श्याम लाल पाल की बेटी की शादी में शामिल होने पहुंचे अखिलेश

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राजेन्द्र चौधरी

पौराणिक महत्व के स्थल प्रयागराज (इलाहाबाद) में विभिन्न कार्यक्रमों के सिलसिले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यों तो अक्सर वहां जाते रहे हैं लेकिन विगत 20 अप्रैल 2025 को उनकी यात्रा में ऐतिहासिक खोज और पर्यटन का भी संयोग बन गया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरनमय नंदा एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी भी उनके साथ मौजूद रहे।

अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल की बेटी की शादी में शामिल होने प्रयागराज गए थे। जहां हर तरफ उनके स्वागत में भीड़ ही भीड़ नजर आई। प्रयागराज में के बीच दो दर्जन से ज्यादा रास्तों पर लोग घंटों से फूल माला और पार्टी के झंडे लिए उनके स्वागत को खड़े मिले। इनमें छात्र, नौजवान, बुजुर्ग, महिलाएं सभी शामिल थे। उनके स्वागत में जोरदार नारेबाजी के साथ उनसे मिलने की अधीरता बराबर छलक रही थी। सबको उम्मीद है कि 2027 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर ही उनको उनका हक और सम्मान मिलेगा।

अखिलेश यादव ने पहले वर-वधू को आशीर्वाद दिया। यहां दो दर्जन से ज्यादा विधायक तथा पार्टी पदाधिकारी मौजूद रहे। इनमें विधानसभा में नेता विरोधी दल श्री माता प्रसाद पाण्डेय, समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद श्री नरेश उत्तम पटेल आदि प्रमुख नेता मौजूद रहे। श्री अखिलेश यादव ने इस कार्यक्रम से पूर्व पत्रकार वार्ता को भी सम्बोधित किया।

प्रयागराज वस्तुतः एक पौराणिक नगरी है जो गंगा, यमुना, सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है। यहां हर 12 वर्ष में कुंभ, छह वर्ष में अर्द्धकुंभ और हर वर्ष माघ मेला होता है। कहते हैं कि प्रयागराज में ब्रह्माजी ने यज्ञ किया था और आदि शंकराचार्य ने तपस्या की थी। प्रयागराज में एक मजबूत किला बनाने की मुगल सम्राट अकबर के मन में बहुत इच्छा थी। अकबर ने 1583 में संगम तट पर इसका निर्माण कराया। इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक की मान्यता मिली है। इसमें तीन गैलरी है जिनके दोनों ओर ऊंची मीनारे है।

इतिहासकार विलियम फिंच के अनुसार किले को बनाने में 40 साल लगे थे और 5 से 20 हजार से श्रमिकों ने काम किया था। इसके निर्माण में कुल लागत 6 करोड़ 17 लाख 20 हजार 214 रूपये आई थी। सन् 1798 में यह किला ईस्ट इंडिया कम्पनी को अवध के नवाब सआदत अली ने सौंप दिया। वर्तमान में इस किले के कुछ भाग को ही पर्यटकों के लिए खोला जाता है। बाकी हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है। सैलानियों को जोधाबाई महल, अशोक स्तंभ और सरस्वती कूप देखने की इजाजत है।

नेताजी श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने रक्षा मंत्री कार्यकाल में यहां दर्शन की सुचारू व्यवस्था कराई थी। अकबर के किले में महारानी जोधाबाई का शयन कक्ष लंबी सुरंग के बाद है। वह नाव से संगम से किला तक पहुंचती थी। श्री यादव ने सुरंग में खुद जाकर देखा। किले में एक जनानी महल है, जिसे जहांगीर महल भी कहते हैं।

अकबर के किले में प्रसिद्ध अक्षयवट भी शामिल है। अखिलेश यादव बार-बार यह मांग करते रहे हैं कि केन्द्र सरकार को अकबर का किला उत्तर प्रदेश सरकार को स्थानांतरित करना चाहिए। अक्षयवट को मनोकामना पूर्ण करने वाला ‘मनोरथ वृक्ष‘ भी कहा जाता है। कहा जाता है कि वाल्मीकि रामायण में भी अक्षयवट का उल्लेख है। ब्रह्माजी ने यहां यज्ञ किया था। भगवान विष्णु यजमान और भगवान शिव देवता बने थे। इन तीन देवों के शक्तिपुंज से उत्पन्न वृक्ष ही अक्षयवट है। इस वट वृक्ष की उम्र 5270 वर्ष बताई जाती है। ऋषि मार्कंडेय ने इस वट वृक्ष के नीचे तपस्या की थी। जैन समाज मानता है कि उनके तीर्थंकर ऋषभ देव ने अक्षयवट के नीचे तपस्या की थी। मान्यता है कि ऋषि शुकदेव, ऋषि भारद्वाज, ऋषि जमदग्नि, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि गौतम, ऋषि व्यास, ऋषि कपिल भी वटवृक्ष से जुड़े रहे हैं।

कहा जाता है कि अक्षय वट के नीचे बैठकर ऋषि शुकदेव ने अर्जुन के पोते परीक्षित को श्रीमदभगवत पुराण सुनाया था। इसके अलावा, एक मान्यता यह भी है कि बाल रूप में भगवान श्रीकृष्ण इसी वट वृक्ष पर विराजमान हुए थे। तब से श्रीहरि इसके पत्ते पर शयन करते हैं। पद्म पुराण में अक्षयवट को तीर्थराज प्रयाग का ‘छत्र‘ कहा गया है।प्रयागराज की यात्रा अक्षयवट के अलावा सरस्वती कूप के दर्शन के बिना पूर्ण नहीं मानी जाती है। माना जाता है कि सरस्वती कूप प्राचीन काल में सरस्वती नदी का उद्गम स्थल था। यह सरस्वती नदी के गुप्त संगम के पास स्थित है। यह ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल के रूप में विख्यात है।

अखिलेश यादव ने सरस्वती कूप और अक्षयवट दोनों की पूजा की। सूबेदार मेजर श्री आरएन पाण्डेय ने पुजारी के रूप में पूजा कराई। श्री अखिलेश यादव ने प्रयागराज के धार्मिक स्थलों में गहरी रुचि दिखाई है। वह लेटे हुए हनुमान जी के भी दर्शन कर चुके है। यहां साधु संतो तथा आश्रमों के भी संपर्क में रहे हैं। भारत की आध्यात्मिक परम्परा एवं मान्यताओं के प्रति श्री अखिलेश यादव की गहरी आस्था एवं श्रद्धा है।