बलरामपुर अस्पताल:बिना डॉक्टरों के कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी विभाग

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बलरामपुर अस्पताल:बिना डॉक्टरों के कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी विभाग
बलरामपुर अस्पताल:बिना डॉक्टरों के कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी विभाग

बलरामपुरअस्पताल कार्डियोलाजी और न्यूरोलाजी विभाग में नहीं हैं चिकित्सक, विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी, इलाज पर संकट। बलरामपुर अस्पताल:बिना डॉक्टरों के कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी विभाग

लखनऊ। प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल बलरामपुर विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी से जूझ रहा है। लोहिया संस्थान, एसजीपीजीआइ,केजीएमयू के बाद लखनऊ और आसपास के मरीजों को बलरामपुर अस्पताल का ही सहारा है। यहां आने वालों में ऐसे रोगी अधिक होते हैं, जो चिकित्सा संस्थानों में उपचार कराने में असमर्थ हैं। अस्पताल में कार्डियोलाजी और न्यूरोलाजी विभाग चिकित्सकों के न होने से बंद हो गए हैं। नेफ्रोलाजी विभाग सिर्फ दो डाक्टरों के भरोसे चल रहा है।

बलरामपुर अस्पताल में 2 चिकित्सकों के भरोसे चल रहा है नेफ्रोलाजी विभाग। ओपीडी में प्रतिदिन आते हैं 5000 मरीज।

बलरामपुर अस्पताल के कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी विभाग में लंबे समय से नियमित चिकित्सक नहीं हैं, जिससे गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को इलाज के लिए अन्य अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। वहीं नेफ्रोलॉजी विभाग महज़ दो डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है, जबकि अस्पताल की ओपीडी में रोज़ाना करीब 5000 मरीज आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में मरीजों की देखभाल के लिए डॉक्टरों की मौजूदा संख्या बेहद अपर्याप्त है। इससे मरीजों को जांच और उपचार के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता है। अस्पताल प्रशासन ने शासन से रिक्त पदों को भरने की मांग की है, ताकि चिकित्सा सेवाएँ सामान्य की जा सकें।

डाक्टरों की नियुक्ति के संबंध में मुझसे पहले के निदेशक भी एनएचएम को पत्र लिख चुके हैं। इस संबंध में फिर पत्रावली की जाएगी। अगले माह तक रेस्पिरेटरी मेडिसिन एवं सुपर स्पेशलियटी विभागों में डाक्टरों के खाली पदों को भरा जाएगा। – डा.कविता आर्य, निदेशक बलरामपुर अस्पताल

बलरामपुर अस्पताल में लखनऊ के अलावा आसपास जिलों के भी मरीज आते हैं। यहां प्रतिदिन करीब पांच हजार रोगियों की ओपीडी होती है। इनमें लगभग 20 प्रतिशत मरीज कार्डियोलाजी, न्यूरोलाजी और नेफ्रोलाजी के होते हैं। मरीजों के दबाव को देखते हुए नेफ्रोलाजी विभाग में कम से कम चार डाक्टरों की जरूरत है, लेकिन मौजूदा समय में सिर्फ दो चिकित्सक ही तैनात हैं। ऐसे में दूर-दराज से आने वाले रोगी घंटों इंतजार के बाद डाक्टर के पास पहुंच पाते हैं, जबकि दिल और न्यूरो के मरीजों को बिना इलाज निराश होकर वापस लौटना पड़ता है।

रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में सिर्फ दो डाक्टर

इन दिनों मौसम में बदलाव के चलते सर्दी-खांसी एवं बुखार के साथ सांस रोगियों की भी परेशानी बढ़ी है। इस तरह के रोगियों की संख्या में दो गुणा से अधिक वृद्धि हुई है। बलरामपुर अस्पताल में विशेषज्ञ फीजिशियन और रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डाक्टरों की भी कमी है। रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में महज दो डाक्टरों से काम चलाया जा रहा है। कुल ओपीडी में करीब दो हजार मरीज सर्दी-खांसी, वायरल और सांस रोग के होते हैं, लेकिन चिकित्सकों की कमी के चलते सही इलाज नहीं मिल पा रहा है।

अस्पताल में कार्डियोलाजिस्ट और न्यूरोलाजिस्ट के पद सालभर से अधिक समय से खाली पड़े हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि खाली पदों को भरने और विशेषज्ञ डाक्टरों की तैनाती के लिए नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) को कई बार पत्र भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पाया है। बलरामपुर अस्पताल:बिना डॉक्टरों के कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी विभाग