
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 25 एमएलडी क्षमता वाला नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) चालू। गंगा की धारा अब होगी और स्वच्छ: यूपी समेत कई राज्यों में सीवेज ट्रीटमेंट ढांचे का विस्तार। मुरादाबाद में नया एसटीपी चालू
मुरादाबाद। वित्तीय वर्ष 2025–26 नमामि गंगे मिशन के उस साफ संदेश को फिर से मजबूत करता है कि लक्ष्य है – स्वच्छ नदियाँ, साफ-सुथरे शहर और भविष्य के लिए तैयार मजबूत सीवेज व्यवस्था। हर तिमाही के साथ गंगा बेसिन के अलग-अलग शहरों में नई सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता जुड़ रही है, जिससे कागज़ों पर बनी नीति अब ज़मीन पर दिखाई देने वाले बदलाव में बदल रही है। नई तकनीक से बने और बेहतर ढंग से चलने वाले ये आधुनिक एसटीपी सिर्फ गंगा की सेहत और प्राकृतिक संतुलन को ही नहीं संभाल रहे, बल्कि नदी किनारे बसे शहरों में लोगों की ज़िंदगी की गुणवत्ता भी बढ़ा रहे हैं। यह पूरे मिशन की उस गंभीर सोच और प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण छोड़ना चाहती है।
नमामि गंगे मिशन के तहत उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 25 एमएलडी क्षमता वाला नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) चालू कर दिया गया है। करीब 149.23 करोड़ रुपए की लागत से नमामि गंगे फेज़-II के तहत बना यह प्लांट न सिर्फ नदी का पानी साफ रखने में मदद करेगा, बल्कि मुरादाबाद शहर की सफाई और सीवेज व्यवस्था को भी कहीं ज़्यादा मज़बूत बनाएगा। यह नया एसटीपी आधुनिक एसबीआर तकनीक से बनाया गया है, जो गंदे पानी की सफाई के सख्त नियमों (एनजीटी मानकों) को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। मतलब, प्लांट से बाहर जाने वाला पानी पूरी तरह से साफ और तय मानकों के अनुसार ही होगा।
यह परियोजना हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल (एचएएम) के तहत सरकार और निजी क्षेत्र की साझेदारी (पीपीपी मॉडल) से पूरी की गई है, जो मिल-जुलकर काम करने की एक सफल मिसाल है। इस प्लांट के शुरू होने के बाद नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत तैयार की गई कुल सीवेज सफाई क्षमता अब 168 एसटीपी के ज़रिये 3,805 एमएलडी तक पहुँच गई है, जो गंगा और उसकी सहायक नदियों की सफाई के लिए बड़ी ताकत साबित होगी।
वहीं, उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर में सीवेज से जुड़ी एक बहुत ही अहम परियोजना भी अब चालु हो चुकी है है। एसटीपी एवं इंटरसेप्शन, डायवर्जन के इस काम को 223.43 करोड़ रुपए की लागत से मंज़ूरी मिली थी। इसके तहत सात एसटीपी की बची हुई 10.30 एमएलडी क्षमता भी अब पूरी तरह शुरू हो गई है। यानी अब ज़िले में कुल सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता 30.3 एमएलडी हो गई है। JOHKASOU और एसबीआर जैसी आधुनिक तकनीक से बने ये प्लांट, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के सख्त नियमों के हिसाब से तैयार किए गए हैं।डीबीओटी मॉडल पर आधारित इस परियोजना से करीब 1,00,000 लोग लाभान्वित होंगे।
इस साल उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में भी चार बड़े एसटीपी प्रोजेक्ट चालू हो गए हैं। इन नए प्लांटों ने नमामि गंगे मिशन के तहत गंदे पानी की सफाई की क्षमता बढ़ाने में बड़ा रोल निभाया है। इनकी मदद से आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट का नेटवर्क और मजबूत हुआ है और गंगा व उसकी सहायक नदियों के महत्वपूर्ण हिस्सों में बिना साफ किए जाने वाला गंदा पानी अब पहले से काफी कम हो गया है।
नमामि गंगे मिशन के लिए यह साल वाकई मजबूत प्रगति, नई तकनीक और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का साल रहा है। जैसे-जैसे ज़्यादा से ज़्यादा शहर आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम और प्रदूषण नियंत्रण के बेहतर इंतज़ामों से जुड़ रहे हैं, मिशन भी साफ, स्वस्थ और फिर से जीवन से भर उठने वाली गंगा के अपने लक्ष्य के और करीब पहुँच रहा है। इस साल की ये उपलब्धियाँ न सिर्फ़ आज गंगा की सेहत को मज़बूत बना रही हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए टिकाऊ और भरोसेमंद अपशिष्ट जल प्रबंधन की मज़बूत नींव भी तैयार कर रही हैं। मुरादाबाद में नया एसटीपी चालू























