दुनिया की आबादी के साथ भूख की समस्या भी बढ़ रही है। ऐसे कई राष्ट्र हैं, जो इस समस्या से बुरी तरह जूझ रहे हैं। मानवता के लिए भुखमरी एक गंभीर समस्या है, न केवल जीवन को प्रभावित करती, बल्कि सामाजिक और आर्थिक अस्थिरता को भी जन्म देती है। यह विडंबना ही है कि तकनीकी और आर्थिक प्रगति के बावजूद इक्कीसवीं सदी में भी वैश्विक भुखमरी बड़ी चुनौती बनी हुई है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार दुनिया भर में बयासी करोड़ से ज्यादा लोग भुखमरी के शिकार हैं। विश्वभर में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्हें दो समय का भोजन नसीब नहीं होता। पोषण पाषण युक्त और पर्याप्त भोजन न मिल पाने के कारण दुनिया की बड़ी आबादी कुपोषण की चपेट में है। भोजन को बुनियादी और मौलिक मानवाधिकार माना गया है, लेकिन पूरी दुनिया में खाद्यान्न की कमी और कुपोषण के कारण प्रतिवर्ष लाखों लोग जान गंवा देते हैं। भोजन, हवा और पानी के बाद तीसरा सबसे बुनियादी अधिकार हर किसी को पर्याप्त भोजन है। जबकि दुनिया भर के किसान वैश्विक आबादी से ज्यादा लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन बनी रहती है। भूख और कुपोषण से जूझते लोग..!
दुनिया से भुखमरी मिटाने के प्रयासों में जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय तनाव और आर्थिक समस्याएं सबसे बड़ी बाधा बन रही हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, बार-बार मौसम में होने वाले बदलावों, संघर्षों, आर्थिक मंदी, असमानता और महामारी कारण विश्व में करीब 73 करोड़ 30 लाख लोग भूख का सामना कर रहे हैं, जिसका सर्वाधिक असर गरीब तबके पर पड़ता है, जिनमें से कई कृषक परिवार हैं। कोरोना काल के बाद लंबे समय से चल रहे रूस-यूक्रेन और इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध जैसी विकट परिस्थितियां भी भूख की समस्या को और विकराल बना रही हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना कि भूख और कुपोषण लंबे समय तक चलने वाले संकटों से और बढ़ जाते हैं।
आज दुनिया में करोड़ों लोग स्वस्थ आहार का खर्च उठाने में असमर्थ हैं।‘एफएओ’ के मुताबिक विश्व में 2.8 अरब से ज्यादा लोग स्वस्थ आहार का खर्च उठाने में असमर्थ हैं और अस्वास्थ्यकर आहार ही सभी प्रकार के कुपोषण का प्रमुख कारण है। कमजोर लोगों को प्रायः मुख्य खाद्य पदार्थों या कम महंगे खाद्य पदार्थों पर निर्भर रहने के लिए विवश होना पड़ता है, जो अस्वास्थ्यकर हो सकते हैं, जबकि अन्य लोग ताजे या विविध खाद्य पदार्थों की अनुपलब्धता से पीड़ित हैं। उन्हें स्वस्थ आहार चुनने के लिए जरूरी जानकारी की कमी है या फिर वे केवल सुविधा लिए विकल्प चुनते हैं। । दुनिया भर में प्रतिवर्ष हर दस में से एक व्यक्ति दूषित भोजन के कारण बीमार हो जाता है और हर साल 4.2 लाख लोगों की मौत का कारण दूषित भोजन ही है, जिनमें करीब सवा लाख बच्चे भी होते हैं। संयुक्त राष्ट्र के ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ के अनुसार 2021 दुनिया भर में पांच लाख लोगों की मौत भूख से हुई। थी। हालांकि पृथ्वी पर इतना अनाज पैदा हो रहा, जिससे दुनिया के हर व्यक्ति को पर्याप्त भोजन मिल सके, पर सबसे बड़ी समस्या सभी तक पोषणयुक्त आहार और उपलब्धता है।
भुखमरी मानवता की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली गंभीर वैश्विक चुनौती है, जिसे समाप्त करने के लिए स्थायी नीतियों, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र का 2030 तक सतत विकास लक्ष्य भुखमरी को समाप्त करने की दिशा में एक मजबूत प्रयास है, जिसके तहत सभी के लिए पोषणयुक्त, सुरक्षित और पर्याप्त भोजन सुनिश्चित । करने पर जोर दिया गया है। यदि समुचित प्रयास किए जाएं तो 2030 तक भुखमरी मुक्त दुनिया का सपना साकार हो सकता है। बहरहाल, भुखमरी केवल भोजन की कमी नहीं, एक सामाजिक और नैतिक संकट है, जिसे समाप्त करना केवल सरकारों का कर्तव्य नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। एक संगठित प्रयास के माध्यम से हम सभी मिलकर एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं, जहां कोई भी भूखा न सोए। भूख और कुपोषण से जूझते लोग..!