योगी मंत्रिपरिषद ने महत्वपूर्ण निर्णय

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जनपद मथुरा के नन्दगांव में टूरिस्ट फेसिलिटेशन सेण्टर बनाये जाने हेतु भूमि पर्यटन विभाग के निवर्तन पर निःशुल्क हस्तान्तरित किये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनपद मथुरा के नन्दगांव में टूरिस्ट फेसिलिटेशन सेण्टर बनाये जाने हेतु भूमि पर्यटन विभाग के निवर्तन पर निःशुल्क हस्तान्तरित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही, मंत्रिपरिषद द्वारा प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रतर निर्णय लिये जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है। मंत्रिपरिषद के इस निर्णय के अन्तर्गत जनपद मथुरा में तहसील छाता के राजस्व ग्राम नन्दगांव स्थित खसरा नं0 579 रकबा 2.424 हेक्टेयर में से रकबा 1.065 हेक्टेयर चयनित अविवादित भूमि नन्दगांव में यात्री सुविधा केन्द्र (टी0एफ0सी0) निर्माण हेतु पर्यटन विभाग को निःशुल्क हस्तान्तरित की जायेगी। नन्दगांव में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को जनसुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पर्यटक सुविधा केन्द्र बनाये जाने का प्रस्ताव किया गया है। पर्यटक सुविधा केन्द्र में डॉरमेट्री, खुली रसोई, टॉयलेट आदि सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसके निर्माण से पर्यटकों को सुविधा होगी।

उ0प्र0 अग्निशमन तथा आपात सेवा अध्यादेश, 2022 के प्रतिस्थानी विधेयक उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा विधेयक, 2022 को आगामी राज्य विधान मण्डल सत्र में पुरःस्थापित किये जाने के सम्बन्ध में


मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अध्यादेश, 2022 की कतिपय धाराओं में विधायी विभाग द्वारा सूक्ष्म संशोधन करते हुए इस अध्यादेश के स्थान पर विधायी/भाषा विभाग द्वारा विधीक्षित प्रतिस्थानी विधेयक (उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा विधेयक, 2022) को आगामी राज्य विधान मण्डल सत्र में पुरःस्थापित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।उल्लेखनीय है कि बढ़ते औद्योगिक विकास, शहरीकरण के दृष्टिगत आपदा एवं सम्भावित अग्नि दुर्घटनाओं में उत्तरोत्तर वृद्धि के कारण वर्तमान में प्रचलित उत्तर प्रदेश फायर सर्विस एक्ट-1944 (उत्तर प्रदेश एक्ट संख्या-3/1944, दिनांक 26.07.1944) एवं उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम-2005 (उत्तर प्रदेश एक्ट संख्या-5/2005, दिनांक 17.03.2005) भविष्य की अपेक्षाओं को पूरा कर सकने में सक्षम नहीं होंगे। साथ ही, ‘अग्निशमन अनापत्ति प्रमाण-पत्र’, इन अधिनियमों का अभिन्न अंग न होने के कारण भवनों/परिसरों में अनिवार्य रूप से अग्नि सुरक्षा व्यवस्था को लागू कराया जाना सम्भव नहीं हो पा रहा है।इस स्थिति के दृष्टिगत सम्पूर्ण भारत में फायर सर्विस अधिनियम में एकरूपता लाये जाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा प्रसारित मॉडल फायर एण्ड इमरजेन्सी बिल, 2019 को उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा अंगीकृत कर विधेयक लाये जाने से वैधानिक/राजकीय कर्तव्यों के प्रभावी निष्पादन हेतु अग्निशमन विभाग के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व के लिए यथोचित संतुलन स्थापित होगा।

‘उत्तर प्रदेश निरसन विधेयक, 2022’ को आगामी राज्य विधान मण्डल सत्र में पुरःस्थापित किये जाने के सम्बन्ध में


मंत्रिपरिषद ने शासन के कतिपय प्रशासकीय विभागों के 36 अधिनियमों (05 मूल अधिनियम एवं 31 संशोधन अधिनियम) को निरसित किये जाने हेतु प्राप्त विभागीय अभिमत एवं अनापत्ति के क्रम में विधायी एवं भाषा विभाग द्वारा प्रारूपित एवं यथाविधीक्षित ‘उत्तर प्रदेश निरसन विधेयक, 2022’ के माध्यम से इस विधेयक में यथा उल्लिखित 36 राज्य अधिनियमों (05 मूल अधिनियम एवं 31 संशोधन अधिनियम) को निरसित किये जाने तथा इस विधेयक को आगामी राज्य विधान मण्डल सत्र में पुरःस्थापित किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि सातवें उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग द्वारा अप्रचलित एवं अनुपयोगी हो चुकी विधियों को निरसित किये जाने के सम्बन्ध में की गई संस्तुतियों को तथा नागरिकों एवं व्यवसाय पर विनियामक अनुपालन भार (रेग्युलेटरी कम्प्लायन्स बर्डन) को कम करने एवं व्यापार में सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) के दृष्टिगत एवं केन्द्रीय विधि आयोग तथा केन्द्र सरकार द्वारा गठित रामानुजन समिति की संस्तुति पर केन्द्र सरकार द्वारा स्वतंत्रता पूर्व ब्रिटिश शासन के दौरान अधिसूचित राज्य से सम्बन्धित अधिनियमों तथा राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान बनाये गये अधिनियमों को वर्तमान में अनुपयोगी होने के आधार पर निरसित किये जाने की अपेक्षा राज्य सरकार से की गयी है। इसके परिप्रेक्ष्य में विधायी विभाग के स्तर से चिन्हित किये गये विभिन्न राज्य अधिनियमों तथा केन्द्रीय अधिनियमों को अप्रचलित एवं अनुपयोगी होने के आधार पर शासन से सम्बन्धित प्रशासकीय विभाग के अधिमत एवं निरसित किये जाने के सम्बन्ध में प्राप्त हुई विभागीय अनापत्ति के दृष्टिगत मंत्रिपरिषद के अनुमोदनोपरान्त राज्य विधान मण्डल से पारित निरसन अधिनियमों के द्वारा वर्ष 2017 से अब तक 813 चिन्हित अधिनियमों को विधायी प्रक्रिया अनुसार निरसित किया जा चुका है।

पी0पी0पी0 मॉडल पर राजकीय पॉलीटेक्निकों एवं राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का संचालन निजी सहभागिता से किए जाने के सम्बन्ध में


मंत्रिपरिषद ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पी0पी0पी0) मॉडल पर राजकीय पॉलीटेक्निकों एवं राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का संचालन निजी सहभागिता से किए जाने के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।इसके तहत प्रथम चरण में 15 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों तथा 16 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (कुल 31 संस्थानों) को निजी सहभागिता के आधार संचालित किए जाने का निर्णय लिया गया। तत्क्रम में निविदा के माध्यम से 06 राजकीय पॉलीटेक्निक एवं 06 राजकीय आई0टी0आई0 (कुल 12 संस्थानों) हेतु सफल निविदाकर्ता प्राप्त हुए तथा 19 संस्थानों हेतु पुनः निविदा कराए जाने का निर्णय लिया गया।


इनके सापेक्ष 07 संस्थानों (03 पॉलीटेक्निक तथा 04 आई0टी0आई0) हेतु सफल निविदाकर्ताओं के चयन की संस्तुति मूल्यांकन समिति द्वारा की गई है, जिन्हें संस्थाओं का आवंटन किए जाने तथा पूर्व निविदा प्रक्रिया में सम्मिलित राजकीय पॉलीटेक्निक, ग्राम जसड़, सुल्तानपुर नगर, परगना एवं तहसील सरधना, मेरठ के संचालन हेतु एच-3 निविदाकर्ता ‘वेंचर स्किल इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड’ को एच-1 की निविदा दर 62.5 प्रतिशत राजकीय कोटा सीट की सहमति के आधार पर आवंटित किए जाने का निर्णय लिया गया है। इन पॉलीटेक्निक एवं आई0टी0आई0 संस्थानों का संचालन निजी सहभागिता से किया जाना है। इसलिए राज्य/केन्द्र सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। जब तक सभी 31 संस्थानों के संचालन हेतु निजी क्षेत्र के सहभागी प्राप्त नहीं हो जाते हैं, तब तक पुनः निविदा की प्रक्रिया चालू रहेगी। इस निर्णय से प्रदेश के छात्रों को गुणवत्तायुक्त तकनीकी शिक्षा उपलब्ध होगी, जिससे उनके सेवायोजन में वृद्धि होगी तथा औद्योगिक आवश्यकता के अनुरूप छात्रों को सॉफ्ट स्किल, व्यक्तित्व विकास जैसे आवश्यक कौशल प्राप्त होंगे। साथ ही, राज्य के आय-व्यय पर आवर्ती भार में कमी आएगी।