
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नाम जो संगठन और सरकार—दोनों के लिए सेतु बन चुका है। भाजपा को ज़मीन से जोड़ने वाला चेहरा, चुनावी गणित का सटीक खिलाड़ी और नेतृत्व का भरोसेमंद सिपाही—आख़िर पंकज चौधरी बीजेपी के लिए इतने ज़रूरी क्यों हैं?क्या ये सिर्फ़ संगठनात्मक कौशल है,या इसके पीछे है पूर्वांचल की राजनीति का बड़ा समीकरण?
राजू यादव
पंकज चौधरी उत्तर प्रदेश BJP के नए प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले हैं, जो पार्टी के लिए एक रणनीतिक बदलाव माना जा रहा है। यह बदलाव सिर्फ एक पद परिवर्तन नहीं, बल्कि पार्टी की ओबीसी रणनीति और चुनावी समीकरण को मजबूत करने वाला कदम है।
सामाजिक CASTE रणनीति: कुर्मी और ओबीसी वोट बैंक
पंकज चौधरी, जो कुर्मी समुदाय से आते हैं, यूपी में एक बड़ा ओबीसी वोट बैंक माना जाता है। कुर्मी समुदाय (OBC) का प्रभाव पूर्व और मध्य यूपी में विशेष रूप से है और यह 2024 लोकसभा तथा 2022 विधानसभा में भगवा दल के हिस्से में कमी का एक कारण भी माना गया।
2024 के लोकसभा चुनावों में कुछ OBC मतदाताओं ने सपा की ओर रुख किया। जिसकी वजह से BJP को वोट शेयर में चुनौती मिली। इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी अब ओबीसी नेतृत्व को आगे बढ़ाने का संकेत दे रही है, जिसमें पंकज चौधरी का नाम प्रमुख है। पंकज चौधरी के बहाने बीजेपी ओबीसी मतों को फिर से जोडने की जुगत लगा रही है। शायद, बीजेपी को लगता है ऐसा करने से उसे सामुदायिक संतुलन बनाने और सपा के PDA (पिछड़ा–दलित–अल्पसंख्यक) गठजोड़ से मुकाबला करने में मदद मिलेगी।

संगठनात्मक मजबूती और नेतृत्व क्षमता
पंकज चौधरी सात बार के सांसद हैं और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। वे पार्टी के “कैडर/ओर्गेनाइजेशन” वाले नेताओं में गिने जाते हैं। यानी वे काम करने वाले, मोर्चे पर अपूर्व, शांत और अनुशासित नेता हैं।
पंकज चौधरी की सबसे बड़ी ताक़त उनकी संगठनात्मक पकड़ है। बूथ स्तर से लेकर ज़िला और प्रदेश संगठन तक, कार्यकर्ताओं के बीच उनकी सीधी पहुंच उन्हें एक अलग पहचान देती है। वे सिर्फ़ आदेश देने वाले नेता नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहने वाले नेतृत्व के रूप में जाने जाते हैं।चुनावी समय में संगठन को सक्रिय करना हो या मुश्किल हालात में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना—पंकज चौधरी ने बार-बार साबित किया है कि वे मैदान में उतरकर नेतृत्व करने वाले नेता हैं। उनकी रणनीति साफ़ होती है, संवाद सीधा होता है और निर्णय लेने में झिझक नहीं।बीजेपी के लिए यही वजह है कि पंकज चौधरी सिर्फ़ एक पद नहीं, बल्कि संगठन की रीढ़ माने जाते हैं—ऐसे नेता जो सत्ता और संगठन के बीच संतुलन बनाकर पार्टी को लगातार मज़बूत करते हैं।
संगठनात्मक नेतृत्व के लिए उपयुक्त
BJP के शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि योगी सरकार में संगठनात्मक दृष्टिकोण से संगठन को और अधिक मज़बूत करने की ज़रूरत है। विशेषकर पंचायत चुनावों और 2027 विधानसभा से पहले। वैसे भी पंकज चौधरी मोदी और अमित शाह के भरोसेमंद सिपाही हैं, इसलिए भी प्रदेश अध्यक्ष जैसे बड़े पद का उम्मीदवार बनाया गया है।
2027 विधानसभा और पंचायत चुनाव रणनीति
बीजेपी 2027 के लिए पूरे प्रदेश में ओबीसी सहित अन्य वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है। पंकज चौधरी जैसे ओबीसी चेहरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से पार्टी को OBC वोट बैंक को जोड़ने में मदद मिलेगी, पूर्वी यूपी में आधार मजबूत होगा और संगठन की एकता को बल मिलेगा। भाजपा चाहती है कि 2027 में जीत के लिए सामाजिक समीकरण और जातिगत संतुलन दोनों मजबूत हों और पंकज चौधरी इसी रणनीति का एक रणनीतिक हिस्सा हैं।
पंकज चौधरी बीजेपी के लिए इसलिए भी ज़रूरी इसलिए हैं क्योंकि वे OBC (विशेषकर कुर्मी) वोट बैंक में पार्टी के प्रभाव को फिर से स्थापित करने में मजबूत कड़ी साबित हो सकते हैं। उनकी नियुक्ति से पार्टी को संगठनात्मक मजबूती और नेतृत्व संतुलन में मदद मिलने की प्रबल संभावना है। जाहिर है, इससे आगामी पंचायत और विधानसभा चुनावों में बीजेपी को बेहतर रणनीति के साथ लड़ने का मौका मिलेगा।
बीजेपी की नज़र 2027 पर है, और इस बार रणनीति सिर्फ़ बड़े नारों तक सीमित नहीं, बल्कि ज़मीनी मैनेजमेंट और माइक्रो-प्लानिंग पर टिकी है। इसी रणनीति के केंद्र में पंकज चौधरी जैसे संगठनात्मक नेता रखे गए हैं।सबसे पहले पंचायत चुनाव—बीजेपी जानती है कि गांव की सरकार ही विधानसभा की बुनियाद होती है।
इसलिए प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य तक पार्टी समर्थित चेहरों को आगे बढ़ाने की तैयारी है। बूथ स्तर पर जातीय समीकरण, स्थानीय प्रभावशाली चेहरे और सरकार की योजनाओं का लाभ पाने वाले वर्ग—सबको एक नेटवर्क में जोड़ा जा रहा है।दूसरा बड़ा फोकस है विधानसभा
2027—यहां रणनीति तीन स्तरों पर काम कर रही है:संगठन: पुराने कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय करना, नए चेहरों को जोड़नासरकार: कानून-व्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर और कल्याणकारी योजनाओं का ज़मीनी प्रचारनेतृत्व: स्थानीय असंतोष को समय रहते संभालना और टिकट वितरण में संतुलनपंकज चौधरी की भूमिका यहां अहम हो जाती है, क्योंकि वे संगठन और सत्ता के बीच समन्वय बनाकर पंचायत से विधानसभा तक एक सीधी राजनीतिक लाइन तैयार करने की क्षमता रखते हैं।बीजेपी की रणनीति साफ़ है—गांव जीतेंगे, तभी विधानसभा जीतेंगे।और 2027 की इस लड़ाई में यही रणनीति गेमचेंजर साबित हो सकती है।





















