प्रयागराज में बाढ़ का कहर,सैकड़ों गांव तबाह

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प्रयागराज में बाढ़ का कहर,सैकड़ों गांव तबाह
प्रयागराज में बाढ़ का कहर,सैकड़ों गांव तबाह

गंगा यमुना के कहर से प्रयागराज के सैकड़ों गांव तबाह, बाढ़ के रौद्र रूप से डीएम परेशान। गंगा यमुना के आगोश में 2500 गांव,15 लाख लोग बाढ़ से पीडित। गंगा यमुना का रौद्र रूप, 2500 गांव डूबे, दहशत में प्रयागराज में 15 लाख लोग पानी से घिरे, ड्रोन VIDEO: गंगा-यमुना उफनाई, 2500 गांवों में घुसा पानी, सिर्फ नाव ही सहारा। प्रयागराज में बाढ़ का कहर,सैकड़ों गांव तबाह

प्रयागराज। प्रयागराज में बाढ़ का कहर: गंगा-यमुना का प्रलयंकारी रूप से जलस्तर में लगातार बढने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शहर के कई निचले इलाके पानी में डूब चुके हैं, जिससे हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया है, लेकिन हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं।

मुख्य प्रभावित इलाके:-

बाढ़ का पानी, कहां-कहां पहुंचा है, ये जानिए शहर के छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, बक्शी बांध, सलोरी, राजापुर नेवादा, दारागंज, सदियापुर, नैनी, रसूलाबाद करेलाबाग, झूंसी, राजापुर, करेली, शुक्ला मार्केट, बक्शी, बंधवा, शिवकुटी दारागंज, छतनाग जैसे निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं। बलुआघाट बारादरी और उससे जुड़े एक दर्जन मुहल्लों में अभी भी पानी भरा हुआ है। थरवई, फाफामऊ इलाकों में उपकेंद्र में पानी भर जाने से 40 गांवों में कई दिनों से बिजली नहीं आई। प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

राहत और बचाव कार्य:-

प्रशासन की ओर से NDRF और SDRF की टीमें तैनात की गई हैं। बोट के ज़रिए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाया जा रहा है। कई स्कूलों और धर्मशालाओं को राहत शिविरों में तब्दील किया गया है। रोज कमाने और रोज खाने वाले लोग हैं। कुछ खाने को बचा नहीं, कई दिनों से लोग भूखे हैं । कुछ लोग नाव पर खाने का पैकेट लेकर आए, तब जा कर उनके जान में जान आई।

भारी बारिश बनी वजह:-

उत्तराखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पिछले कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण गंगा और यमुना में जलप्रवाह कई गुना बढ़ गया है। इसके साथ ही टिहरी और नरौरा बैराज से छोड़ा गया पानी भी बाढ़ का बड़ा कारण बना। प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी 15 दिन पहले शहर के अंदर दाखिल हुआ था। कई दिनों से गंगा और यमुना डेंजर लेवल से ऊपर बह रही हैं। गंगा से सटे 15 मोहल्ले ऐसे हैं, जहां घरों के ग्राउंड फ्लोर डूबे हुए हैं। लोग पहली और दूसरी मंजिलों पर सामान के साथ शिफ्ट हो चुके हैं। करीब 5 लाख लोग बाढ़ के पानी के बीच फंसे हैं। ऐसे में घरों में खाने-पीने के सामान की स्टोरेज भी खत्म होने लगा है। गुजर-बसर के लिए जो लोग छतों पर बसेरा किए हैं,

नाव पर लोग चिल्ला रहे- ख्याल रखिए, क्योंकि प्रयागराज में लोग आपदा में अवसर ढूढ चोरियां हो रही हैं। अनाउंसमेंट करके लोगों को अवेयर करने की जरूर क्यों पड़ रही? लोगों ने बताया कि अब खाली घरों में चोरियां हो रही है। चोर भी नाव पर आ रहे हैं। वो लोग ताले तोड़कर नाव पर ही सामान चोरी करके ले जा रहे हैं। लोग राहत शिविर में क्यों नहीं जा रहे हो ? वह कहते हैं- दरअसल, खाली घरों में चोरियां होती है, इसलिए लोग घर नहीं छोड़ रहे हैं। क्योंकि, बाढ़ के पानी में लोग अपना सामान लेकर जा नहीं सकते हैं।

बाढ़ में फंसे परिवारों को पीने लायक पानी तक नहीं मिल रहा है समाजसेवी व छात्र मदद के लिए छोटा बघाड़ा, सलोरी, नागवासुकि, राजापुर, बेला कछार में नाव के जरिए पहुंच पा रहे हैं। लोगों को बाढ़ में पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा। दिन का वक्त तो फिर ठीक है, मगर रात में बिजली नहीं होने से हादसे का डर बना रहता है।

कुछ जगहों पर पहली मंजिल तक पानी ही पानी है। गृहस्थी का सामान छत पर बांधकर रखा गया है। घर इसलिए नहीं छोड़ रहे, क्योंकि चोरी बहुत हो रही हैं। हमारे परिवार में और लोग भी थे, उन्हें राहत शिविर में भेजा है। हम सुरक्षा के लिए यही बने हुए हैं। वो लोग रोज खाना और साफ पानी यहां तक लाते हैं, वरना हम भूखे ही मर जाएं।

जब बाढ़ प्रभाभीतों से पूछों क्या मदद मिल रही है तो उन्होंने कहा- प्रशासन की तरफ से ज्यादा कुछ नहीं है। बस प्राइवेट संस्था वाले आते हैं, खाने के पैकेट दे जाते हैं। उसी से गुजारा हो जाता है, नहीं तो हमारे परिवारवाले ही खाना लेकर नाव पर आते हैं।

घरों में सांप घुसे, लोगों में दहशत- लोगों ने बताया कि सब जगह तो गंगा का पानी है। कॉलोनियों में एक मंजिल से लेकर दो मंजिल मकान तक डूबे हैं। पानी में जीव जंतु भी नजर आ रहे हैं। छोटा बघाड़ा के कई घरों में पानी के रास्ते सांप घुस गए। इन घरों में छतों पर बसेरा जमाए परिवार नीचे के हिस्से में सांप देख डरे हुए हैं।

सांपों के चक्कर में कई परिवार सामान छोड़कर पानी के रास्ते ही नावों से निकल गए। उन्हें लगा कि सांप घर के निचले इलाके में है तो वह छत पर भी चैन से सो नहीं सकेंगे। कुछ हिस्सों में कछुआ, मछलियां दिखती हैं। लेकिन, लोगों को उनसे कोई खतरा महसूस नहीं होता।

प्रयागराज में बाढ़ के भयावह हालात बरकरार हैं। शहर के 15 मोहल्लों में एक से लेकर दो मंजिलों तक पानी भरा है। शहरी इलाकों में करीब 100 से अधिक नावें चल रही हैं। इसके अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जल पुलिस, बाढ़ नियंत्रण की टीमें रेस्क्यू में जुटी हैं।

3 लाख प्रतियोगी छात्र रूम, लॉज, हास्टल छोड़ गए हैं। 10 हजार परिवार घर छोड़े हैं। कई हजार परिवार दो मंजिलों से सामान समेट छतों पर बसेरा कर रहे हैं। बाढ़ के पानी में डूबने से हो रही लोगों की मौत वहीं, बाढ़ के पानी में हादसे होने लगे हैं। अशोक नगर नवादा में रहने वाले अशोक कुमार कुशवाहा बाढ़ के पानी के बीच सामान लेने निकले थे। एक जगह उन्हें गड्ढे की गहराई का अंदाजा नहीं हुआ। वह गिरे, तो पानी में डूब गए। इससे उनकी मौत हो गई। घरवाले उनका इंतजार ही करते रह गए। दूसरा हादसा करेली में हुआ। गड्‌ढा कॉलोनी इलाके में रहने वाला मो. अकरम मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। परिवार में भाई, बहन और उसकी पत्नी रिजवाना है। परिवारवालों ने बताया कि गड्‌ढा कॉलोनी पिछले कई दिनों से बाढ़ से प्रभावित है। यहां के लोग किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं। लोगों को घर का जरूरी सामान लेने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है।

5 अगस्त को मो. अकरम भी नाव से सामान लेने के लिए घर से निकला था। वह पहले अपने भाई के घर गया और उनसे कुछ रुपए लिए। इसके बाद वह सामान लेकर नाव से घर लौटने लगा, लेकिन घर नहीं पहुंचा। कई घंटे तक घर नहीं पहुंचने पर परिवारवालों देर रात सूचना पुलिस को दी। 6 अगस्त को यमुना नदी का जलस्तर कम होने पर अकरम का शव घर से थोड़ी दूर पर पानी में तैरता दिखाई दिया।

प्रमुख प्रभावित क्षेत्र:-


प्रयागराज:- सलोरी, बघाड़ा, दारागंज, झूंसी, नैनी, राजापुर, छतनाग, करेली, रसूलाबाद, बेली गांव जैसे क्षेत्र पूरी तरह जलमग्न।

कौशांबी:- सिराथू, चरवा और करारी के कई गांवों में गंगा का पानी घुस चुका है।

प्रतापगढ़:- संगम के नजदीकी गांवों में यमुना और उसकी सहायक नदियों का पानी घुसने से सैकड़ों लोग प्रभावित हैं।

भदोही:- गंगा का जलस्तर बढ़ने से गोपीगंज और ज्ञानपुर तहसील के तटीय गांवों में पानी भर गया है।

गंगापार और यमुनापार के नैनी, अरैल, यमुना ब्रिज, छतनाग, बरदा, सुनौटी, झुंसी, गारापुर, पूर्वा, पूरा सूरदास, कजरिया, ढोल बजवा, कोहना, मुंशी का पूरा, विश्वकर्मा मार्केट, फाफामऊ, मनसईता, बहमलपुर, नवाबगंज आदि गांवों में पानी भरा हुआ है। शहर और देहात क्षेत्रों में बनाए गए राहत शिविरों में करीब 10 हजार लोग पनाह लिए हुए हैं। रेस्क्यू टीम हर रोज दो से तीन हजार लोगों को राहत शिविरों में पहुंचा रही हैं। शहर के जिन इलाकों में पानी भरा है, वहां ज्यादातर प्रतियोगी छात्रों का गढ़ है। ये छात्र घर छोड़ चुके हैं। प्रयागराज में गंगा-यमुना डेंजर लेवल से ऊपर बह रही हैं। पानी रिहायशी इलाकों में दाखिल हो चुका है। एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, 2500 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। यहां रहने वाली 15 लाख की आबादी को अब नाव का ही सहारा है। बाढ़ की वजह से 7 अगस्त तक स्कूल बंद किए गए हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ..?

जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित अतिक्रमण और जल निकासी की खराब व्यवस्था को इस संकट का मूल कारण बताया जा रहा है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि स्थायी समाधान नहीं निकाला गया, तो हर साल प्रयागराज को ऐसे संकटों का सामना करना पड़ेगा। प्रयागराज की पवित्र धरती इस समय संकट के गहरे दौर से गुजर रही है। ज़रूरत है तेज़ और प्रभावी राहत कार्यों के साथ-साथ दीर्घकालिक समाधान की — जिससे आने वाली पीढ़ियाँ इस विनाश से बच सकें। प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों में आई बाढ़ ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आपदा प्रबंधन को केवल कागजों तक सीमित रखने का अंजाम कितना भयंकर हो सकता है। अब वक्त है कि सरकार और समाज मिलकर नदियों के किनारे बसे इन क्षेत्रों को दीर्घकालिक समाधान दें। प्रयागराज में बाढ़ का कहर,सैकड़ों गांव तबाह