

डॉ. श्यामा प्रसाद का बलिदान, अखंड भारत का हुआ निर्माण। केंद्र की मोदी सरकार ने किया मुखर्जी का सपना साकार, धारा 370 हटाकर बनाया फिर से अखंड भारत।“एक विधान, एक प्रधान, एक निशान”-इसी संकल्प के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने प्राणों की आहुति दी। वर्षों तक यह सपना प्रतीक्षा करता रहा, पर आज मोदी सरकार ने धारा 370 को समाप्त कर, जम्मू-कश्मीर को भारत की मुख्यधारा में जोड़कर डॉ. मुखर्जी के सपनों को साकार किया। यह केवल एक संवैधानिक कदम नहीं, राष्ट्र के आत्मसम्मान की पुनर्स्थापना है। डॉ.श्यामा प्रसाद का बलिदान,अखंड भारत का हुआ निर्माण
राष्ट्रीय एकता और अखंड भारत के प्रणेता। बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी एवं एक महान शिक्षाविद। देशभक्त, राजनेता और समर्पित सांसद। अदम्य साहस के धनी और समर्पित मां भारती के सच्चे सपूत। प्रखर मानवतावादी और राष्ट्रवादी महापुरूष और एक देश-एक निशान और एक प्रधान के हामी डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी। आज ही के दिन डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक देश में एक प्रधान, एक विधान, एक निशान के मुद्दे और भारत की अखंडता को लेकर 23 जून 1953 को अपना बलिदान दिया था। आज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि है। अखंड भारत के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि भारत में एक देश में ‘दो निशान, दो विधान एवं दो प्रधान’ नहीं चलेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र की एनडीए सरकार ने करीब 62 सालों के लंबे इंतजार के बाद जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाकर डॉ. मुखर्जी के सपने को साकार कर दिया।

डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। महानता के सभी गुण उन्हें विरासत में मिले थे। उनके पिता आशुतोष बाबू अपने जमाने ख्यात शिक्षाविद थे। डॉ. मुखर्जी ने 22 वर्ष की आयु में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा महज 24 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य बने। गणित विषय के अध्ययन के लिए वे विदेश गए तथा वहां पर लंदन मैथेमेटिकल सोसायटी ने उनको सम्मानित सदस्य बनाया। वहां से लौटने के बाद डॉ. मुखर्जी ने वकालत तथा विश्वविद्यालय की सेवा में कार्यरत हो गए। वर्ष 1929 में बंगाल विधान परिषद के सदस्य बने तथा वर्ष 1934 से 1938 तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के उप-कुलपति रहे। डॉ. मुखर्जी अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। बंगाल प्रांत के वित्त मंत्री रहे, महाबोधि सोसायटी एवं रॉयल एशियाटिक सोसायटी के अध्यक्ष रहे।
डॉ. मुखर्जी संविधान सभा के सदस्य बने तथा स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने। वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ,तो स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में एक गैर-कांग्रेसी मंत्री के रूप में उन्होंने वित्त मंत्रालय का काम संभाला।
डॉ. मुखर्जी द्वारा राष्ट्र के विकास में किए गए कार्यों पर गौर करें तो उन्होंने चितरंजन में रेल इंजन का कारखाना, विशाखापट्टनम में जहाज बनाने का कारखाना एवं बिहार में खाद का कारखाने स्थापित करवाए। उनके सहयोग से ही हैदराबाद निजाम को भारत में विलीन होना पड़ा। वर्ष 1950 में संविधान लागू किया गया। इसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश के संविधान में धारा-370 जोड़कर राष्ट्रीय अखंडता को गंभीर चोट पहुंचाने का कुत्सित प्रयास किया था। तब डॉ. मुखर्जी ने सरकार की मंशा को ध्यान में रखकर उन्होंने मंत्री पद छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने देश की प्रतिष्ठा व अखंडता के लिए कश्मीर से धारा-370 हटाने के लिए आंदोलन शुरू किया।
एक ही देश में दो प्रधान, दो झंडे और दो निशान उनको स्वीकार नहीं थे। इसलिए कश्मीर के भारत में विलय के लिए उन्होंने जम्मू की प्रजा परिषद पार्टी के साथ मिलकर आंदोलन छेड़ दिया। उन दिनों जम्मू-कश्मीर में प्रवेश के लिए परमिट लेना पड़ता था। लेकिन उन्होंने बिना परमिट जम्मू-कश्मीर राज्य में प्रवेश करने का निर्णय लिया।डॉ. मुखर्जी ने 8 मई 1953 को जम्मू के लिए कूच किया। जब उनसे परमिट मांगा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत की संसद का सदस्य हूं. मैं अपने ही देश में कश्मीर में परमिट लेकर नहीं जाऊंगा।’’ उन्हें गिरफ्तार कर नजरबंद कर दिया गया। करीब 40 दिन तक डॉ. मुखर्जी जेल में बंद रहे और 23 जून 1953 को जेल में उनकी रहस्यमय ढंग से मृत्यु हो गई। वे अखंड भारत के लिए बलिदान देने वाले पहले भारतीय थे, जो जनसंघ के अध्यक्ष के रूप में वहां गए थे। 23 जून के उसी बलिदान दिवस को भारतीय जनसंघ और अब भाजपा पुण्यतिथि के रूप में मनाती है।
भारतीय जनसंघ से लेकर भाजपा के प्रत्येक घोषणा पत्र में अपने बलिदानी नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के इस घोष वाक्य को कि ‘हम संविधान की अस्थायी धारा 370 को समाप्त करेंगे’, सदैव लिखा जाता रहा। इसी मंशा और संकल्प के अनुरूप भाजपा का यह नारा “जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा है…” भाजपा सहित अन्य लोगों के जहन में जिंदा रहा तथा अब पूर्णता को प्राप्त हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. मुखर्जी के इस सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया और उसके बाद वह घड़ी भी आ गई जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया गया। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त, 2019 को धारा 370 को राष्ट्रहित में समाप्त करने के प्रस्ताव को दोनों सदनों से पारित कर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की सोच और सपने को अमली जामा पहना दिया। देश की एकता और अखंडता के साथ जीते हुए और इसकी खातिर ही अपना बलिदान करने वाले डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को यह एक सच्ची श्रद्धांजलि है। डॉ.श्यामा प्रसाद का बलिदान,अखंड भारत का हुआ निर्माण