जब पेट का हिस्सा डायाफ्राम (diaphragm) के ज़रिये हमारी छाती के गुहा तक पहुंच जाता है, इसे हाइटल हर्निया (Hiatal hernia) कहते हैं। डायाफ्राम मांपेशियों की ऐसी शीट होती है जो हमारी छाती को पेट से अलग रखती है।हाइटल हर्निया 50 या उससे ज़्यादा उम्र वाले लोगों में बहुत आम है। हाइटल हर्निया का सटीक कारण अभी पता नहीं चल पाया है लेकिन शोधकर्ताओं के अनुसार कमज़ोर उत्तक मुख्य कारण हो सकता है। एक छोटे हाइटल हर्निया के बहुत कम लक्षण दिखते हैं, लेकिन एक बड़ा हाइटल हर्निया कई लक्षणों का कारण बन सकता है जैसे सीने में जलन, सीने में दर्द, निगलने में दिक्कत, पेट के निचले हिस्से में दर्द, थकान, जल्दी जल्दी डकार आना और खाना खाने के बाद पेट बहुत ज़्यादा भरा हुआ महसूस होना। हर्निया का घरेलू उपाय
हर्निया के कई प्रकारों में से तीन सबसे सामान्य प्रकार हैं—–
♦️इनगुइनल हर्निया।
हर्निया (आँत उतरना) का सबसे आसान घरेलू उपाय
आम तौर पर हर्निया होने का कारण पेट की दीवार का कमजोर होना है |पेट और जांघों के बीच वाले हिस्से मे जहां पेट की दीवार कमजोर पड़ जाती है वहाँ आंत का एक गुच्छा उसमे छेद बना कर बाहर निकल आता है | उस स्थान पर दर्द होने लगता है | इसी को आंत्र उतरना,आंत्रवृद्धि या हर्निया कहते हैं|
एबडॉमिनल वॉल के कमजोर भाग के अंदर का कोई भाग जब बाहर की ओर निकल आता है तो इसे हर्निया कहते हैं। हर्निया में जांघ के विशेष हिस्से की मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण पेट के हिस्से बाहर निकल आते हैं। हर्निया की समस्या जन्मजात भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में इसे कॉनजेनाइटल हर्निया कहते हैं। हर्निया एक वक्त के बाद किसी को भी हो सकता है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि हर्निया का एकमात्र इलाज सर्जरी है जिसकी वजह से वे डॉक्टर के पास जाने से डरते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है हर्निया बिना सर्जरी के भी ठीक हो सकता है।
जब किसी व्यक्ति की आंत अपने जगह से उतर जाती है तो उस व्यक्ति के अण्डकोष की सन्धि में गांठे जैसी सूजन पैदा हो जाती है जिसे यदि दबाकर देखा जाए तो उसमें से कों-कों शब्द की आवाज सुनाई देती हैं। आंत उतरने का रोग अण्डकोष के एक तरफ पेड़ू और जांघ के जोड़ में अथवा दोनों तरफ हो सकता है। जब कभी यह रोग व्यक्ति के अण्डकोषों के दोनों तरफ होता है तो उस रोग को हार्निया रोग के नाम से जाना जाता है। वैसे इस रोग की पहचान अण्डकोष का फूल जाना, पेड़ू में भारीपन महसूस होना, पेड़ू का स्थान फूल जाना आदि। जब कभी किसी व्यक्ति की आंत उतर जाती है तो रोगी व्यक्ति को पेड़ू के आस-पास दर्द होता है, बेचैनी सी होती है तथा कभी-कभी दर्द बहुत तेज होता है और इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। कभी-कभी तो रोगी को दर्द भी नहीं होता है तथा वह धीरे से अपनी आंत को दुबारा चढ़ा लेता है। आंत उतरने की बीमारी कभी-कभी धीरे-धीरे बढ़ती है तथा कभी अचानक रोगी को परेशान कर देती है।
जिस हर्निया में आंत उलझ कर गाँठ लग गयी हो और मरीज को काफी तकलीफ हो रही हो, ऐसे बिगड़े केस में तत्काल ऑपरेशन जरुरी है. बाकी सभी मामलों में हार्निया बिना आपरेशन के ही ठीक हो सकता है।
हर्निया की प्रारम्भिक स्थिति मे पेट की दीवार मे कुछ उभार सा प्रतीत होता है| इस आगे बढ़ी हुई आंत को पीछे भी धकेला जा सकता है लेकिन ज्यादा ज़ोर लगाना उचित नहीं है|
अगर आगे बढ़ी आंत को आराम से पीछे धकेलकर अपने स्थान पर पहुंचा दिया जाए तो उसे उसी स्थिति मे रखने के लिए कस कर बांध देना चाहिए| यह तरीका असफल हो जाये तो फिर आपरेशन की सलाह देना उचित है|
पेट की तोंद ज्यादा निकली हुई हो तो उसे भी घटाने के उपचार जरूरी होते हैं|
हर्निया के प्राकृतिक उपचार
1 अरंडी का तेल दूध मे मिलाकर पीने से हर्निया ठीक हो जाता है |इसे एक माह तक करें|
2 काफी पीने से भी बढ़ी हुई आंत के रोग मे फायदा होता है|
3 हार्निया या आंत उतरने का मूल कारण पुराना कब्ज है। कब्ज के कारण बडी आंत मल भार से अपने स्थान से खिसककर नीचे लटकने लगती है। मल से भरी नीचे लटकी आंत गांठ की तरह लगती है। इसी को हार्निया या आंत उतरना कहते हैं।
4 गुनगुना पानी पीकर 5 मिनिट तक कौआ चाल (योग क्रिय पांच या अधिक से अधिक दस बार तक सूर्य नमस्कार और साथ ही 200 से 500 बार तक कपाल-भांति करने से फूली हुई आंत वापस अपने स्थान पर चली जाती है… हर्निया का घरेलू उपाय