जेपीएनआईसी को बेचने की तैयारी-अखिलेश यादव

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जेपीएनआईसी को बेचने की तैयारी-अखिलेश यादव
जेपीएनआईसी को बेचने की तैयारी-अखिलेश यादव
जेपी की विरासत पर सियासी संग्राम: जेपीएनआईसी को बेचने की तैयारी या विचारधारा की हत्या..? अखिलेश यादव ने भाजपा पर लगाया बड़ा आरोप।”जेपी की विरासत पर राजनीति तेज, अखिलेश बोले- भाजपा ने जानबूझकर बर्बाद किया संस्थान। जेपीएनआईसी को बेचने की तैयारी-अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने एक बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार सुनियोजित रणनीति के तहत “जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर” (जेपीएनआईसी) को बेचने की तैयारी कर रही है।यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि समाजवादी विचारधारा और जेपी आंदोलन की ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है, जिसे बर्बाद करना एक पूरे राजनीतिक दर्शन को मिटाने की कोशिश जैसा बताया गया।

जेपीएनआईसी: इमारत नहीं, विचार की संरचना

जेपीएनआईसी का निर्माण समाजवादी सरकार के कार्यकाल में हुआ था। स्वयं मुलायम सिंह यादव ने इसका शिलान्यास किया था। यह सिर्फ एक भव्य भवन नहीं था, बल्कि समाजवाद की विचारभूमि को जीवित रखने के लिए एक सांस्कृतिक और वैचारिक केंद्र था। जार्ज फर्नांडिस, मोहन सिंह, बृजभूषण तिवारी जैसे नेताओं की उपस्थिति इसकी ऐतिहासिक महत्ता को रेखांकित करती है।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी) को बेचने की साजिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि यह संस्थान समाजवादी विचारधारा और जेपी आंदोलन की विरासत का प्रतीक है, जिसे भाजपा ने सत्ता में आते ही योजनाबद्ध तरीके से बर्बाद किया। अखिलेश ने कहा कि सरकार ने पहले सोसायटी भंग की, फिर इसे एलडीए को सौंपकर अब बिक्री का रास्ता साफ कर दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि “अगर सरकार इसे बेचना चाहती है, तो हम समाजवादी लोग चंदा जुटाकर इसे खरीदने को तैयार हैं।” जेपीएनआईसी में टेनिस कोर्ट, ऑल वेदर स्विमिंग पूल, सेमिनार हॉल जैसी विश्वस्तरीय सुविधाएं हैं, जिसे अब खंडहर में बदल दिया गया है।

भाजपा सरकार पर सीधे आरोप

अखिलेश यादव ने स्पष्ट कहा कि सत्ता में आते ही भाजपा ने इस संस्थान को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगाए। सोसायटी को भंग कर एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) के हवाले कर दिया। अब इसकी बिक्री की जमीन तैयार कर दी गई है। यह न केवल एक भवन के सौदे की बात है, बल्कि यह समाजवादी विचारधारा को विलोपित करने की कोशिश मानी जा रही है।

जेपी की स्मृति और मौजूदा विरोधाभास

जयप्रकाश नारायण ने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महंगाई और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ सम्पूर्ण क्रांति का नेतृत्व किया था। आज वही सरकार, जो जेपी के आंदोलन की कोख से निकली है, उसी के नाम पर बने संस्थान को व्यावसायिक सोच से खत्म करने पर तुली दिखती है।अखिलेश यादव का तंज भी तीखा था — “जेपी को बर्बाद करने वाले बिहार में किस मुंह से वोट मांगेंगे?”

समाजवादियों की चुनौती: चंदा जुटाकर खरीदने को तैयार

भाजपा की योजना को चुनौती देते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि अगर सरकार इस संस्थान को बेचना चाहती है, तो समाजवादी पार्टी खुद चंदा इकट्ठा करके इसे खरीदने को तैयार है। यह घोषणा न केवल एक वैचारिक प्रतिक्रिया, बल्कि प्रतिकार की प्रतिज्ञा भी थी।

जेपीएनआईसी को लेकर छिड़ा यह विवाद सिर्फ एक भवन की नीलामी या सरकारी नीति का मसला नहीं है। यह राजनीतिक स्मृति बनाम सत्ता की सुविधा की लड़ाई है।
क्या भारतीय राजनीति अपने नायकों की स्मृतियों को संरक्षित रख पाएगी या उन्हें नीतिगत नजरंदाजियों की भेंट चढ़ा देगी — यह सवाल अब सिर्फ समाजवादियों का नहीं, पूरे लोकतंत्र का है। जेपीएनआईसी को बेचने की तैयारी-अखिलेश यादव