

मंत्री व्यस्त, अधिकारी मस्त, बंदी त्रस्त। परिजनों के आक्रोश से नतमस्तक हुआ कारागार मुख्यालय। डिप्टी जेलर, हेड वार्डर के बाद जेलर को किया निलंबित। पूर्व में हुई घटनाओं पर अभी तक नहीं की गई कोई कार्यवाही। मंत्री व्यस्त अधिकारी मस्त बंदी त्रस्त
लखनऊ। हमीरपुर जेल के अंदर विचाराधीन बंदी की पीट पीटकर हत्या के मामले में परिजनों के आक्रोश के आगे कारागार मुख्यालय को नतमस्तक होना पड़ा। परिजनों की मांग पर पिटाई के आरोपियों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद कारागार मुख्यालय ने जेलर को भी निलंबित कर दिया। इससे पूर्व इस मामले में सिर्फ डिप्टी जेलर और एक वार्डर को ही निलंबित किया गया था। इससे पूर्व बिजनौर, प्रयागराज, आगरा, बरेली में पिटाई के बाद मौत होने, अवैध वसूली, आत्महत्याएं होने के बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं की गई। मुख्यालय की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही का मामला विभागीय अधिकारियों और कर्मियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
बीते रविवार को हमीरपुर जेल में जेलर केपी चंदीला के इशारे पर बंदी अनिल द्विवेदी की नंबरदार और राइटरों से जमकर पिटाई करा दी। इस पिटाई से बंदी की मौत हो गई। घटना के बाद जेल में हड़कंप मच गया। आक्रोशित बंदियों ने भूख हड़ताल कर दी। इस हड़ताल से कई बंदी बेहोश भी हो गए। सूत्र बताते है कि परिजनों के आक्रोश और बंदियों की भूख हड़ताल से विभागीय अफसरों में खलबली मच गई। मुख्यालय के मुखिया ने आनन फानन में जेलर केपी चंदीला को निलंबित कर मामले को शांत कराने का प्रयास किया, किंतु बंदी के परिजनों ने पिटाई के दोषी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किए जाने तक मृतक बंदी का शव लेने के साथ अंतिम संस्कार तक करने से इनकार कर दिया। परिजनों के इस आक्रोश से जिला प्रशासन के अधिकारियों ने पिटाई के आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इसके साथ ही जेल मुख्यालय के मुखिया ने घटना के मुख्य आरोपी एवं अवैध वसूली के सूत्रधार जेलर का निलंबित कर मामले को किसी तरह शांत कराया।
दोषियों को बचाने और निर्दोषों को फंसाने की लगी होड़..!
वर्तमान समय में कारागार विभाग में अपनों को बचाने और विरोधियों को फंसाने की होड़ लगी हुई है। केंद्रीय कारागार नैनी और केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ से कैदियों की समयपूर्व रिहाई का शासन को गलत प्रस्ताव भेजने वाले वरिष्ठ अधीक्षक (वर्तमान में) डीआईजी कारागार मुख्यालय और लखनऊ जेल के गल्ला गोदाम में 35 लाख रुपए के नगद बरामदगी करने वाले तत्कालीन अधीक्षक और बिजनौर जेल के अंदर बंदी की हत्या और प्रयागराज जिला जेल में भारी मात्रा में नगद धनराशि बरामद करने वाले, आगरा और बरेली जेल में आत्महत्या जैसी बड़ी घटनाएं होने के बाद किसी भी दोषी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई, वहीं सामान्य गलती करने वाले अधिकारी को निलंबित कर दिया गया। यह मामले विभागीय अधिकारियों कर्मियों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
सूत्रों का कहना है कि इससे पूर्व बिजनौर जेल में बंद एक विचाराधीन बंदी की साथी एक बंदी के साथ मारपीट की घटना हुई थी। इस मारपीट की घटना में मारपीट का शिकार हुए बंदी की जेल में ही मौत हो गई थी। यह अलग बात है कि दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए जेल प्रशासन के अधिकारियों ने बंदी की मौत को जिला अस्पताल में दर्शाया था। यही नहीं प्रयागराज जिला जेल में निरीक्षण करने गए परिक्षेत्र के डीआईजी को प्रिटेशन रायटर और जेल की छत पर भारी मात्रा में नगद धनराशि बरामद हुई। इस गंभीर मामले में कार्यवाही करना तो दूर की बात आरोपी जेलर को तोहफा देकर विशेष ड्यूटी पर इटावा सेंट्रल जेल भेज दिया गया। इसी प्रकार आगरा जिला जेल में बंदी की आत्महत्या और अवैध वसूली का वीडियो वायरल होने के बाद भी शासन और कारागार मुख्यालय के अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंगी। इन गंभीर मामलों में न तो शासन और न ही मुख्यालय में बैठे किसी अधिकारी ने कोई कार्यवाही नहीं की। बरेली जेल में भी आत्महत्या के मामले को अधिकारियों ने कार्यवाही करने के बजाए दबा दिया। विभाग में हो रही पक्षपातपूर्ण कार्यवाही को लेकर जब कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन उठाना ही मुनासिब नहीं समझा।























