आखिर अरविंद केजरीवाल दिल्ली के स्कूली बच्चों से दुनिया का सबसे बड़ा तिरंगा नहीं बनवा सके।विज्ञापनों पर खर्च हुए करोड़ों रुपए की भरपाई अब कौन करेगा….?
एस.पी.मित्तल
पिछले 15 दिनों से न्यूज चैनलों और अखबारों में एक विज्ञापन प्रकाशित हो रहा था, जिसमें कहा गया कि देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर 4 अगस्त को दिल्ली की स्कूलों के बच्चे सबसे बड़ा तिरंगा बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएंगे। विज्ञापनों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नायक के तौर पर दिखाया गया। लेकिन 4 अगस्त को दिल्ली सरकार का यह कार्यक्रम नहीं हो सका। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 4 अगस्त को सुबह ही सोशल मीडिया पर स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली के बुराड़ी मैदान में बरसात का पानी भरने के कारण यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।
सिसोदिया के इस ट्वीट के बाद भी न्यूज चैनलों पर तिरंगे का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाला विज्ञापन प्रसारित होता रहा। इतना ही नहीं चार अगस्त को देश के प्रमुख अखबारों में इस कार्यक्रमों को लेकर पूरे पृष्ठ के विज्ञापन भी प्रकाशित हुए। सवाल उठता है कि अब जब यह कार्यक्रम नहीं हो सका तो फिर विज्ञापनों पर खर्च हुई करोड़ रुपए की राशि की भरपाई कौन करेगा? आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देश भक्ति के कार्यक्रम हो, इस पर कोई एतराज नहीं है, लेकिन जब ऐसे कार्यक्रमों में राजनीति घुसेड़ दी जाए तब आपत्ति होना स्वाभाविक है। अच्छा होता कि सबसे बड़े तिरंगे का कार्यक्रम संपन्न हो जाने के बाद प्रचार प्रसार किया जाता। लेकिन राजनीतिक नजरिए से पिछले पंद्रह दिनों से न्यूज चैनलों और अखबारों में विज्ञापन दिए गए।
सबसे बड़ा तिरंगा बनाने वाले कार्यक्रम में सिर्फ दिल्ली के स्कूली बच्चे ही शामिल रहे, लेकिन इस कार्यक्रम से संबंधित विज्ञापन को देश भर के दर्शकों ने न्यूज चैनलों पर देखा। शायद ही कोई न्यूज चैनल होगा, जिस पर अरविंद केजरीवाल का यह विज्ञापन प्रसारित न हुआ हो। चूंकि चैनल मालिकों को विज्ञापन की पूरी राशि वसूलनी थी, इसलिए कार्यक्रम स्थगित हो जाने के बाद भी विज्ञापनों का प्रसारण होता रहा। स्वाभाविक है कि दिल्ली सरकार ऐसे विज्ञापनों का भुगतान भी करे। सबसे बड़ा तिरंगा बनाने का कार्यक्रम कब होगा, इसकी अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है।