भाजपा से सवाल हो गई FIR-संजय सिंह

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लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए आप सांसद ने कहा, मुख्यमंत्री चाहें तो मेरे खिलाफ हजारों मुकदमे करवा सकते हैं, लेकिन मैं उनसे डरने वाला नहीं हूं। दिल्ली में मुकदमा दर्ज कराने से स्पष्ट है कि सरकार व भाजपा के पास लखनऊ में मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की हिम्मत नहीं है। लखनऊ में मुकदमा दर्ज होने से उनके दलित विरोधी कृत्यों से पर्दा उठने का डर भी उन्हें सता रहा है।

आप सांसद संजय सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस मैने भाजपा से कुछ सवाल पूछा था उससे बौखला कर योगी जी ने मुझ पर एफआईआर करवा दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कायरता दिखाई है,मैं लखनऊ में हूँ आप 1000 मुकदमे कर दीजिये मैं सवाल पूछता रहूंगा कि भूमिपूजन में राष्ट्रपति को क्यो नही बुलाया गया।

रामनाथ कोविंद जब राष्ट्रपति बने तब भाजपा ने पूरे देश मे ढिंढोरा पीटा की हमने दलित को राष्ट्रपति बनाया पर उनको भूमिपूजन में ना बुलाकर भाजपा ने दलितों का अपमान किया।मुख्यमंत्री योगी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यपाल आनंदी बेन आ सकती है पर राष्ट्रपति को शामिल क्यों नही किया गया मेरे ये सवाल हमेशा रहेंगे।मुख्यमंत्री जी कायरता का परिचय मत दीजिये मैं लखनऊ में हूँ मेरी एफआईआर यहां दर्ज कीजिये पर मैं तब भी सवाल पूछता रहूंगा।

दलितों को भाजपा ने और मुख्यमंत्री ने अछूत समझ कर भूमि पूजन में नही बुलाया,सबसे पहला प्रसाद दलित को देना ये तो सबसे बड़ा अपराध है।दलित के घर प्रसाद भेजने का ड्रामा इस लिए किया गया क्योंकि ये समझ गए थे कि इनसे गलती हो गयी।

केशव प्रसाद की एक तस्वीर भी नही है प्रधानमंत्री के साथ उस दिन की सबका साथ सबका विकास सिर्फ नारा है।दलित को वोट बैंक के लिए राष्ट्रपति बनाया जा सकता है पर भूमिपूजन में नही बुलाया जा सकता है।

भाजपा में उच्च पदों पर जाति के आधार पर होता है चयन।भाजपा हमेशा से ही दलित विरोधी रही है। भाजपा ने वोट जुटाने के लिए एक दलित व्यक्ति को राष्ट्रपति तो बनाया, लेकिन भूमि पूजन के अवसर पर सभी उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को स्थान दिया मगर देश के प्रथम नागरिक और सर्वोच्च पद पर आसीन दलित राष्ट्रपति को स्थान नहीं दिया गया। यह देश के सभी दलितों  के लिए संदेश है कि भाजपा दलितों की हितैषी ना पहले कभी थी, न कभी हो सकती है। भाजपा सिर्फ दलितों को वोट बैंक समझकर चुनाव के समय उसका लाभ लेती है।भाजपा में कोई भी दलित नेता आगे नहीं बढ़ पाया है, जिसके चलते पहले ही दलितों ने भाजपा से किनारा कर लिया था।दलित राष्ट्रपति बनाना इनकी राजनीति का हिस्सा मात्र है, भाजपा को दलितों से कोई लगाव नहीं हैं। उन्होंने दलितों के घर प्रसाद भिजवाने को भी नौटंकी बताया।