? उत्तर प्रदेश की राजनीति और विद्रोह
राजू यादव
आज उत्तर प्रदेश की राजनीति सिर्फ सत्ता और विपक्ष की नहीं रह गई है। यह लड़ाई अब वोट, संगठन, जाति और विश्वास के बीच पहुंच चुकी है।यूपी की बदलती राजनीति, सत्ता के अंदर मचे घमासान और उस सच्चाई की जो चुनाव से पहले समीकरण बदल सकती है। बीजेपी के भीतर असंतोष की आहट है, समाजवादी पार्टी आक्रामक मूड में है, और 2027 से पहले राजनीति की बिसात पर हर चाल भारी पड़ सकती है। ऊपर से कहा जा रहा है— विधायक नाराज़ हैं विद्रोही बैठकें हो रही हैं लेकिन अंदरखाने जो खबर फैल चुकी है, वो है SIR में 2 करोड़ 89 लाख वोटरों के नाम कटना। यहीं से शुरू होता है बीजेपी का असली राजनीतिक संकट।
अखिलेश यादव का सवाल भाजपा के अंदर खौफ पैदा कर चुका है। अखिलेश यादव का दावा— एक साल भी नहीं बचा है और मुख्यमंत्री जी के 85 से 90 प्रतिशत अपने ही वोटर कट चुके हैं।” अब राजनीति भावना से नहीं, कैलकुलेटर से लड़ी जा रही है। वो गणित जिसने BJP की नींद उड़ा दी कुल कटे वोटर: 2 करोड़ 89 लाख अगर सिर्फ 85% भी मान लें—तो 2 करोड़ 45 लाख 65 हजार वोट अब इसे 403 विधानसभा सीटों में बाँटिए— हर सीट पर करीब 61 हजार वोट कम! सवाल सीधा है— 61 हजार वोट प्रति सीट कम होने के बाद सरकार कैसे बनेगी?
अब BJP की लड़ाई विपक्ष से नहीं, अपनों से हो गयी है आज बीजेपी की लड़ाई— विधायक बनाम संगठन,विधायक बनाम मंत्री, जातीय संतुलन बनाम सत्ता संतुलन जब सत्ता आपस में उलझती है, तो विपक्ष को बोलने की जरूरत नहीं पड़ती— मौका खुद मिल जाता है। अखिलेश यादव की सबसे बड़ी ताकत अखिलेश यादव ने हर कमजोरी को एक हथियार में बदल दिया है SIR, वोट कटने का मुद्दा, 61 हजार वोट प्रति सीट का गणित आज अखिलेश भावना से नहीं, आंकड़ों से हमला कर रहे हैं। और राजनीति में जब आंकड़े उतरते हैं— सरकार की परेशानी कई गुना बढ़ जाती है। अखिलेश यादव का दावा— अगर यही हाल रहा तो BJP सरकार तो दूर दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी। यही डर आज BJP विधायकों को एक-दूसरे के सामने खड़ा कर चुका है।
आज हालात ये हैं खुला विद्रोह दिख रहा है — विधायक एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं खुलेआम नोटिस अलग-अलग बैठकें संगठन और सरकार से खुली नाराज़ग भाजपाई विधायक कह रहे हैं— “ना सरकार सुन रही है, ना संगठन, ना सत्ता के संगी-साथी।” विधायकों कों चुनाव से पहले का सबसे बड़ा डर को पता है— चुनाव से पहले काम के आधार पर सर्वे होगा। SIR के बाद विकास ठप, जनता नाराज तो सर्वे में सीधे फेल होने का खतरा है। इसीलिए अब सफाई देने के लिए बैठकें हो रही हैं।
क्या अखिलेश सिर्फ BJP की लड़ाई से सत्ता में लौट आएंगे? जवाब है नहीं। लेकिन अगर— BJP की अंतर्कलह बढ़ती रही SIR का मुद्दा जमीन पर गया ✔ वोटर को लगा कि उसका अधिकार छीना गया तो अखिलेश के लिए रास्ता ज़रूर आसान होगा। अखिलेश यादव का आरोप— बीजेपी में चंद लोगों का महाभ्रष्टाचार लेकिन बदनामी विधायकों के हिस्से आ रही है। यही वजह है असंतोष अब विद्रोह बन रहा है।
अखिलेश के पक्ष में बनते समीकरण— PDA वोट बैंक, BJP विरोधी ध्रुवीकरण, युवा और बेरोज़गारी का मुद्दा, वोट कटने से नाराज़ जनता अगर ये सब जुड़ गया— तो BJP की अंतर्कलह अखिलेश की चुनावी संजीवनी बन सकती है।खतरे भी कम नहीं हैं— सिर्फ बयानबाज़ी नहीं चलेगी, संगठन मजबूत करना होगा, टिकट बंटवारे में चूक भारी पड़ेगी, पुराने कार्यकाल पर सवालों का जवाब देना होगा। BJP की कमजोरी तभी ताकत बनेगी जब अखिलेश अपनी कमजोरियाँ दूर करेंगे।
SIR भाजपा की रणनीति थी लेकिन वही SIR भाजपा के लिए राजनीतिक गड्ढा बन गई आज हालात ये हैं— BJP अपने ही खोदे गड्ढे में गिरती नजर आ रही है। 2027 की राजनीति का फैसला अब जनता के हाथ में है… क्या बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई अखिलेश यादव की सत्ता वापसी का रास्ता बनेगी? या फिर BJP आख़िरी वक्त में सब कुछ संभाल लेगी? अपनी राय कमेंट में दीजिए वीडियो को लाइक शेयर और चैनल को सब्सक्राइब ज़रूर करें। उत्तर प्रदेश की राजनीति और विद्रोह
























