Monday, May 5, 2025
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षडयंत्र का तानाबाना बुन रही भाजपा-पूर्व मुख्यमंत्री

षडयंत्र का तानाबाना बुन रही भाजपा-पूर्व मुख्यमंत्री
षडयंत्र का तानाबाना बुन रही भाजपा-पूर्व मुख्यमंत्री
राजेन्द्र चौधरी
राजेन्द्र चौधरी

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सन् 2027 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के लिए जीजान से जुटने का संकल्प लिया। चौहान समाज के प्रतिनिधि सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि चौहान समाज का उत्साह, लगाव और ऊर्जा देखकर भरोसा है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि हमारी आपकी पीड़ा, दुःख एक है और लक्ष्य भी एक है। 2027 के विधानसभा चुनाव में आने वाली पीढ़ी के भविष्य का चुनाव है। भाजपा साजिशों और षडयंत्र का तानाबाना बुन रही है लेकिन पीडीए की ताकत के सामने भाजपा टिक नहीं पाएगी। जाति जनगणना का निर्णय लेने के लिए केन्द्र सरकार पीडीए की ताकत से ही मजबूर हुई है।भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों से बुरी तरह घबराई हुई है। वह यूपी की हार को पचा नहीं पा रही है। जातीय जनगणना में भाजपा कोई गड़बड़ी न कर पाए इसके लिए सतर्क रहना है। षडयंत्र का तानाबाना बुन रही भाजपा-पूर्व मुख्यमंत्री

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में सबका साथ और विकास कहां नज़र आता है। महंगाई, भ्रष्टाचार पर भाजपा सरकारें नियंत्रण नहीं कर पा रही है। अस्पताल में इलाज नहीं है। मरीज मजबूर है। किसान को भाजपा ने धोखा दिया है। नौजवानों का भविष्य अंधकार में है। उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा हे। महिलाएं असुरक्षित है। जो इतिहास आगे न बढ़ने दे, उसे इतिहास ही रहने दें। संविधान ने हमें सम्मान दिया है। हमारे साथ भेदभाव और अन्याय एक जैसे है। जो वन नेशन वन इलेक्शन की बातें करते हैं वे यूपी में एक तारीख में ही चुनाव क्यों नहीं कराते है? उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की लड़ाई महत्वपूर्ण साबित होगी। 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करना है। समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर महिलाओं का सम्मान होगा। रोजगार के ज्यादा अवसर मिलेंगे। प्रशासन भ्रष्टाचार से मुक्त होगा। किसान फले फूलेगा तो प्रदेश में खुशहाली आएगी।

महेन्द्र चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार में चौहान समाज के लोगों का उत्पीड़न हो रहा है। उन्हें अपमानित किया जा रहा है। उनकी हत्यायें हो रही है। भाजपा ने उन्हें धोखा दिया है। उन्हें छला गया है। उन्होंने कहा कि 2027 के विधानसभा चुनाव में कोई चूक न होने पाये। होशियार रहने की जरूरत है। चौहान समाज पूरी तरह से पीडीए समाज से जुड़ा है। चौहान समाज का सम्मान समाजवादी पार्टी में ही सुरक्षित है। चौहान जाति के लोग ओबीसी की श्रेणी में आते हैं। चौहान समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था ध्वस्त है। महंगाई, अन्याय और अपराध चरम पर है। विकास कार्य चौपट है। समाजवादी सरकार के समय जो विकास कार्य हुए थे उन्हें ही भाजपा सरकार अपना बता रही है।


चौहान समाज के वक्ताओं ने कहा कि जबसे श्री अखिलेश यादव ने पीडीए का नारा दिया है तबसे पीडीए समाज में जागरूकता आई है। चौहान समाज को पूरी उम्मीद है कि श्री अखिलेश यादव जी सामाजिक न्याय राज की स्थापना करेंगे। चौहान समाज ने नारा दिया ‘‘अखिलेश यादव के सम्मान में, चौहान समाज मैदान में‘‘। आज के कार्यक्रम में शामिल होने वाले प्रमुख नेताओं में सर्वश्री महेन्द्र चौहान प्रदेश सचिव मऊ, राज कुमार चौहान जिला उपाध्यक्ष कानपुर ग्रामीण, हंसराज चौहान प्रदेश महासचिव यूथ ब्रिगेड, अमलेश चौहान प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य पिछड़ावर्ग प्रकोष्ठ, महेन्द्र चौहान प्रदेश महासचिव पिछड़ा वर्ग गाजीपुर, विजय चौहान देवरिया, भगवती चौहान लखीमपुर, मुसाफिर चौहान प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, मुन्ना चौहान जौनपुर, रामाश्रय चौहान विधानसभा अध्यक्ष दीदारगंज, श्यामदेव चौहान पूर्व सदस्य जिला पंचायत समेदा आजमगढ़, दिलीप चौहान लखनऊ, रामनरायन चौहान अयोध्या, सीताराम चौहान बस्ती, अशोक चौहान पूर्व प्रत्याशी खड्डा कुशीनगर, अशोक चौहान पूर्व चेयरमैन मेहनगर आजमगढ़ सहित सैकेड़ों चौहान समाज के लोग शामिल रहे। षडयंत्र का तानाबाना बुन रही भाजपा-पूर्व मुख्यमंत्री

भाजपा सरकार चरम पर भ्रष्टाचार-अखिलेश यादव

भाजपा सरकार चरम पर भ्रष्टाचार-अखिलेश यादव
भाजपा सरकार चरम पर भ्रष्टाचार-अखिलेश यादव
राजेन्द्र चौधरी
राजेन्द्र चौधरी

भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार, बेईमानी और लूट चरम पर है। हर विभाग में भ्रष्टाचार और लूट चल रही है। किसानों की फसलों के खरीद में भारी भ्रष्टाचार चल रहा है। धान खरीद में भ्रष्टाचार का कागजों में रिकार्ड है, विधानसभा से लेकर कई प्लेटफार्म पर शिकायत हुई लेकिन लूट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। धान खरीद के साथ बुन्देलखंड में मूंगफली खरीद में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। किसानों को मूंगफली की कीमत नहीं मिली। भाजपा के कार्यकर्ताओं और बिचौलियों ने मुनाफा कमाया। धान, मूंगफली के बाद अब गेंहू खरीद में बड़े पैमाने पर धांधली हो रही हैं, गेहूं खरीद में भाजपा सरकार और उद्योगपतियों की मिली भगत है। गेहूं की सरकारी खरीद नहीं हो रही है। किसानों का गेहूं उद्योगपतियों के लिए आढ़तियों के माध्यम से खरीदा जा रहा है। सरकार ने पाबंदी लगा दी है। आढ़तियां किसानों का गेहूं ज्यादा कीमत पर न खरीदे। अगर सरकार ही इस मिलीभगत में शामिल है तो किसानों को गेहूं की कीमत कैसे मिलेगी? सरकार किसानों को गेहूं की सही कीमत नहीं देना चाहती है। इस सरकार ने खाद, बीज, कीटनाशक, बिजली, डीजल, सब चीजों के दाम बढ़ाकर किसानों के सामने संकट पैदा किया है। भाजपा सरकार किसानों को अपमानित कर रही है। सवाल पूछने पर एफआईआर करा दिया जाता है। आंदोलन करने पर पगड़ी उछाली जाती है। गाजीपुर से गाजियाबाद तक कोई एक बार नहीं कई मौकों पर भाजपा ने किसानों को अपमानित करने का काम किया है। भाजपा सरकार चरम पर भ्रष्टाचार-अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने कहा कि इस सरकार में हरस्तर पर हर विभाग में भ्रष्टाचार हो रहा है। भ्रष्टाचारियों ने लूट के लिए महीना बांध रखा है। लखनऊ में आग लगने से दो लोगों की मौत हो गयी। उद्योगों को फायर की एनओसी देने में भ्रष्टाचार है। इन्वेस्टमेंट के नाम भ्रष्टाचार है। उत्तर प्रदेश के अधिकारी भ्रष्टाचार और लूट का पैसा बाहर के राज्यों में निवेश कर रहे है। प्रदेश में विभिन्न मलाईदार पदों पर बैठे दूसरे राज्यों के अधिकारी भी अन्य राज्यों में निवेश कर रहे है। प्रदेश में कमीशन और बंटवारे के झगड़े में एक आईएएस फरार है। प्रदेश में जितने भी ‘मुख्य-मुख्य‘ हैं वे सब इसी काम में लगे है।

प्रदेश के विभिन्न जिलों से दूर-दूर से आये चौहान समाज के लोगों का अखिलेश यादव ने धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि हम चौहान समाज की भावना के लिए आभार प्रकट करते हैं। प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर चौहान समाज का पूरा सम्मान किया जायेगा। चौहान समाज पीडीए के सदस्य हैं। हमारी और इनकी पीड़ा एक है। यह पीड़ा और दुःख का रिश्ता है। भाजपा सरकार में चौहान समाज के लोगों को अपमानित होना पड़ रहा है। भाजपा सरकार में तानाशाही है। इस सरकार में सवाल पूछने वालों को अपमान सहना पड़ रहा है। चौहान समाज के लोगों ने जातीय जनगणना का समर्थन किया है। जातीय जनगणना 90 फीसदी पीडीए की सौ फीसदी जीत है। पीडीए समाज को भाजपा की धांधली पर नज़र रखनी है, जिससे जातीय जनगणना ईमानदारी से हो और सच्चे आंकड़े आये।


इस अवसर पर नेता विरोधी दल माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि भाजपा सरकार में धान खरीद में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है। सिद्धार्थनगर जिले में बिना धान, गेंहू खरीदे 64 करोड़ रूपये खातों में भेज दिया गया। इसमें सबसे ज्यादा पैसा पाने वाले भाजपा के लोग है। इस भ्रष्टाचार की मुख्यमंत्री जी समेत अन्य जगहों पर शिकायत की गयी लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ वहां के अधिकारियों ने लिखा, पीसीएफ के अधिकारी ने भी लिखा लेकिन अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। माता प्रसाद पाण्डेय ने धान खरीद का पैसा लेने वालों के नाम की जानकारी भी दी। पैसा सिलीगुड़ी और बिहार तक के लोगों के खातों में गया। भारी भ्रष्टाचार हुआ है। इस अवसर पर बलराम यादव एलएलसी, राजेन्द्र चौधरी एमएलसी, श्याम लाल पाल प्रदेश अध्यक्ष, चंद्रदेव राम यादव पूर्व मंत्री आदि प्रमुख नेता मौजूद रहे। भाजपा सरकार चरम पर भ्रष्टाचार-अखिलेश यादव

उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में आदर्श व्यापार मंडल का शपथ ग्रहण समारोह

उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में आदर्श व्यापार मंडल का शपथ ग्रहण समारोह
उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में आदर्श व्यापार मंडल का शपथ ग्रहण समारोह

क्षेत्रीय व्यापारी सम्मेलन एवं शपथ ग्रहण समारोह। आदर्श व्यापार मंडल के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक मौजूद रहे।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल, हुसैनगंज बाजार इकाई” के तत्वावधान में विधानसभा मार्ग ,हुसैन गंज में “क्षेत्रीय व्यापारी सम्मेलन एवं शपथ ग्रहण समारोह” का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में क्षेत्रीय विधायक एवं उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मण्डल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता द्वारा की गई। व्यापारी नेता संजय गुप्ता ने क्षेत्रीय व्यापारी सम्मेलन में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के सामने वर्तमान में व्यापारियों के सामने आने वाली समस्याओं को प्रमुखता से रखा तथा 10 सूत्रीय ज्ञापन सौपा जिसमें समस्याएं एवं सुझाव दोनों ही सम्मिलित थे। क्षेत्रीय विधायक एवं उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने “उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल, हुसैनगंज” की नवगठित इकाई के नवनियुक्त पदाधिकारियों को पद की शपथ दिलाई।

इस अवसर पर बोलते हुए उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा,क्षेत्रीय व्यापारी सम्मेलन में उठाई गई मांगों को उच्च स्तर तक पहुंचाकर सकारात्मक समाधान निकलवाएंगे तथा व्यापारियों की हर लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करेंगे। सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता द्वारा बाजारों में सीसीटीवी कैमरा लगवाये जाने की मांग पर उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कैंट विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख बाजारों का प्रस्ताव माँगा और उन्होंने अपनी विधायक निधि से कैंट विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख बाजार में सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने का आश्वासन दिया। उपमुख्यमंत्री ने आदर्श व्यापार मण्डल की सराहना करते हुए कहा आदर्श व्यापार मंडल लगातार व्यापारियों के लिए संघर्ष कर रहा है।


हुसैनगंज बाज़ार,सदर बाजार, “उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल,हुसैनगंज बाजार “की कार्यकारणी में श्रवण कुमार गुप्ता ने चेयरमैन, पवन वर्मा ने अध्यक्ष, राजू वर्मा ने संरक्षक,परमानंद गोयल ने वरिष्ठ महामंत्री, आदित्य वर्मा ने महामंत्री, ओवेस खान ने वरिष्ठ उपाध्यक्ष ,सगीर अहमद मंसूरी , नितिन गुप्ता, मोहम्मद मोइद, राजू गुप्ता ,अंकुर जायसवाल ने उपाध्यक्ष, आनंद बंसल ने कोषाध्यक्ष ,पंकज गुप्ता ने सह कोषाध्यक्ष, नितिन गुप्ता ने वरिष्ठ संगठन मंत्री ,वैभव गुप्ता एवं मोहम्मद फरीद ने संगठन मंत्री, चंदन चौरसिया एवं शशांक कुमार ने मंत्री ,स्वाति चौरसिया ने मीडिया प्रभारी पद की शपथ ली।

“क्षेत्रीय व्यापारी सम्मेलन एवं शपथ ग्रहण समारोह” में संगठन के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष अविनाश त्रिपाठी, बर्लिंगटन चौराहा ,विधानसभा मार्ग के अध्यक्ष एवं प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष गुरप्रीत सिंह चड्ढा ,आलमबाग प्रभारी एवं नगर महामंत्री मोहित कपूर, सदर बाजार के अध्यक्ष अखिल ग्रोवर, उदयगंज कैन्ट रोड के अध्यक्ष मोहम्मद आरिफ, ओडियन सिनेमा, कैंट रोड अध्यक्ष एवं नगर महामंत्री संजय त्रिवेदी, चारबाग प्रभारी हर्षपाल सिंह, कृष्णा नगर प्रभारी सरबजीत सिंह बग्गा ,चन्दर प्रभारी गुरप्रीत सिंह सचदेवा, लखनऊ नगर वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमिताभ श्रीवास्तव, ट्रांसगोमती अध्यक्ष अनिरुद्ध निगम, भाजपा युवा नेता सतबीर सिंह आनंद, नगर उपाध्यक्ष अवधेश गुप्ता सहित हुसेनगंज, सदर बाजार, उदय गंज बाजार , विधानसभा मार्ग बाजार बड़ी संख्या में व्यापारी मौजूद थे। “क्षेत्रीय व्यापारी सम्मेलन” में उपमुख्यमंत्री के सामने व्यापारी नेता संजय गुप्ता ने व्यापारियों की प्रमुख समस्याएं रखीं।

रिटेल ट्रेड पॉलिसी एवं ई कॉमर्स पॉलिसी प्रदेश में बनाई जाए

वर्तमान में विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा सरकार के नियम कानूनों का उल्लंघन करते हुए व्यापार किए जाने से प्रदेश के परम्परागत रिटेल (ख़ुदरा व्यापारियों) सेक्टर के व्यापारियों के सामने अपने व्यापार को बचाने में बड़ी समस्या आ रही है। ई कॉमर्स व्यापार करने की वर्तमान विधा है। प्रदेश एवं देश की जनता ने इसे अपना लिया है तथा परंपरागत रिटेल सेक्टर के व्यापारियों को प्रतिस्पर्धा के समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश में ई कॉमर्स पॉलिसी एवं रिटेल ट्रेड की पॉलिसी बनाया जाना अति आवश्यक है ताकि सरकार को राजस्व देने में ,सामाजिक कार्यों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तथा रोजगार सृजन में अपने संसाधनों से स्वयं को एवं अनेको लोगो को रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध कराने वाले रिटेल सेक्टर के व्यापारियों के व्यापार को बचाया जा सके।

L D L T योजना शुरू की जाए:- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा अनुसार vocal for local के अनुरूप उत्तर प्रदेश सरकार अपनी सरकारी खरीद में उत्तर प्रदेश के व्यापारियों को तथा स्थानीय स्तर पर local district local trader से खरीद को प्राथमिकता दें। ताकि स्थानीय व्यापारियों का व्यापार बढ़ सके प्रदेश सरकार जिलों में जिले के व्यापारियों से ही खरीदी करे।

विज्ञापन नीति बनाई जाए:- रिटेल सेक्टर के व्यापारी अपने व्यापार को ई कॉमर्स पर लाना चाहते हैं किंतु उनके पास अपनी वेबसाइट एवं मोबाइल ऐप का प्रचार करने का समुचित फंड नहीं होता ऐसे में उन्हें ई कॉमर्स, सेक्टर में आने के लिए सहयोग करने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार विज्ञापन की नीति बनाए तथा ई कॉमर्स पर व्यापार करने वाले व्यापारियों को सस्ती दर पर एवं सुगम विज्ञापन के अवसर उपलब्ध हो सके।

जल कर:- जिन व्यापारियों के वहाँ पानी का कनेक्शन नहीं है उन्हें भी जल कर का भुगतान करना पड़ता है, जो न्यायोचित नहीं है पुरानी सरकारों के समय का यह नियम बना हुआ है। कृपया इसे समाप्त किया जाए केवल उन्हीं व्यापारियों से जल कर लिया जाए जो इसका उपयोग करते हो।

    सीसीटीवी कैमरा योजना:- राजधानी लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के प्रमुख महानगरों की प्रमुख बाजारों में सीसीटीवी कैमरा योजना शुरू की जाए। इसके लिए बजट में प्राविधान रखा जाए। इसकी शुरुआत राजधानी के कैंट क्षेत्र से हो।

      स्वास्थ्य बीमा:- जीएसटी विभाग में पंजीकृत व्यापारियों को दस लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा तथा छोटे स्थायी,अपंजीकृत व्यापारियों को आयुष्मान कार्ड का लाभ दिया जाए

        सीलिंग:-जनता की आवश्यकता के अनुसार राजधानी सहित अनेक महानगरों में आवासीय क्षेत्र व्यावसायिक में परिवर्तित हो गए हैं। सरकार इस विषय पर गंभीरता से काम भी कर रही है तथा नीति भी बना रही है किंतु अभी भी आवास विकास विभाग एवं विकास प्राधिकरण द्वारा पुरानी चलती हुई दुकानों वाले भवनों को मनमाने तरीके से सील किया जाता है जिससे बिल्डरों को कोई नुकसान नहीं होता किंतु व्यापार करने वाले व्यापारियों को असुविधा एवं अपमान का सामना करना पड़ता है पुरानी चलती हुई दुकानों/भवनो को सीलिंग कार्रवाई से मुक्त रखा जाए।तथा शीघ्र ही विभागों द्वारा बनाई जा रही नीति को लागू किया जाये। व्यापारियों के शस्त्र लाइसेंस प्राथमिकता के आधार पर बनाये जाये एवं विरासत के लाइसेंस अनिवार्य रूप से बनाए जाने हेतु समुचित निर्देश निर्गत किए जाएँ।

          यातायात जाम समस्या के समाधान हेतु सुझाव:-

          राजधानी सहित अनेक शहरों में अस्थायी पटरी दुकानदारों के कारण स्थाई व्यापारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है तथा बाजारों में भी यातायात जाम की समस्या रहती है।
          उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा SCR (स्टेट कैपिटल रीजन) बनाया जा रहा है यदि SCR में पहले से ही सभी पटरी दुकानदारों की सूची बनाकर इनके लिए कोई ठोस कार्य योजना बनाकर इन्हें वहां पर व्यापार के अवसर दिए जाएं। तो इससे बाजारों से अस्थायी अतिक्रमण की समस्या का समाधान हो जाएगा तथा पटरी दुकानदारों को एवम् उनके वारिसो को स्थायी रूप से रोजगार के अवसर तथा सम्मानजनक समाधान मिल जाएगा तथा जाम की समस्या से भी कुछ हद तक राहत मिलेगी।

          अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से बिना पार्किंग के भवन बनते जा रहे हैं। जब तक भवनों में ही पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की जाएगी तब तक वर्तमान एवं भविष्य में भी पार्किंग की समस्या एवं यातायात जाम की समस्या से छुटकारा नहीं मिलेगा अतः नए भवन बिना पार्किग के न बने इसके लिए सम्बंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी एवं कार्रवाई तय की जाए। उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में आदर्श व्यापार मंडल का शपथ ग्रहण समारोह

            क्या पेश करूं तुमको…

            क्या पेश करूं तुमको...
            क्या पेश करूं तुमको...

            क्या पेश करूं तुमको क्या चीज हमारी है,
            ये दिल भी तुम्हारा है ये जान भी तुम्हारी है। क्या पेश करूं तुमको…

            इस ❤️दिल में बसी है सूरत तुम्हारी,
            हर वक़्त रहती है ज़रूरत तुम्हारी।

            तू मेरी सुबह की पहली किरण है,
            और रात का आखिरी हसीन ख्वाब

            मेरी हर दुआ में तेरा ही नाम आता है,
            यह दिल बेकरार हर पल तुझे ही चाहता है।

            तेरी आँखों में जो गहराई है,
            उसमें डूब जाने को जी चाहता है।

            यह कैसा नशा है तेरी मोहब्बत का,
            जो हर पल बढ़ता ही जाता है।

            तुम पास हो तो हर लम्हा सुहाना लगता है,
            बिन तेरे यह जीवन भी बेगाना लगता है।

            लबों पे तेरे जो हल्की सी हँसी आती है,
            मेरी जान हर उदासी को पल भर में मिटा जाती है।

            मेरी सुबह हो तुमसे, मेरी शाम तुमसे हो,
            मेरी हर राह की मंज़िल का नाम तुमसे हो…. क्या पेश करूं तुमको…

            सड़क की दुर्दशा बनी जानलेवा,जिम्मेदार बेखबर

            सड़क की दुर्दशा बनी जानलेवा,जिम्मेदार बेखबर
            सड़क की दुर्दशा बनी जानलेवा,जिम्मेदार बेखबर
            अनिल साहू
            अनिल साहू

            अयोध्या/रुदौली। रुदौली की मैन सड़क की हालत इन दिनों बेहद दयनीय हो चुकी है। जगह-जगह टूटी पुलिया और सड़क पर उभरे गड्ढे न केवल आवागमन में बाधा बन रहे हैं, बल्कि अब जानलेवा भी साबित हो रहे हैं। आए दिन यहां ई-रिक्शा पलटने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनमें सवारियां घायल हो रही हैं। मोहम्मद इमरान,फिरोज अहमद ,मोहम्मद आकिब ,राम लाल ,अजय कनौजिया,सतीश राजपूत,विपिन कुमार,रवि कुमार,सनी गुप्ता,संदीप सिंह,स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या कई महीनों से बनी हुई है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं। “जनता त्रस्त है और जिम्मेदार मस्त”, यह स्थिति अब आम चर्चा बन गई है। सड़क की दुर्दशा बनी जानलेवा,जिम्मेदार बेखबर

            रुदौली की यह सड़क न केवल कस्बे का मुख्य मार्ग है, बल्कि आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों को भी जोड़ती है। खराब सड़क के चलते बच्चों का स्कूल जाना, मरीजों का अस्पताल पहुंचना और व्यापारी वर्ग का आवागमन तक प्रभावित हो रहा है। स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अगर जल्द ही सड़क की मरम्मत नहीं कराई गई, तो किसी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता। क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है..? सड़क की दुर्दशा बनी जानलेवा,जिम्मेदार बेखबर

            हरियाणा की उच्च शिक्षा का ठहरा भविष्य..!

            हरियाणा की उच्च शिक्षा का ठहरा भविष्य..!
            हरियाणा की उच्च शिक्षा का ठहरा भविष्य..!

            “कुलपति विहीन विश्वविद्यालय: हरियाणा की उच्च शिक्षा का ठहरा भविष्य”

            डॉ.सत्यवान सौरभ
            डॉ.सत्यवान सौरभ

            हरियाणा के सात से अधिक विश्वविद्यालय लंबे समय से स्थायी कुलपति विहीन हैं, जिससे उच्च शिक्षा प्रणाली में नेतृत्व का अभाव उत्पन्न हुआ है। यह न केवल प्रशासनिक शिथिलता को जन्म दे रहा है बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन में भी बाधा बन रहा है। नियुक्ति प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी, राजनीतिक हस्तक्षेप और न्यायिक विवाद जैसे मुद्दे लगातार गहराते जा रहे हैं। जब तक योग्य और स्वतंत्र कुलपतियों की नियुक्ति नहीं होती, उच्च शिक्षा सुधार केवल कागज़ों में सीमित रहेगा। हरियाणा की उच्च शिक्षा का ठहरा भविष्य..!

            हरियाणा राज्य, जिसे कभी शिक्षा के क्षेत्र में उभरते केंद्र के रूप में देखा जा रहा था, आज उच्च शिक्षा के बुनियादी ढांचे और नेतृत्व में गंभीर संकट से जूझ रहा है। राज्य के सात से अधिक विश्वविद्यालयों में लंबे समय से कुलपति (Vice Chancellor) की नियुक्ति नहीं हो सकी है। यह न केवल प्रशासनिक अस्थिरता को जन्म दे रहा है, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के प्रभावी क्रियान्वयन में भी बाधा बन रहा है। जब विश्वविद्यालयों को उच्च गुणवत्ता वाला अनुसंधान, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है, ऐसे समय में नेतृत्व की रिक्तता हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था को पीछे धकेल रही है।

            रिक्त कुलपति पद: प्रशासनिक शून्यता और छात्र हितों पर असर

            चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय (CDLU), भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय, चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, डॉ. बी.आर. अंबेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, गुरुग्राम विश्वविद्यालय और महार्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय—ये सात प्रमुख विश्वविद्यालय मार्च 2025 तक बिना स्थायी कुलपति के कार्य कर रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा मार्च 2025 में कुलपति पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे, परन्तु अंतिम तिथि बीत जाने के बावजूद चयन प्रक्रिया की स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस रिक्तता के कारण इन संस्थानों में शैक्षणिक और प्रशासनिक निर्णयों में देरी हो रही है। बजट आवंटन, फैकल्टी नियुक्तियाँ, अकादमिक पाठ्यक्रमों की समीक्षा, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य बिना स्थायी नेतृत्व के अधर में लटके हुए हैं। इसका सीधा असर छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता और भविष्य की संभावनाओं पर पड़ रहा है।

            छात्रों और शिक्षकों का असंतोष: पारदर्शिता की मांग

            सिरसा स्थित CDLU और अन्य विश्वविद्यालयों में छात्रों ने कुलपति नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग को लेकर आवाज़ उठाई है। छात्रों का कहना है कि चयन प्रक्रिया में योग्यता, अनुभव और नैतिकता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। वे यह भी आरोप लगाते हैं कि सरकार राजनीतिक रूप से अनुकूल उम्मीदवारों को नियुक्त करने की तैयारी में है, जिससे विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर प्रश्नचिह्न लगता है। अधिकारियों और फैकल्टी सदस्यों का भी कहना है कि लगातार कार्यवाहक कुलपतियों के अधीन काम करना अकादमिक योजना और नवाचार को बाधित करता है। विश्वविद्यालयों को दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता होती है, जो केवल स्थायी और सक्षम नेतृत्व ही सुनिश्चित कर सकता है।

            न्यायिक चुनौती और नीतिगत भ्रम

            चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में कुलपति की पुनर्नियुक्ति को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि नियुक्ति में UGC (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के मानकों का पालन नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह नियुक्ति पारदर्शिता और योग्यता के सिद्धांतों के खिलाफ है, और इससे विश्वविद्यालय की गरिमा पर आँच आती है। यह मामला पूरे राज्य के विश्वविद्यालय प्रणाली में व्याप्त नीतिगत भ्रम और पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है। राज्य और केंद्र सरकार की नीतियों के बीच तालमेल की कमी, और विश्वविद्यालयों को स्वायत्त रखने के वादे के बावजूद हस्तक्षेप की प्रवृत्ति, शिक्षा व्यवस्था की जड़ों को खोखला कर रही है।

            राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: उद्देश्य और बाधाएँ

            NEP 2020 भारत को एक वैश्विक ज्ञान केंद्र बनाने का लक्ष्य रखती है। इसमें बहुविषयी शिक्षा, कौशल विकास, अनुसंधान संवर्धन और डिजिटल लर्निंग पर बल दिया गया है। परन्तु इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय में सक्षम और दूरदर्शी नेतृत्व आवश्यक है। हरियाणा के विश्वविद्यालयों में कुलपति पदों की रिक्तता NEP के इन लक्ष्यों को बाधित कर रही है। डिजिटल और अकादमिक अवसंरचना के विस्तार, रिसर्च ग्रांट्स की अनुशंसा, और अकादमिक फ्रीडम के लिए एक स्पष्ट और स्थिर नीति-निर्देशक की भूमिका आवश्यक है, जो फिलहाल अधूरी है।

            राजनीतिक हस्तक्षेप और UGC की नई नीतियाँ

            हरियाणा में कुलपति नियुक्तियों को लेकर एक और विवाद यह है कि UGC की नई नीतियों का इंतजार कर राज्य सरकार नियुक्तियों को टाल रही है। 2023 में UGC ने कुलपति नियुक्तियों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें केंद्रीय हस्तक्षेप की गुंजाइश बढ़ी है। इससे राज्य विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर खतरा मंडराने लगा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राज्य सरकारें अब कुलपति जैसे पदों को भी ‘वफादारी के इनाम’ के रूप में देखने लगी हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता, शोध की गंभीरता, और अकादमिक स्वतंत्रता पर गहरा असर पड़ता है।

            समाधान की राह: सुधार के सुझाव

            कुलपति चयन के लिए एक स्वतंत्र और पारदर्शी चयन समिति होनी चाहिए, जिसमें शिक्षाविद, प्रशासनिक अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल हों। चयन प्रक्रिया को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। शिक्षा को राजनीतिक एजेंडे से अलग रखा जाए। योग्यताओं के आधार पर नियुक्तियाँ सुनिश्चित की जाएं, न कि राजनीतिक निकटता के आधार पर। कार्यवाहक कुलपतियों की जगह स्थायी नियुक्तियों को प्राथमिकता दी जाए ताकि दीर्घकालिक योजनाओं का कार्यान्वयन हो सके। UGC की नीतियों और राज्य सरकार की योजनाओं में बेहतर तालमेल हो, जिससे नीतिगत भ्रम की स्थिति समाप्त हो सके।

            छात्र और फैकल्टी की भागीदारी:- विश्वविद्यालय प्रशासन में छात्रों और शिक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए ताकि निर्णय जनहित और अकादमिक हितों को ध्यान में रखकर लिए जाएं।

            शिक्षा का नेतृत्व रिक्त नहीं रह सकता

            हरियाणा जैसे राज्य, जो औद्योगिक और सामाजिक दृष्टि से अग्रणी बनने की दिशा में बढ़ रहा है, वहां विश्वविद्यालयों में नेतृत्व की रिक्तता बेहद चिंताजनक है। जब तक विश्वविद्यालयों को सक्षम, दूरदर्शी और स्वतंत्र नेतृत्व नहीं मिलेगा, तब तक उच्च शिक्षा में सुधार केवल दस्तावेज़ों और घोषणाओं तक सीमित रहेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन, वैश्विक प्रतिस्पर्धा की तैयारी, और विद्यार्थियों को नवाचार की दिशा में प्रेरित करने के लिए हरियाणा को अपने विश्वविद्यालयों में योग्य कुलपतियों की नियुक्ति तत्काल करनी चाहिए। शिक्षा का भविष्य नेतृत्व पर निर्भर करता है, और नेतृत्व के बिना कोई भी सुधार असंभव है। हरियाणा को अब निर्णय लेना होगा—क्या वह शिक्षा को राजनैतिक औज़ार बनाएगा या सामाजिक परिवर्तन और ज्ञान की नींव? जवाब स्पष्ट है: विश्वविद्यालयों में कुलपति हों, तभी उच्च शिक्षा सुधरेगी। हरियाणा की उच्च शिक्षा का ठहरा भविष्य..!

            हर चेहरे पर खुशहाली सरकार की प्राथमिकता-मुख्यमंत्री

            हर चेहरे पर खुशहाली सरकार की प्राथमिकता-मुख्यमंत्री
            हर चेहरे पर खुशहाली सरकार की प्राथमिकता-मुख्यमंत्री

            हर चेहरे पर खुशहाली सरकार की प्राथमिकता। मुख्यमंत्री ने रविवार को किया ‘जनता दर्शन’ प्रदेश भर से आये लोगों की सुनीं समस्याएं। हर पीड़ित के पास पहुंचे मुख्यमंत्री, बोले- प्रदेशवासियों की सुरक्षा व स्वावलंबन सरकार का ध्येय। प्रतापगढ़ से आईं महिलाओं की परेशानी भी सुनी, जल्द कार्रवाई का दिया आश्वासन। हर चेहरे पर खुशहाली सरकार की प्राथमिकता-मुख्यमंत्री

            लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘जनता दर्शन’ किया। इस दौरान 60 से अधिक फरियादी आए। मुख्यमंत्री ने एक-एक करके सभी से मुलाकात की, फिर कुशलक्षेम पूछा। इसके बाद हर पीड़ित तक पहुंचे, शिकायतें सुनीं और अधिकारियों को निस्तारण के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश के हर नागरिकों के चेहरे पर खुशहाली लाना ही सरकार की प्राथमिकता है और सरकार इसके लिए पहले दिन से ही कार्य कर रही है। जनता दरबार में पुलिस, राजस्व, चिकित्सा सहायता, वृद्धावस्था पेंशन, सड़क निर्माण समेत अनेक मामले आए, जिस पर प्रार्थना पत्र लेकर मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया।

            अफसरों को दिया प्रार्थना पत्र, समय से निस्तारण के निर्देश- मुख्यमंत्री ने जनता दर्शन में मौजूद अधिकारियों को शिकायतों का प्रार्थना पत्र सौंपते हुए इसके समय से निस्तारण के निर्देश दिए। प्रतापगढ़ के कुंडा में विगत दिनों हुई घटना का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस घटना के आरोपियों को बख्शेंगे नहीं। वहीं दो महिलाओं ने पुलिस से संबंधित शिकायत की, जिसे मुख्यमंत्री ने गंभीरता से सुना और कार्रवाई के लिए निर्देशित किया।

            विभिन्न विभागों से जुड़े मामले लेकर पहुंचे पीड़ित- जनता दर्शन में मड़ियाव थाना के रहने वाले एक राजमिस्त्री वृद्धावस्था पेंशन की फरियाद लेकर आए थे। जिस पर मुख्यमंत्री ने नियमसंगत कार्रवाई को लेकर आश्वस्त किया। आरटीई, खेत की पैमाइश, आवास, चकरोड, खेतों में कब्जा, बिजली कनेक्शन समेत अन्य फरियाद लेकर पीड़ित पहुंचे, जिसके समाधान का मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया।

            बच्चों को दुलारा और दी चॉकलेट- जनता दर्शन में कई पीड़ित परिवार के साथ आए थे। मुख्यमंत्री ने इस दौरान बच्चों को दुलारा, उनकी शिक्षा के बारे में जानकारी ली और चॉकलेट भी दी। सीएम योगी ने बच्चों को खूब पढ़ने और उज्ज्वल भविष्य का भी आशीर्वाद दिया। हर चेहरे पर खुशहाली सरकार की प्राथमिकता-मुख्यमंत्री

            सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने पर CRPF जवान मुनीर अहमद बर्खास्त

            सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने पर CRPF जवान मुनीर अहमद बर्खास्त
            सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने पर CRPF जवान मुनीर अहमद बर्खास्त

            अजय सिंह

            केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने 41वीं बटालियन के जवान सीटी/जीडी मुनीर अहमद को सुरक्षा मानकों के गंभीर उल्लंघन के चलते तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया है.अहमद पर एक पाकिस्तानी नागरिक से शादी करने और उसकी वीजा वैधता समाप्त होने के बाद भी उसे भारत में शरण देने का आरोप है, जिसकी जानकारी उन्होंने विभाग से छिपाई थी. मुनीर अहमद ने फोन पर वीडियो कॉल के जरिए निकाह किया था. सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने पर CRPF जवान मुनीर अहमद बर्खास्त

            सीआरपीएफ की ओर से की गई आंतरिक जांच में यह पाया गया कि मुनीर अहमद ने न सिर्फ अपनी शादी की जानकारी गोपनीय रखी, बल्कि अपनी पत्नी के भारत में अधिक समय तक रहने की सूचना भी नहीं दी.अधिकारियों का कहना है कि यह आचरण सेवा नियमों का उल्लंघन है और इससे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है. CRPF ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया और बिना देरी किए कार्रवाई करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया.सीआरपीएफ ने स्पष्ट किया कि बल में कार्यरत किसी भी कर्मी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह सेवा शर्तों का ईमानदारी से पालन करे, विशेषकर जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो। सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने पर CRPF जवान मुनीर अहमद बर्खास्त

            केसीसी के नाम पर चालबाज़ी..!

            केसीसी के नाम पर चालबाज़ी..!
            केसीसी के नाम पर चालबाज़ी..!
            डॉ.सत्यवान सौरभ
            डॉ.सत्यवान सौरभ

            निजी बैंक किसानों को केसीसी योजना के तहत ऋण देते समय बीमा और पॉलिसियों के नाम पर चुपचाप उनके खातों से पैसे काट लेते हैं। हाल ही में राजस्थान में एक्सिस बैंक की ऐसी ही करतूत उजागर हुई जब एक किसान ने वीडियो बनाकर सच्चाई सामने रखी। यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि पूरे बैंकिंग तंत्र में फैली एक भयावह प्रवृत्ति है। सरकार और आरबीआई की निष्क्रियता इसे और खतरनाक बनाती है। अब समय है कि किसान जागे, सवाल करे और अपना आर्थिक अधिकार माँगे।”केसीसी के नाम पर चालबाज़ी: निजी बैंकों की शिकारी पूँजी और किसानों की लूट।”

            भारत एक कृषि प्रधान देश है। यह वाक्य हम स्कूलों में पहली कक्षा से पढ़ते आ रहे हैं, पर सवाल यह है कि क्या वाकई भारत का दिल किसानों के साथ धड़कता है? क्या सरकारें, बैंकिंग संस्थाएं, और आर्थिक नीति निर्माता इस कृषि प्रधानता का सम्मान करते हैं? हाल ही में राजस्थान के एक वीडियो ने इस सवाल को फिर से जीवंत कर दिया, जहाँ एक पढ़ा-लिखा किसान एक्सिस बैंक की उस चाल को बेनक़ाब करता है, जो उसके जैसे लाखों भोले किसानों के साथ हो रही है—बिना बताये उनके किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाते से बीमा और पॉलिसियों के नाम पर पैसे काट लिए जाते हैं। यह घटना केवल एक राज्य की नहीं, बल्कि एक पूरे आर्थिक शोषण तंत्र का हिस्सा है।

            किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना को सरकार ने किसानों को सस्ती दर पर ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शुरू किया था ताकि वह अपनी खेती की लागत को बिना साहूकारों के जाल में फंसे, पूरा कर सके। इस योजना की आत्मा थी – आसान, पारदर्शी और भरोसेमंद वित्तीय सहायता। परन्तु जब यही योजना निजी बैंकों के हाथ में जाती है, तो वह इसे एक बेचने योग्य उत्पाद बना देते हैं। किसानों को केसीसी के नाम पर जबरन जीवन बीमा, दुर्घटना बीमा, और कभी-कभी तो मोबाइल सिम या अन्य सेवाएं भी थमा दी जाती हैं। इन सबकी कीमत सीधे उनके खाते से काट ली जाती है—बिना उनकी सहमति, बिना जानकारी।

            राजस्थान में एक किसान द्वारा रिकॉर्ड किया गया वीडियो इस पूरे तंत्र की परतें खोलता है। किसान एक्सिस बैंक से पूछता है कि उसके खाते से पैसे किस अधिकार से काटे गए? बैंक कर्मियों के पास कोई स्पष्ट उत्तर नहीं। वह पॉलिसी की बात करते हैं, मगर सहमति के कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाते। वीडियो में साफ झलकता है कि यह “नीति” नहीं, बल्कि नीचता है। किसान की भाषा, आत्मविश्वास और तथ्यात्मक तैयारी यह बताती है कि यदि किसान जागरूक हो जाए, तो यह तंत्र ज्यादा दिन नहीं टिकेगा।

            ऐसा नहीं है कि केवल एक्सिस बैंक इस तरह की गतिविधियों में लिप्त है। कई अन्य निजी बैंक – ICICI, HDFC, IDFC और यहाँ तक कि कुछ सहकारी बैंकों पर भी किसान संगठनों ने ऐसे आरोप लगाए हैं। किसानों के खातों से बीमा के नाम पर सालाना हज़ारों रुपये काट लिए जाते हैं। कई बार तो उन्हें यह भी नहीं पता होता कि उनके नाम पर कोई पॉलिसी चालू की गई है। जब वे शिकायत करने बैंक जाते हैं, तो उन्हें या तो चुप करा दिया जाता है, या कहा जाता है – “यह नियम है”, “यह सिस्टम से कटता है”, या “आपने फ़ॉर्म पर हस्ताक्षर किए थे”। यहाँ हस्ताक्षर का मतलब जबरन भरवाया गया फार्म होता है, जिसे किसान समझ ही नहीं पाता।

            यह सवाल बेहद जरूरी है कि सरकारें इस पर क्या कर रही हैं? क्या उनके पास इस बात की जानकारी नहीं है कि बैंकों द्वारा किसानों के साथ धोखाधड़ी की जा रही है? अगर है, तो क्या अब तक कोई कठोर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि हो या ऋण माफी योजनाएं, यह सब किसानों के नाम पर चलती हैं। पर जब उनके ही पैसे चुपचाप काटे जाते हैं, तब वही सरकारें मौन क्यों हो जाती हैं? क्या सरकार निजी बैंकों की इस ‘अनैतिक कमाई’ में मौन साझेदार बन चुकी है?

            हाल के वर्षों में किसानों ने कई बार इस विषय पर जनहित याचिकाएँ दायर की हैं। कुछ राज्यों की उच्च न्यायालयों ने इस पर ध्यान भी दिया है, पर कोई राष्ट्रीय स्तर पर एक ठोस नीति सामने नहीं आई। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कुछ दिशा-निर्देश ज़रूर जारी किए हैं, जैसे बीमा या कोई अन्य उत्पाद ग्राहक की स्पष्ट अनुमति से ही जोड़ा जाए, परंतु जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है।

            शहरों में रहने वाला पढ़ा-लिखा ग्राहक जब बैंक में जाता है, तो उसे बीमा, पॉलिसी और ट्रांजेक्शन से जुड़ी हर बात बताई जाती है। लेकिन वही बैंक जब गाँव में शाखा खोलता है, तो वहाँ नियमों की किताबें गायब हो जाती हैं। ग्रामीण ग्राहक को ‘कमज़ोर, अनपढ़ और भोला’ मानकर बैंकों का रवैया ‘लूट और डराने’ वाला हो जाता है। इसे ही हम आर्थिक असमानता कहते हैं—जहाँ सुविधा नहीं, सिर्फ़ ‘शोषण’ पहुँचता है।

            सरकार को चाहिए कि वह हर पंचायत स्तर पर डिजिटल और बैंकिंग साक्षरता शिविर आयोजित करे। किसान को यह समझाना जरूरी है कि वह क्या साइन कर रहा है और उसका क्या असर होगा। साथ ही RBI को एक ऐसा ऑनलाइन पोर्टल बनाना चाहिए जहाँ किसान अपने खाते से कटे हर रुपये का कारण जान सके, और बिना बैंक के पास जाए उसे शिकायत दर्ज कराने की सुविधा मिले। यदि किसी बैंक की कई शाखाओं से ऐसी शिकायतें आती हैं, तो उस बैंक पर किसान ऋण से जुड़ी सेवाओं पर रोक लगाई जाए। गाँव स्तर पर किसान जागरूकता समितियाँ बनें, जो बैंकिंग धोखाधड़ी की निगरानी करें और ज़रूरत पड़ने पर बैंक का बहिष्कार करें।

            आज भारत का किसान न केवल मौसम से, ज़मीन से, और बाजार से लड़ रहा है, बल्कि बैंकों के दोगलेपन से भी जूझ रहा है। वो बैंक, जो कभी उसकी आर्थिक रीढ़ बनने का वादा करते हैं, अब उसकी पीठ में छुरा घोंपने लगे हैं। ऐसे में यह ज़रूरी है कि हम सिर्फ़ वीडियो देखकर हैरान न हों, बल्कि उस किसान की चेतना को अपनाएँ, जो सवाल करता है, जवाब मांगता है और अपने अधिकार के लिए आवाज़ उठाता है।

            किसान को सिर्फ़ अनाज उगाने वाली मशीन न समझा जाए। वो भी एक सजग नागरिक है। जिस देश में उसके नाम पर बजट तैयार होता है, वहाँ उसकी जेब खाली करने वालों को माफ़ नहीं किया जा सकता। “संस्कारों ने झुकना सिखाया है, पर किसी की अकड़ के सामने नहीं”—इस वाक्य को केवल एक तस्वीर की सीमा में न रखें। यह किसानों के संघर्ष की असल कहानी है। अब समय आ गया है कि हर किसान, हर नागरिक, हर पत्रकार और हर नीति निर्माता यह समझे — अगर किसान की आवाज़ नहीं सुनी गई, तो कल खेत भी चुप हो जाएगा और थाली भी। केसीसी के नाम पर चालबाज़ी..!

            रोजगार का आधार और आर्थिक विकास का मूलमंत्र

            रोजगार का आधार और आर्थिक विकास का मूलमंत्र
            रोजगार का आधार और आर्थिक विकास का मूलमंत्र
            प्रो.महेश चंद गुप्ता

            स्वदेशी ज्ञान: रोजगार का आधार और आर्थिक विकास का मूलमंत्र। हमारे देश में हजारों सालों से परंपरागत स्वदेशी ज्ञान की अविरल धारा बहती आ रही है। हमारे पुरखों ने कृषि, औषधि, वास्तु, हस्तशिल्प, योग और पर्यावरण संतुलन जैसे विविध क्षेत्रों में अद्वितीय ज्ञान विकसित किया था, वह ज्ञान आज भी प्रासंगिक है। यदि मौजूदा संदर्भ में इन परंपराओं को पुनर्जीवित किया जाए तो इससे बेरोजगारी और आर्थिक संकट जैसी गंभीर समस्याओं का समाधान खोजा जा सकता है। स्वदेशी ज्ञान के जरिए हम आत्म निर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। भारत की परंपरागत तकनीकों में प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम और संतुलित उपयोग करने की गहरी समझ है। अतीत में यह ज्ञान न केवल हर व्यक्ति के लिए रोजगार के अवसर पैदा करता रहा है बल्कि सतत विकास को भी सुनिश्चित करता आया है। इस ज्ञान को हासिल करने के लिए किसी स्कूल, कॉलेज या प्रशिक्षण संस्थान में नहीं जाना पड़ता। यह ज्ञान अपने गांव में या गांव के आसपास ही सहज रूप से मिल जाता है। रोजगार का आधार और आर्थिक विकास का मूलमंत्र

            स्वदेशी ज्ञान का अर्थ सीमित नहीं है बल्कि यह व्यापक रूप लिए हुए है। इसमें पारंपरिक कौशल के साथ-साथ पुरखों के अनुभवों का निचोड़  शामिल है जो लोगों को छोटी उम्र से ही विभिन्न काम-धंधों में हुनरमंद बना देता है। हमारे समाज में बर्तन निर्माण, खेती, भवन निर्माण, सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, चित्रकारी, मूर्ति निर्माण, आभूषण निर्माण, खाना बनाना, खिलौने बनाना, अचार-मुरब्बे बनाना, पारंपरिक औषधियों का निर्माण, वास्तु कला, और हस्तशिल्प जैसे उद्योग-धंधे परंपरागत ज्ञान से ही विकसित हुए हैं। हम सदियों से इस ज्ञान के माध्यम से जल से ऊर्जा उत्पादन कर आ रहे हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन भी इसी ज्ञान पर आधारित रहा है। प्राचीन समय में इसी ज्ञान पर आधारित काम-धंधों के बूते पर हमारे देश की आर्थिक व्यवस्था अत्यंत सुदृढ़ थी। हमारा देश ‘सोने की चिडिय़ा’ कहलाता था। औपनिवेशिक शासकों और विदेशी आक्रांताओं ने न केवल हमारी धन सम्पदा को लूटा बल्कि हमारे कुटीर उद्योग भी खत्म कर दिए। आजादी के बाद स्वदेशी ज्ञान आधारित काम धंधों को पनपाने के लिए अपेक्षित काम नहीं किया गया, जिससे पारंपरिक काम धंधे खत्म हो रहे हैं। इसका परिणाम बढ़ती बेरोजगारी और  लोगों की घटती आमदनी के रूप में सामने आ रहा है।

            एक ओर जहां आजादी के बाद हमने अपनी ज्ञान परंपराओं को बिसरा दिया, वहीं चीन ने अपने यहां की ऐसी ही परंपराओं के बल पर पांव पसारे और दुनिया की दूसरी बड़ी आर्थिक ताकत बन गया है। चीन ने जहां बढ़ती आबादी पर रोक लगाई, वहीं अपने लोगों को पारंपरिक ज्ञान के आधार पर काम धंधों में जुटने के लिए प्रेरित किया। 1980 में चीन ने अपने बाजार दुनिया के लिए खोल कर आर्थिक सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। उस समय चीन की प्रति व्यक्ति आय 307 डॉलर और भारत की प्रति व्यक्ति 580 डॉलर थी। इसके विपरीत, भारत में अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि हुई और स्वदेशी ज्ञान की उपेक्षा की गई। इसका परिणाम यह हुआ कि बेरोजगारी बढ़ी, संसाधन कम पड़ गए और प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आई। 2024 के आंकड़ों के अनुसार चीन की प्रति व्यक्ति आय लगभग 12,500 अमेरिकी डॉलर है जबकि भारत की प्रति व्यक्ति आय करीब 2500 अमेरिकी डॉलर  ही है। यह अंतर दर्शाता है कि भारत को परंपरागत ज्ञान को पुनर्जीवित करने की कितनी आवश्यकता है।   रोजगार का आधार और आर्थिक विकास का मूलमंत्र

            अगर हम इन परंपराओं को अपनाए रखते तो उनमें छिपा अनुभवों का खजाना हमारी नई पीढिय़ों तक पहुंचता रहता लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया। इन परंपराओं को अपना कर जहां हम समाज में स्थिरता बनाए रख सकते हैं वहीं इसकी बदौलत आर्थिक विकास को भी पंख लग सकते हैं। समय की मांग है कि हम अपने स्वदेशी ज्ञान और आर्थिक विकास के अन्तर्सम्बंधों पर दृष्टिपात करें। हमारा ये ज्ञान सदियों से आजमाया हुआ समाज की सामूहिक सहभागिता पर आधारित ऐसा सिस्टम है, जो आज भी स्थानीय जरूरतों पर खरा है। यह सिस्टम न केवल संबंधित भौगोलिक क्षेत्र और समुदाय की जरूरतों के अनुकूल होता है बल्कि इसका स्वरूप स्थानीय पर्यावरण एवं उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप भी तय होता है। सतत विकास के लिए बनाए इस सिस्टम में हमेशा से प्राकृतिक संसाधनों के संतुलित उपयोग को प्राथमिकता दी जाती रही है।

            हमने अपने को आधुनिक बनाने की होड़ में अपनी हर चीज को रूढि़वादी बताकर तज दिया है. इसमें हमारा ये ज्ञान भी है। अब वक्त है हमें अपनी गलती सुधार लेनी चाहिए। यह ज्ञान पुराना हो सकता है मगर अनुपयोगी नहीं। अगर उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार के लिए कहीं जरूरत लगती है तो हमें पारंपरिक ज्ञान में नूतन तकनीकी ज्ञान को मिला लेना चाहिए। इससे हमारी आय और उत्पादन  वृद्धि होगी। सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के मार्ग खुल जाएंगे। हमारा जीवन स्तर ऊंचा उठेगा। पर्यावरण पर से दबाव घटेगा। अगर हम पहले की तरह पारंपरिक बीजों, गोबर खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करेंगे तो हमारी खेती फिर से लाभकारी हो जाएगी क्योंकि खेती पर लागत घटेगी और किसानों के लाभ में बढ़ोतरी होगी। इसके साथ-साथ ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे हमारी युवा पीढ़ी इस ज्ञान को अंगीकार करे। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में इस विषय को पढ़ाया जा सकता है। हस्तशिल्प और कृषि आधारित स्टार्टअप्स को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

            औद्योगिकीकरण के चलते गांवों से शहरों की ओर पलायन बढऩे से समस्याएं बढ़ रही हैं। ऐसे में जरूरत लोगों को उनके गांव में ही काम देने की है। उदाहरण के रूप में साइकिल के कारखाने लुधियाना में हैं तो वे लुधियाना में ही सबको काम दे रहे हैं। अगर ऐसे सभी उद्योग अपनी जरूरत के पार्ट्स बनाने के लिए गांवों में छोटी-छोटी इकाइयां स्थापित कर दें तो लोगों को गांवों में ही काम मिलेगा, वे खुशहाल होंगे। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में ही पारंपरिक ज्ञान और तकनीकी विकास के आधार पर लघु एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए तो ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को सशक्त किया जा सकता है। इससे पलायन रुकेगा और शहरों पर दबाव कम होगा।

            यह ज्ञान जहां लोगों को व्यक्तिगत रूप से लाभान्वित करेगा, वहीं पीएम नरेंद्र मोदी का 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना साकार करने में मदद मिलेगी। यह सराहनीय है कि मोदी के नेतृत्व में सरकार ने भारतीय ज्ञान परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए कई पहलें की हैं। इनमें आयुर्वेद, योग, और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देना शामिल है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पारंपरिक ज्ञान को शिक्षा प्रणाली में शामिल करने की योजना बनाई गई है। हाल ही में ‘ज्ञान भारतम मिशन’ की शुरुआत की गई है जिसके अंतर्गत एक करोड़ प्राचीन पांडुलिपियों का संरक्षण किया जाएगा। कभी हमारा देश हथियारों के आयात पर निर्भर था, पर अब हमने अपने ज्ञान का इस्तेमाल कर भारत ने अनेक स्वदेशी मिसाइलें और अन्य स्वदेशी हथियार बनाए हैं। भारत ने चन्द्रयान और मंगल यान मिशन के जरिए अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी क्षमता सिद्ध की है।

            हमारा यह ज्ञान अपने में विपुल संभावनाएं समेटे हुए है। इससे जैविक खेती, पारंपरिक बीजों का उपयोग, और पंचगव्य जैसे स्वदेशी कृषि उत्पादों को बढ़ावा देकर लाखों लोगों को रोजगार दिया जा सकता है। खादी, मिट्टी के बर्तन, पारंपरिक कपड़े और हथकरघा एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना संभव है। हमारी स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों से जहां स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान संभव है, वहीं इससे चिकित्सकों और औषधि निर्माताओं के जरिए भी लोगों को रोजगार मिल सकता है। स्वदेशी कला, संगीत, नृत्य और परंपरागत आयोजनों को बढ़ावा देकर पर्यटन क्षेत्र में रोजगार बढ़ाया जा सकता है। अगर हम आयातित वस्तुओं पर निर्भरता कम कर स्थानीय रूप से उत्पादन बढ़ाते हैं तो इससे स्वरोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा। हस्तशिल्प और कृषि आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने से न केवल स्थानीय कारीगरों को आर्थिक सहायता मिलेगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती मिलेगी। ऐसे स्टार्टअप्स को प्राथमिकता के आधार पर वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

            विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम किए बिना हमारी अर्थव्यवस्था तेज गति नहीं पकड़ सकती। स्वदेशी ब्रांडों को बढ़ावा देकर ही इसे बदला जा सकता है। पतंजलि इसका सशक्त उदाहरण है। इस कंपनी ने पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक उत्पादन और मार्केटिंग रणनीतियों से जोड़ा, जिससे यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूती से स्थापित हुई। पतंजलि ने दिखाया कि भारतीय उद्यमी यदि अपनी जड़ों से जुडक़र नवाचार करें तो वे वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। यदि हम पारंपरिक ज्ञान को परिष्कृत कर सही रूप में अपनाएं तो इससे आय और उत्पादन में वृद्धि होगी। साथ ही, सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में सुधार होगा। कृषि, औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में व्यापक बदलाव आएंगे, पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा और भविष्य की पीढिय़ों को एक समृद्ध भारत मिलेगा। अब समय आ गया है कि हम अपने समृद्ध स्वदेशी ज्ञान और आर्थिक विकास के बीच संबंध को पहचानें और इसे पुनर्जीवित करने के लिए ठोस कदम उठाएं। रोजगार का आधार और आर्थिक विकास का मूलमंत्र

            —– (लेखक-प्रख्यात शिक्षा विद्, वक्ता एवं चिंतक हैं। वह दिल्ली यूनिवर्सिटी फाउंडेशन के कोऑर्डिनेटर हैं।)

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