मैथिलीशरण गुप्त
तप्त हृदय को , सरस स्नेह से, जो सहला दे , मित्र वही है।
रूखे मन को , सराबोर कर, जो नहला दे , मित्र वही है।
प्रिय वियोग ,संतप्त चित्त को , जो बहला दे , मित्र वही है।
अश्रु बूँद की , एक झलक से , जो दहला दे , मित्र वही है।
Popular Posts
Breaking News
21 दिसंबर को लखनऊ में भव्य ध्यान दिवस का आयोजन
भारतीय आदर्श योग संस्थान के नेतृत्व में 21 दिसंबर को लखनऊ में भव्य योग ध्यान दिवस का आयोजन, बड़ी संख्या में जुटेंगे योग प्रेमी।...
कथावाचक के गॉड ऑफ ऑनर पर बवाल
उत्तर प्रदेश के बहराइच से सामने आई एक तस्वीर और एक वीडियो ने पूरा प्रदेश हिला कर रख दिया है। मामला है प्रसिद्ध...
जेल अफसरों का गजब कारनामा..!
लखनऊ जेल अफसरों का अजब गजब कारनामा। गलत रिहाई की घटना छिपा गए लखनऊ जेल अफसर! पहले गलत रिहाई, फिर गलत तरीके से...
लाइसेंस शुल्क लगाने की तैयारियों से राजधानी के व्यापारियों में आक्रोश
लाइसेंस शुल्क लगाने की तैयारियों से राजधानी के व्यापारियों में आक्रोश। इंस्पेक्टर राज की पुनः वापसी स्वीकार नहीं करेगा आदर्श व्यापार मंडल। शुक्रवार को...
मथुरा एक्सप्रेस-वे बना मौत का रास्ता!
मथुरा से इस वक्त एक ऐसी दर्दनाक खबर, जिसने पूरे उत्तर प्रदेश को हिला कर रख दिया है। यमुना एक्सप्रेस-वे पर मंगलवार सुबह हुए...
























