जेलों की सुरक्षा ध्वस्त..!

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जेल अधीक्षक पर मेहरबान शासन..!
जेल अधीक्षक पर मेहरबान शासन..!

जेलों की ध्वस्त सुरक्षा के लिए मंत्री, प्रमुख सचिव, एआईजी जिम्मेदार..! एआईजी प्रशासन के मोटी रकम लेकर लगाई गई विशेष ड्यूटी से व्यवस्थाएं हुई अस्त व्यस्त। पूर्व मंत्री पर हुए जानलेवा हमले ने जेल सुरक्षा दावों की खुली पोल। पूर्व में बिजनौर, हमीरपुर जेल में हुई घटनाओं से नहीं लिया सबक।

राकेश यादव निडर

लखनऊ। प्रदेश की जेलों में बंदियों को सुरक्षा को लेकर शासन और कारागार मुख्यालय के दावे भले ही कुछ हो लेकिन हकीकत ठीक इनके विपरीत ही है। राजधानी की जिला जेल में पूर्व मंत्री पर हुए जानलेवा हमले ने जेल सुरक्षा के दावों की पोल खोलकर रख दी है। जेलों में घटनाएं होने के बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने की वजह से अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। जेलों में हो रही घटनाओं के लिए शासन और कारागार मुख्यालय में बैठे आला अफसर सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। शासन में बैठे अफसरों की खाऊ कमाऊ व्यवस्था की वजह से जेलों में घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रदेश की जेलों में हमला और हत्या की यह पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व में अपराधी जेलों में दर्जनों घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं।

राजधानी की जिला जेल में बंद पूर्व मंत्री और सपा के वरिष्ठ नेता गायत्री प्रजापति पर मंगलवार को जेल परिसर के अस्पताल में जानलेवा हमला हो गया। इस घटना ने पुराने जख्मों को ताजा कर दिया। शासन और जेल प्रशासन भले ही सुरक्षा को लेकर तमाम तरह के दावे कर रहा हो, लेकिन हकीकत ठीक इसके विपरीत है। प्रदेश की जेलों में बंद माफियाओं से लेकर कई बंदियों की हत्या और कई पर जानलेवा हमला किया जा चुका है। अभी कुछ दिनों पहले ही हमीरपुर जेल में एक बंदी की पीट पीट कर हत्या कर दी गई। यही नहीं बिजनौर जेल में दो बंदियों की भिड़ंत में एक की मौत हो गई।

शासन और मुख्यालय में बैठे आला अफसरों ने दो बंदियों के बीच हुई मारपीट की घटना को बंदी की हार्ट अटैक से हुई मौत बताकर पल्ला झाड़ लिया। इस मामले में किसी भी अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही ही नहीं की गई। कार्यवाही नहीं होने की वजह से अधिकारी बेलगाम होकर सुरक्षा को चाक चौबंद करने के बजाए कमाई करने में जुटे हुए हैं।

सूत्रों का कहना है वर्ष 2023 में इसी जेल में एक वार्डर के सुविधा शुल्क मांगने पर एक अधिकारी के इशारे पर बंदियों ने वार्डर ईंट पत्थरों से हमला बोल दिया। गंभीर रूप से घायल हुए वार्डर की कुछ दिनों बाद ही उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इससे पूर्व वर्ष 2011 में सीएमओ हत्याकांड के आरोपी वाई एस सचान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इस घटना से पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया था। सपा के नेता एवं प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर हुआ जानलेवा हमला कोई नई बात नहीं है यूपी के जेलों में कई बार खून-खराबे की दर्जनों घटनाएं हो चुकी हैं।

लखनऊ जेल में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर एक विश्वास नाम के बंदी ने जानलेवा हमला कर एक बार फिर जेल की सुरक्षा के दावों की पोल खोल दी। इस हमले ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए है। उधर इस संबंध में जब कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान और प्रमुख सचिव कारागार अनिल गर्ग से बात करने का प्रयास किया गया तो दोनों का ही फोन नहीं उठा।

पूर्व में प्रदेश को जेलों में हुई सनसनीखेज घटनाएं

वर्ष 2005- माफिया मुन्ना बजरंगी के शार्प शूटर अनुराग त्रिपाठी उर्फ अन्नू त्रिपाठी की जिला जेल वाराणसी में गोली मारकर हत्या।

वर्ष 2008- गाजियाबाद की डासना जेल में कविता हत्याकांड के आरोपी रवीन्द्र प्रधान की संदिग्ध हालात में मौत।

वर्ष 2009- गाजियाबाद की डासना जेल में ही बस विस्फोट कांड के आरोपित शकील अहमद की कथित हत्या।

वर्ष 2011- लखनऊ जिला जेल में सीएमओ हत्याकांड के आरोपित वाई एस सचान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत।

वर्ष 2012- मेरठ जिला जेल में तलाशी के दौरान विवाद, फायरिंग में दो बंदियों मेहरा दीन और सोमवीर की मौत।

वर्ष 2012- जिला जेल कानपुर देहात में विवाद के दौरान बंदी रामशरण सिंह भदौरिया की मौत।

वर्ष 2014- गाजीपुर जिला जेल में जिला प्रशासन और बंदियों के संघर्ष में बंदी विश्वनाथ प्रजापति की मौत।

वर्ष 2015- मथुरा जिला जेल में दो गुटों के बीच फायरिंग में पिंटू उर्फ अक्षय सोलंकी और राजेश टोटा की गोली लगने से मौत।

वर्ष 2016- सहारनपुर जिला जेल में सुक्खा नामक कैदी की गला रेत कर हत्या।

वर्ष 2018- बागपत जिला जेल में बंद माफिया मुन्ना बजरंगी की जेल के अंदर गोली मारकर हत्या।

उरई जिला जेल में प्रिंस अग्रवाल की मौत, घरवालों ने लगाया हत्या का आरोप।