जातिगत जनगणना:भाजपा सरकार की नीयत में खोट-लौटनराम निषाद

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लौटनराम निषाद
जातिगत जनगणना:भाजपा सरकार की नीयत में खोट-लौटनराम निषाद

जातिगत जनगणना के प्रति भाजपा सरकार की नीयत में खोट। जातिगत आँकड़ों से झूठ का पर्दा हटाने के लिए जातिगत जनगणना जरूरी।देश में लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग उठती रही है, ताकि समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों को उनकी सही संख्या के आधार पर अधिकार और संसाधन मिल सकें। लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार लगातार इस मुद्दे से किनारा करती नजर आ रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार न तो सामाजिक न्याय के पक्ष में है और न ही वंचित तबकों को उनका हक देने के लिए गंभीर। जातिगत जनगणना को लेकर सरकार की टालमटोल और चुप्पी उसकी नीयत पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। आखिर सरकार किस बात से डर रही है? क्या वास्तव में भाजपा की नीयत में खोट है..? जातिगत जनगणना:भाजपा सरकार की नीयत में खोट-लौटनराम निषाद

देश मे ब्रिटिश हुकूमत ने पहली बार 1871 में और अंतिम बार 1931 में जातिगत जनगणना/कास्ट सेन्सस कराया। 1941 में भी कास्ट सेन्सस का काम शुरू हुआ, परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध के कारण आंकड़ों की घोषणा नही हो पाई।भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. लौटनराम निषाद ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए जातिगत जनगणना आवश्यक है।संविधान के अनुच्छेद-246 के अनुसार हर 10वें वर्ष जातिगत जनगणना कराया जाना चाहिए। जातिगत जनगणना संवैधानिक मुद्दा है।

2009-2010 में लालू प्रसाद यादव जी, शरद यादव जी, मुलायम सिंह यादव जी और डीएमके के दबाव में यूपीए-2 की सरकार ने सेन्सस-2011 में सोशियो-इको-कास्ट सेन्सस कराया लेकिन मण्डल विरोधी भाजपा सरकार ने जब2 30 अगस्त 2016 को आँकड़ा घोषित किया तो ओबीसी के आँकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया, जबकि दूसरी तरफ धार्मिक, भाषाभाषी, एससी, एसटी, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर के आँकड़े घोषित कर दिया। जब कछुआ, घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन, शेर, चीता, भालू, बन्दर,पेड़ों की गणना कराई जाती है तो पिछड़ों की क्यों नहीं? पहलगाम आतंकी हमले से बैकपूट आई एनडीए सरकार ने डैमेज कंट्रोल के लिए जातिगत जनगणना कराने का निर्णय तो लिया, पर उसकी नियत में साफतौर पर खोट दिखाई दे रहा है।

उसने घोषणा किया है कि 1 मार्च,2027 से जनगणना का काम शुरू किया जाएगा।उन्होंने कहा कि मार्च2 2027 से क्यों, जनवरी 2026 से क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा ठीक रहती तो जनवरी 2026 से ही जनगणना कार्य शुरू करा देती। 2027 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव व 2029 लोकसभा को ध्यान में रखकर ओबीसी को झाँसा देने के लिए 1 मार्च 2027 से कास्ट सेन्सस कराने की सार्वजनिक घोषणा किया है।

निषाद ने कहा कि अक्सर ब्राह्मण नेता और चैनलों के एंकर व प्रिन्ट मीडिया के ब्यूरो प्रमुख ब्राह्मण जाति की संख्या 13%,16% और कभी कभी 19% बताते हैं जो सत्यता से बिल्कुल दूर है।सामाजिक न्याय समिति-2001 हो या उत्तर प्रदेश पिछड़ावर्ग सामाजिक न्याय समिति-2018 हो, दोनों का गठन भाजपा सरकार में ही किया गया।सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण जनसंख्या में वर्गीय व जातिगत आँकड़े में सामान्य वर्ग (शेख, सय्यद, पठान, मुगल, मिल्की, त्यागी सहित)- 20.94% है।

सामान्य वर्ग में मुस्लिम जातियों की आबादी लगभग 5-6% होगी।इस तरह कुल हिन्दू सवर्णों (ब्राह्मण,राजपूत/ठाकुर,भूमिहार ब्राह्मण, त्यागी, कायस्थ, बनिया, सिंधी, खत्री आदि) की आबादी अधिकतम 15-16% होगी।जब सिर्फ ब्राह्मण ही 12%,13% या 16% हैं तो शेष सवर्ण कितने? ब्राह्मण जाति झूठा हौवा मनुवादी प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व ब्राह्मणों की माउथ मीडिया द्वारा झूठे आँकड़े प्रस्तुत किये जाते हैं। उत्तर प्रदेश में एक दर्जन भी ऐसी सीट नहीं जहाँ ब्राह्मण 50 हजार तक हों। मध्य प्रदेश में तो सवर्णों की कुल आबादी महज 5.86% ही है।बिहार में 10.57;,छत्तीसगढ़ में 4.1%,कर्नाटक व तेलंगाना में लगभग 10% सवर्ण आबादी है।

निषाद ने आगे बताया कि अन्य पिछड़ावर्ग में 79 हिन्दू मुस्लिम जातियाँ जो अनुच्छेद-15 के अनुसार सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी मानी गयीं हैं, कि आबादी-54.05% है। इन्हें सामाजिक न्याय समिति द्वारा 3 श्रेणियों में विभक्त किया गया है। पिछड़ावर्ग(यादव/अहीर)- 10.48% ,अतिपिछडावर्ग- 10.22% जिसमें कुर्मी, लोधी, जाट, गुजर, कलवार, कम्बोज,सोनार, गोसाई शामिल हैं।सर्वाधिक पिछड़ी जातियाँ- 33.34% हैं।

जिसमें निषाद, मल्लाह, केवट, बिन्द, कोयरी, काछी, सैनी, तेली, प्रजापति, पाल, विश्वकर्मा, किसान, बंजारा, मोमिन अंसार, नाई/सबिता आदि सहित 70 जातियों को शामिल किया गया है। निषाद ने सामाजिक न्याय समिति के हवाले से बताया कि अन्य पिछड़ावर्ग में शामिल जातियों की ग्रामीण जनसंख्या में यादव/अहीर/ग्वाल-10.48%,निषाद/कश्यप/बिन्द-7.98%,काछी/कोयरी/सैनी-4.85%,कुर्मी/पटेल/सैंथवार-4.01%,लोधी/किसान/खागी-3.60%,पाल/गड़ेरिया/धनगर-2.38%,जाट-1.92%,प्रजापति/कुम्हार-1.84%,विश्वकर्मा/बढ़ई/लोहार-1.72%,साहू/तेली/राठौर-1.61%,राजभर/भर-1.31% ,नोनिया/चौहान-1.26%,नाई/सबिता-1.01%,कानू/भुर्जी-0.92%,गुजर-0.93% हैं।अनुसूचित जातियों जी 24.95% आबादी में चमार/जाटव/धुसिया-11.93%,पासी/रावत/तड़माली-3.87% हैं।

कुछ जातियाँ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में समान रूप से पाई जाती हैं, जैसे-निषाद/मल्लाह/कश्यप, विश्वकर्मा, प्रजापति, नाई/सबिता, साहू/तेली आदि।इस तरह पूरी जनसंख्या में इन जातियों का अनुपात कुछ न कुछ बढ़ जाएगा और यादव, कुर्मी, कुशवाहा/मौर्य, राजभर, चौहान आदि का जातिगत आँकड़ा कुछ न कुछ कम हो जाएगा। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वर्ग के अतिरिक्त मात्र 3 जाति समूह यादव/अहीर, निषाद/कश्यप/बिन्द और चमार/जाटव ही 10% की आबादी में हैं।निषाद/कश्यप,कोयरी/माली/सैनी, विश्वकर्मा,नाई, प्रजापति, साहू/तेली,जाटव/चमार, धोबी प्रदेश के हर क्षेत्र में बसी हैं। जातिगत जनगणना:भाजपा सरकार की नीयत में खोट-लौटनराम निषाद