निकांत जैन के दफ्तर क्‍यों गए IAS अभिषेक प्रकाश…?

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निकांत जैन के दफ्तर क्‍यों गए IAS अभिषेक प्रकाश ?
निकांत जैन के दफ्तर क्‍यों गए IAS अभिषेक प्रकाश ?

निकांत जैन की गिरफ्तारी से दो दिन पहले उसके दफ्तर क्‍यों गए थे IAS अभिषेक प्रकाश ? सीसीटीवी से मिले सबूत। निकांत की अफसरों से चैटिंग का रिकॉर्ड कब्जे में लेगी एसआईटी।भ्रष्टाचारी के तमगे से बदनाम हो चुके IAS अभिषेक प्रकाश पर एक और खुलासा। निकांत जैन के दफ्तर क्‍यों गए IAS अभिषेक प्रकाश ?

लखनऊ में सोलर प्लांट में कमिशन मांगने के मामले में गिरफ्तार निकांत जैन के आईएएस ऑफिसर अभिषेक प्रकाश से कनेक्शन की जांच कर रही है पुलिस। अभिषेक प्रकाश के खिलाफ विजिलेंस और ईडी द्वारा जांच शुरू की गई। पुलिस निकांत के पारिवारिक सदस्यों के बैंक खातों और संपत्तियों की भी जांच कर रही है।

सोलर प्लांट में कमिशन मांगने के मामले में गिरफ्तार निकांत जैन की गिरफ्तारी से दो दिन पहले IAS अफसर अभिषेक प्रकाश उसके गोमतीनगर के विराट खंड स्थित दफ्तर गए थे। पड़ताल में यह जानकारी सामने आने के बाद पुलिस ने इससे जुड़े साक्ष्य जुटाने शुरू कर दिए हैं। दफ्तर और उसके आसपास स्थित CCTV फुटेज की जांच के साथ ही इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के लिए कॉल डिटेल, मोबाइल फोन की लोकेशन की पड़ताल की जा रही है। कोर्ट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं को लेकर फजीहत होने के बाद गोमतीनगर पुलिस मुकदमे के वादी विश्वजीत दत्ता को एक बार फिर बयान दर्ज करने के लिए बुलाने जा रही है।

विजिलेंस द्वारा अभिषेक के खिलाफ खुली जांच शुरू होने के बाद ईडी ने गोमतीनगर थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर मनी लांड्रिंग ऐक्ट के तहत केस दर्ज करने की कवायद तेज कर दी है। ईडी ने जांच के लिए लखनऊ पुलिस से एफआईआर की कॉपी व अन्य दस्तावेज मांगे थे। अभी लखनऊ पुलिस से कुछ दस्तावेज मिलने बाकी है। ईडी बाकी दस्तावेज मिलते ही केस दर्ज कर जांच शुरू कर देगा। विजिलेंस ने भी अभिषेक के खिलाफ उनकी और उनके परिवारीजनों से जुड़ी संपत्तियों, बैंक खातों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है।

निकांत का साला भी पुलिस जांच के दायरे में

पुलिस की जांच के दायरे में गुवाहटी में रहने वाला निकांत का साला अक्षय जैन भी आ रहा है। बताया जा रहा है कि अक्षय का गुवाहटी में बड़ा व्यवसाय है। पुलिस को आशंका है कि कमिशनखोरी से जुटाई गई रकम को निकांत ने वहां निवेश किया है। पुलिस निकांत के भाई सुकांत, उसकी पत्नी, निकांत की पत्नी के बैंक खातों, उनकी संपत्तियों व बीते कुछ समय में किए गए निवेश की जानकारियां जुटा रही है।

निकांत की अफसरों से चैटिंग का रिकॉर्ड कब्जे में लेगी एसआईटी

इन्वेस्ट यूपी में सोलर कम्पनी के प्रोजेक्ट को मंजूरी दिलाने के लिए कमीशन माँगने वाले बिचौलिये निकांत जैन की व्हाट्सएप और टेलीग्राम ऐप के जरिए हुई बातचीत का रिकॉर्ड एसआईटी कब्जे में लेगी। एसआईटी इसकी मदद से उस अधिकारी को चिह्नित करेगी जिसके इशारे पर निकांत ने उद्यमी से सम्पर्क साधा था। सोमवार को इस प्रकरण पर अदालत में सुनवाई होनी है, जिसमें लखनऊ पुलिस एसआईटी गठित होने की जानकारी दे सकती है। फिलहाल नजरें अदालत में दी जाने वाली जानकारी पर हैं जिसमें कई अहम खुलासे होने की उम्मीद है।

निकांत की गिरफ्तारी के बाद उसका मोबाइल कब्जे में ले लिया गया था, जिसे एसटीएफ खंगाल रही है। वहीं निलम्बित आईएएस अभिषेक प्रकाश के खिलाफ जांच कर रहे विजिलेंस के एसपी इन्वेस्ट यूपी से प्रोजेक्ट्स से जुड़े दस्तावेज और बैठकों का कार्यवृत्त हासिल कर उसे जांच में शामिल करेंगे। इसके अलावा लखनऊ पुलिस से भी निकांत की कॉल डिटेल और मैसेज लिए जाएँगे। SIT जेल में निकांत जैन का बयान जल्द ही दर्ज कराएगी।

भ्रष्टाचारी के तमगे से बदनाम हो चुके IAS अभिषेक प्रकाश पर एक और खुलासा

मेरठ में मोदी रबर ने ₹1800 करोड़ की सरकारी जमीन जर्मनी के कांटिनेंटल टायर को बेच दी. RTI ऐक्टिविस्ट लोकेश खुराना की शिकायत पर मंडलायुक्त ने 3 IAS अफसरों की कमेटी बनाकर जांच कराई तो आरोप सच निकले. ग्रांट लीज के नियमों को तोड़ा गया था। कमिश्नर के आदेश पर DM ने जांच रिपोर्ट शासन को भेजी और औद्योगिक विकास के सचिव अभिषेक प्रकाश से लीज निरस्त करने की सिफारिश की. राज्य के हक में अभिषेक प्रकाश को ऐसा करना भी था।तभी तस्वीर ने एंट्री हुई “मेरठ के एक दलाल और एक दबंग राजनेता” की. दोनों ने मोदी रबर से मिलकर अभिषेक प्रकाश को “फीलगुड” कराया. अभिषेक प्रकाश ने सीधे उद्योगपति को स्पष्टीकरण का नोटिस देकर 15 दिन में जवाब मांगा।

दिसंबर-2022 से अबतक का वक्त हुआ मगर अभिषेक प्रकाश के 15 दिन पूरे नहीं हुए. मेरठ के DM ने भी चिट्ठी भेजना अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लिया और इस मामले में चैन की नींद सो गए। अभी तक ना लीज रद्द हुई और ना DM ने लीज निरस्त ना करने का कारण अभिषेक प्रकाश से पूछा। ₹1800 करोड़ की बेशकीमती जमीन सरकार के हक में प्रमाण होते हुए भी मोदी रबर और कांटिनेंटल टायर के पास है और सरकार इन्हीं भ्रष्ट अफसरों के सहारे जिले में अपनी सल्तनत छोड़कर खुश है।