तकनीक में अग्रणी UP फिर भी गड्ढा मुक्त न हुई सड़कें
तकनीक के प्रयोग में अग्रणी उत्तर प्रदेश फिर भी गड्ढा मुक्त न हुई सड़कें।राजधानी,जनपथ, नगर,नगर पंचायत क्षेत्रों को गड्ढों से निजात मिलने की उम्मीद ना के बराबर है।निर्माण कार्यों की गुणवत्ता एवं समयावधि का विशेष ध्यान रखने के मंत्री ने दिए निर्देश।उत्तर प्रदेश में मंत्री बदल गए न बदली तो उत्तर प्रदेश की सड़कों दशा।
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश का PWD के अफसरों के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं। आलम यह है कि नगर में नगर पंचायत क्षेत्र में गड्ढा मुक्त अभियान पूर्ण होता नज़र नहीं आ रहा है। नगर में सड़क में हुए गड्ढों से लोगों को दिक्कत हो रही है। नगर में प्रमुख सड़कों समेत बाजार व नगर की गलियों की सड़कों का हाल बेहाल है। सात अक्टूबर को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़कों को 15 नवंबर को गड्ढा मुक्त करने के निर्देश दिए थे। राजधानी,जनपथ, नगर,नगर पंचायत क्षेत्रों को गड्ढों से निजात मिलने की उम्मीद ना के बराबर है।
PWD मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि नई तकनीक के प्रयोग में उ0प्र0 अग्रणी रहा है। विभाग द्वारा कराये जा रहे कार्यों को ससमय, गुणवत्तायुक्त एवं पारदर्शी बनाये जाने के उद्देश्य से लोक निर्माण विभाग द्वारा सूचना एवं प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में विभिन्न ऑनलाइन पोर्टल विकसित किये गये हैं। विभाग द्वारा निविदाओं के तकनीकी मूल्यांकन हेतु प्रहरी पोर्टल, शासन से धन की माँग तथा धन के आवंटन हेतु विश्वकर्मा पोर्टल, ग्रामीण मार्गों के आगणन गठन से लेकर स्वीकृति तक की प्रक्रिया एस्टिमेटर सॉफ़्टवेयर के माध्यम से की जा रही है। उ0प्र0 के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि विभाग द्वारा कराये जा रहे निर्माण कार्यों में नई तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। निर्माण कार्यों में समयावधि के साथ गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। श्री प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के तहत विभाग द्वारा स्टेट लेवल कमेटी एवं क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा गुणवत्ता नियंत्रण हेतु नियमित रूप से निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण व टेस्टिंग का कार्य किया जा रहा है।
जितिन प्रसाद ने बताया कि उपलब्ध बजट के अनुसार मार्गों के चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण की प्राथमिकता, क्षतिग्रस्त मर्गों के नवीनीकरण तथा विशेष मरम्मत एवं नदियों पर सेतुओं की स्वीकृति की प्राथमिकता तय करने हेतु श्रृष्टि 2.0 पोर्टल का विकास कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नस नीति के सफल क्रियान्वयन हेतु टेलीकॉम कंपनियों के नेटवर्क विस्तारीकरण तथा अन्य भूमिगत सर्विस यथा सीवर लाइन, वाटर सप्लाई पाइपलाइन आदि की स्थापना हेतु रोड कटिंग की एनओसी ऑनलाइन रोड कटिंग पोर्टल से दिया जा रहा है।
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उत्तर प्रदेश का पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद अप्रैल, 2017 में योगी आदित्यनाथ ने दूसरी ही कैबिनेट बैठक में सड़कों को 45 दिनों में गड्ढामुक्त करने का निर्देश दिया था,जो पूरा नहीं हो सका था। जिसका नतीजा यह हुआ कि पीडब्ल्यूडी मंत्री उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को हार का सामना करना पड़ा। अब दूसरे कार्यकाल में फिर योगी ने 15 नवंबर तक गड्ढों को भरने का निर्देश दिया है। सर्वे में विभाग ने की सड़कें गड्ढे मुक्त नहीं हो पाई हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब भी एक लाख किलोमीटर से अधिक लंबाई की सड़कों में गड्ढे हैं।
लोक निर्माण विभाग के मुताबिक, ‘सड़कों की मरम्मत के मद में विभाग द्वारा करीब 4,500 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सड़कों को बेहतर रखने की प्रमुख जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई की है। प्रमुख सचिव को इन दोनों से मिली रिपोर्ट के अनुसार, पीडब्ल्यूडी की कुल 2.76 लाख किलोमीटर लंबी सड़क में से 65 हजार किलोमीटर सड़क में गड्ढे हैं। वहीं 22 हजार किलोमीटर सड़क बिना नवीनीकरण के चलने लायक नहीं है।
पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले नवंबर में योगी सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से 340 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का लोकार्पण कराया था। इसे 22 हजार करोड़ से तैयार किया गया है। मजबूती और अच्छे निर्माण को दिखाने के खयाल से तब इस पर फाइटर प्लेन उतारा गया था। लेकिन एक साल भी नहीं बीता कि इस एक्सप्रेसवे पर माइल स्टोन 83 के पास बीते 6 अक्तूबर को बारिश के बाद सड़क पर करीब 15 फीट लंबा गड्ढा हो गया था। आनन-फानन सड़क को दुरुस्त कराकर ट्रैफिक को चालू तो करा दिया गया लेकिन इसी जगह एक सप्ताह बाद कंटेनर से हुई टक्कर में बीएमडब्ल्यू कार में सवार उत्तराखंड के 4 युवकों की मौत हो गई। कहा गया कि ऐसा चेतावनी बोर्ड न लगे होने और सड़क की जर्जर स्थिति के कारण हुआ।
यह सब तब है जबकि मुख्यमंत्री से लेकर विभागीय मंत्री तक जिलों के अधिकारियों के साथ लगातार सर्वे कर रहे हैं। लेकिन अधिकारी कैसे गुमराह कर रहे, इसकी मिसाल हाल ही में मिली। अभी 19 अक्तूबर को पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद लखनऊ के नेशनल कॉलेज के सामने बनी राणा प्रताप मार्ग की सड़क को देखने पहुंचे। इसे एक सप्ताह पहले ही बनाया गया था और सिर्फ फिनिशिंग टच देना बाकी था। यहां इंजीनियरों ने जो जगह दिखाई, मंत्री ने उसकी जगह दूसरे स्थान पर सड़क की खुदाई करा दी। मंत्री की जांच में दो करोड़ रुपये से तैयार सड़क की गुणवत्ता काफी खराब मिली।
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