
डीआईजी व्यस्त,अधिकारी ठेकेदारमस्त,बंदी त्रस्त! झांसी, उरई और ललितपुर जेल में ठेकेदार से मिलीभगत से हो रहा लाखों का गोलमाल। कानपुर जेल परिक्षेत्र के डीआईजी को नहीं दिख रहा अधिकारियों का गोरखधंधा। डीआईजी व्यस्त,अधिकारी ठेकेदारमस्त,बंदी त्रस्त! डीआईजी व्यस्त,अधिकारी ठेकेदारमस्त,बंदी त्रस्त!
राकेश यादव
लखनऊ। कानपुर जेल परिक्षेत्र के डीआईजी व्यस्त, अधिकारी और ठेकेदार मस्त, बंदी त्रस्त…यह जुमला परिक्षेत्र की झांसी, ललितपुर और उरई जेल पर एकदम फिट बैठता है। इन जेलों में अधिकारी और ठेकेदार साठगांठ करके प्रतिमाह लाखों रुपए का वारा न्यारा कर रहे है। इन जेलों में दैनिक उपयोग की खानपान की वस्तुएं जैम पोर्टल के बजाए सीधे खरीदी जा रही है। परिक्षेत्र की इन जेलों में खुलेआम हो रहा सरकारी धन का दुरुपयोग परिक्षेत्र के डीआईजी को दिखाई ही नहीं पड़ रहा है। उधर विभाग के आला अफसर इस गंभीर मसले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं।
मालूम हो कि जेलों में गेहूं, दाल चावल, सब्जी, दूध, दही, फल इत्यादि की आपूर्ति प्रतिदिन ठेकेदारों के माध्यम से कराई जाती है। जेल नियमों के अनुसार इन वस्तुओं की आपूर्ति जैम पोर्टल के माध्यम से कराए जाने का प्रावधान है। जेल अधिकारियों ने अवैध वसूली को बढ़ाने के लिए ठेकेदार से जैम पोर्टल के बजाए सीधे मंगवाकर सरकारी धन में बंदरबांट करना शुरू कर दिया है। जेलों में मशक्कत, हाता, बैठकी, मुलाकात और कैंटीन से प्रतिमाश हो रही लाखों की अवैध वसूली में बढ़ोत्तरी करने के लिए ठेकेदार से साठगांठ कर दैनिक उपयोग की वस्तुओं की खरीद फरोख्त में सरकारी धनराशि का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है।
सूत्र बताते है कि झांसी के एक दबंग ठेकेदार की जनक इंटरप्राइजेज, सोम इंटरप्राइजेज सरीखी कई फर्म हैं। इन फर्मों से उरई, ललितपुर और झांसी मंडलीय कारागार में दैनिक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कराई जा रही है। यह आपूर्ति जैम पोर्टल के बजाए जेल अधिकारी सीधे ठेकेदार से कराकर प्रतिमाह लाखों रुपए का वारा न्यारा कर रहे है। इस खरीदारी से मिलने वाला मोटा कमिशन जेल अधिकारी अपनी जेब में रख रहे है। सूत्र बताते है कि जेलों में गेहूं और चावल की आपूर्ति कल्याण निगम से कराए जाने की व्यवस्था है। इस व्यवस्था के बावजूद अधिकारी समय समय पर इसकी आपूर्ति ठेकेदार के माध्यम से कराकर सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग कर रहे है। शिकायती पत्र में मांग की गई है कि इन जेलों में पिछले छह माह के अंतराल में हुई खरीद फरोख्त की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो दूध का दूध पानी सामने आ जाएगा।
कार्रवाई नहीं होने से बेलगाम हो गए जेल अफसर
प्रदेश के कारागार विभाग में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से जेल अधिकारी बेलगाम हो गए। बेखौफ अधिकारियों ने जेल अधिकारियों, सुरक्षाकर्मियों तक का उत्पीड़न शुरू कर दिया। बुंदेलखंड जेल इसका जीता जागता उदाहरण बन गई है। जेलों में बंदियों से मशक्कत, बैठकी, हाता के नाम पर जमकर अवैध वसूली की जा रही है। इस वसूली में इजाफा करने के लिए अब इन बेखौफ अधिकारियों ने दैनिक उपयोग की वस्तुओं की खरीद फरोख्त में मोटा कमिशन प्राप्त करने के लिए जेल नियमों को दरकिनार कर दिया है। इन अधिकारियों की जैम पोर्टल के बजाए ठेकेदारों से की जा रही सीधी खरीद फरोख्त ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। मजे की बात यह है कि कानपुर परिक्षेत्र के डीआईजी भी इस गंभीर सवाल का जवाब देने से बचते नजर आए। डीआईजी व्यस्त,अधिकारी ठेकेदारमस्त,बंदी त्रस्त!
























