विजय गर्ग
भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में 22 प्रतिशत हिस्सा कैंसर का है। हाल ही में ‘द लांसेट’ में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि यह आंकड़ा पिछले एक दशक में दोगुना हो गया है। विशेष चिंता की बात यह कि इनमें युवा आबादी का प्रतिशत बढ़ रहा है। कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि के कई बड़े कारण हैं, लेकिन प्रमुख रूप से जीवनशैली में बदलाव मुख्य रूप से जिम्मेदार है। वर्तमान में कैंसर का एक प्रमुख कारण प्रदूषण भी है। वस्तुतः आज वायु, जल एवं मृदा प्रदूषण अपने चरम पर है जिसकी वजह से कैंसर रोगियों की संख्या दिन- प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। प्रदूषण से बढ़ता कैंसर का जोखिम
उत्तर भारत में वायु प्रदूषण के कारण बढ़ते कैंसर के मामलों ने चिकित्सा जगत में चिंता पैदा कर दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली लगातार तीसरे वर्ष विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है, जहां पी. एम. 2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से 20 गुना अधिक है। ये आंकड़े करोड़ों लोगों के जीवन से जुड़ी एक भयावह वास्तविकता हैं। कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिनमें से 37 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जो कभी धूमपान नहीं करते थे। एम्स द्वारा वर्ष 2023 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में प्रतिवर्ष लगभग 80 हजार लोग वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों से प्रभावित होते हैं।
वस्तुतः पराली दहन उत्तर भारत में वायु प्रदूषण के एक नए कारक के रूप में उभर कर सामने आया है। एम्स और आइआइटी दिल्ली द्वारा 2023 में किए गए एक संयुक्त अध्ययन में यह पाया गया कि पराली के धुएं में बेंजीन, फार्मल्डिहाइड और पालीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे कैंसरकारी तत्व मौजूद होते हैं। इन तत्वों की मात्रा सामान्य दिनों की तुलना में पराली जलाने के मौसम में छह गुना तक बढ़ जाती है।
वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति को देखते हुए कैंसर के कारकों का समाधान किए जाने पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में सरकार को पराली से होने वाले वायु प्रदूषण के कारकों के निवारण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि उससे उत्पन्न कैंसर की भयावहता को रोका जा सके।
हालांकि, केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा, ग्रीन कवर में वृद्धि और औद्योगिक इकाइयों पर कड़ी निगरानी आदि इनमें शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, शराब और तंबाकू से परहेज और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर कैंसर के मामलों से बचा जा सकता है। प्रदूषण से बढ़ता कैंसर का जोखिम